उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे कुंभ में विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित धर्म संसद में शुक्रवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को भारी विरोध का सामना करना पड़ा है। भागवत के भाषण के बाद साधु-संतों ने हंगामा करते हुए जमकर नारेबाजी की। इसके बाद काफी देर तक विहिप द्वारा आयोजित धर्म संसद का पंडाल भागवत और बीजेपी विरोधी नारों से गुंजता रहा। इस दौरान पूरे पंडाल में 'राम मंदिर बनाओ या वापस जाओ' के नारे गुंजते रहे।
शुक्रवार को वीएचपी के धर्म संसद के दूसरे दिन का आखिरी सत्र पूरी तरह हंगामे की भेंट चढ़ गया और साधु-संत मंदिर निर्माण को लेकर दो खेमे में बंटते नजर आए। पहले सत्र में राम मंदिर को लेकर मोदी सरकार के फैसले पर चलने के प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद अंतिम सत्र में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जैसे ही भाषण देने पहुंचे, तभी ये हंगामा हो गया। हालांकि, इसके बाद वीएचपी के कार्यकर्ताओं ने हंगामा कर रहे साधु-संतों को सभा से बाहर निकाल दिया।
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इससे पहले धर्म संसद को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि मंदिर से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा कि आवेश और आक्रोश को बनाए रखना है। लोगों को आरएसएस और संतों पर भरोसा है। 6 अप्रैल को एक करोड़ लोग मंदिर के लिए मंत्रोच्चार करेंगे। उन्होंने कहा कि इस बार चुनाव हैं, जिसमें मंदिर बनाने वालों को चुनना पड़ेगा। देश हिन्दुओं का है और यहां दूसरे देशों के सताए हिन्दूओं को नागरिकता देने वाली सरकार सत्ता में है। भागवत ने कहा, “हमें सरकार के लिए कठिनाई नहीं पैदा करनी, बल्कि इसकी मदद करनी है। अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर बनेगा। हम सकरात्मक सोचेंगे, निराशा मन में मत लाएं। सनातन धर्म का विजय काल आया है।”
भागवत ने आगे कहा कि मंदिर निर्माण होगा लेकिन 2019 के चुनावों में अपनी सरकार का समर्थन करने के बाद। साथ ही भागवत ने कहा, “अभी मंदिर बनाया तो विरोधी कहेंगे चुनाव की वजह से बनाया गया। मैं आप सब को विश्वास दिलाता हूं कि फिर से हमारी सरकार आने के बाद पहले ही सत्र में मंदिर निर्माण शुरू हो जाएगा।” भागवत के इतना कहते ही साधु-संतों के एक बड़े वर्ग ने अपनी जगह से खड़े होकर हंगामा करना शुरू कर दिया और उनके विरोध में नारेबाजी शुरू हो गई। इस दौरान भागवत और बीजेपी के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। करीब दो दर्जन से ज्यादा साधुओं ने 'तारीख बताओ, तारीख बताओ', 'राम मंदिर बनाओ या वापस जाओ' के नारे लगाने शुरू कर दिए। हालांकि इस घमासान के बाद वीएचपी के कार्यकर्ताओं ने साधु-संतों को वहां से बलपूर्वक बाहर निकाल दिया।
बता दें कि प्रयागराज में चल रहे इसी कुंभ में वीएचपी के धर्म संसद से पहले एक अलग धड़ें ने परम धर्म संसद आयोजित कर 21 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का शिलान्यास करने का ऐलान कर दिया था। इस पर एतराज जताते हुए दूसरे दिन शुरू हुए अपने धर्म संसद में वीएचपी ने कहा कि इससे कुछ फायदा नहीं होगा, बल्कि राम मंदिर का मामला और जटिल हो जाएगा। परम धर्म संसद के प्रस्ताव को खारिज करते हुए वीएचपी की धर्म संसद में कहा गया कि उन्हें मोदी सरकार पर पूरी उम्मीद है।
ऐसे में साफ दिख रहा है कि राम मंदिर निर्माण को लेकर साधु-संत दो खेमों में बट गए हैं और बीजेपी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से खासा नाराज दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में साधु-संतों का राम मंदिर के मुद्दे पर इस तरह खेमों में बंट जाना बीजेपी और वीएचपी दोनों के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
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