पाकिस्तान में इमरान खान की गिरफ्तारी के विरोध में देश भर में उनकी पार्टी पीटीआई के समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं और हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी कर रहे हैं, जिससे जानमाल का काफी नुकसान हो रहा है। इस बीच खबर है कि पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा समेत हिंसा प्रभावित प्रांतों में यदि अशांति और बढ़ती है तो आपातकाल लगाया जा सकता है।
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समा टीवी ने बताया कि मंगलवार को खान की गिरफ्तारी के बाद प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया और वाहनों में आग लगा दी जिससे यातायात निलंबित हो गया और दुकानदारों को अपनी दुकानें बंद करनी पड़ीं। पूरे पंजाब प्रांत में हुई हिंसक घटनाओं में 150 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी घायल हो गए। लाहौर में कम से कम 63, रावलपिंडी में 29, फैसलाबाद में 25 और गुजरांवाला में 13 पुलिस अधिकारी और कर्मी घायल हुए।
पेशावर में स्थिति विशेष रूप से गंभीर रही। फूलों का शहर युद्ध के मैदान में बदल गया। फिरदौस चौक के पास एक घटना में गुस्साए पार्टी कार्यकर्ताओं ने हथियार बेचने वाले एक स्टोर को लूट लिया। इसका फुटेज तेजी से विभिन्न सोशल मीडिया में वायरल हो गया। समा टीवी ने बताया कि वीडियो में कार्यकर्ताओं को पिस्तौल और बंदूकें तथा अन्य हथियार ले जाते हुए देखा जा सकता है।
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विभिन्न क्षेत्रों में अशांति के कारण 7 मौतें हुई हैं जबकि 41 अन्य घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने जबरन रेडियो पाकिस्तान के परिसर में प्रवेश कर समाचार कक्ष और इमारत के अन्य हिस्सों तथा पास खड़े वाहनों में आग लगा दी। इस्लामाबाद में रेड जोन को भी तोड़ दिया, जिसके बाद पुलिस को गोलियों से जवाब देना पड़ा। इसके परिणामस्वरूप अफरातफरी मच गई। एंबुलेंस सहित कई वाहनों में आग लगा दी गई।
समा टीवी ने बताया कि वर्तमान में, अधिकारी घटनाओं में शामिल सभी व्यक्तियों का पता लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए काम कर रहे हैं। इस बीच खबर है कि हिंसा प्रभावित पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में यदि अशांति और बढ़ती है तो आपातकाल लगाया जा सकता है। द न्यूज की खबर के अनुसार, अगर आंतरिक गड़बड़ी प्रांतीय सरकार की शक्ति से परे है तो पाकिस्तान के संविधान में ऐसी स्थिति के प्रावधान है।
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पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 232 में आपातकाल की उद्घोषणा का प्रावधान है। इसके अनुसार, यदि राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हैं कि एक गंभीर आपादा की स्थिति है जिसके कारण पाकिस्तान या उसके किसी हिस्से की सुरक्षा पर युद्ध या बाहरी आक्रमण का खतरा मंडरा रहा है, या प्रांतीय सरकार के नियंत्रण से परे आंतरिक गड़बड़ी है तो वह आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य होता है।
हालांकि, प्रांतीय सरकार की नियंत्रित करने की शक्तियों से परे आंतरिक गड़बड़ी के कारण आपातकाल लगाने के लिए प्रांतीय विधानसभा से एक प्रस्ताव की आवश्यकता होगी। लेकिन मौजूदा स्थिति में, दोनों प्रांतों की विधानसभाएं इस साल की शुरुआत में ही भंग कर दी गई थीं। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी कि विरोध में दोनों प्रांतों में पीटीआई के प्रदर्शनकारियों ने हिंसा की है और सरकारी संस्थानों पर हमले किए हैं।
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संविधान के अनुसार, यदि राष्ट्रपति अपने दम पर आपातकाल की उद्घोषणा करता है, तो 10 दिन के भीतर प्रत्येक सदन द्वारा अनुमोदन के लिए दोनों संसदों के समक्ष रखा जाएगा।
आपातकाल के समय संघीय विधान सूची में शामिल नहीं किए गए किसी भी मामले के संबंध में संसद के पास प्रांत या उसके किसी भाग के लिए कानून बनाने की शक्ति होगी।
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