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लखीमपुर खीरी हिंसा के दो साल बाद भी न्याय की बाट जोह रहे पीड़ित, कछुआ गति से चल रही सुनवाई से अंतहीन हुआ इंतजार

मामले में शिकायतकर्ता और हिंसा में मारे गए किसानों में से एक के पिता जगजीत सिंह केस की गति से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि न्याय में देरी न्याय नहीं मिलने के समान है। सुनवाई में तेजी लाई जाए। अगर इसी गति से चलता रहा, तो इसे पूरा होने में सालों लगेंगे।

लखीमपुर खीरी हिंसा के दो साल बाद भी न्याय की बाट जोह रहे पीड़ित
लखीमपुर खीरी हिंसा के दो साल बाद भी न्याय की बाट जोह रहे पीड़ित फोटोः IANS

दो दिन बाद 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा के दो साल पूरे हो जाएंगे, जहां के तिकुनिया इलाके में मोदी सरकार के मंत्री अजय टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की गाड़ी से कुचलकर चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन पीड़ित अभी तक न्याय की बाट जोह रहे हैं। मामला कछुआ गति से आगे बढ़ता दिख रहा है और पीड़ित न्याय के लिए अंतहीन इंतजार कर रहे हैं।

वहीं मामले को लेकर राजनेता आगे बढ़ गए हैं और मामले में रुचि खो दी है। चौंकाने वाली बात यह है कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा, जो इस मामले के आरोपियों में से एक हैं, उनके खिलाफ मामले में अब तक 171 गवाहों में से केवल चार ने अदालत के समक्ष अपने बयान दर्ज कराए हैं। आशीष को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़कने और यूपी के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र के दौरे के छह दिन बाद 9 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था।

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यूपी पुलिस की एफआईआर के मुताबिक, चार किसानों को एक एसयूवी ने कुचल दिया, जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे। इसके बाद, एसयूवी चला रहे व्यक्ति और दो बीजेपी कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर गुस्साए किसानों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी। एफआईआर में कहा गया है कि हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी।

जिला अदालत, लखीमपुर खीरी के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (प्रथम) सुनील कुमार वर्मा मामले की सुनवाई कर रहे हैं। पहले गवाह ने जनवरी 2023 में अदालत में अपना बयान दर्ज कराया था। कोर्ट में किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील सुरेश सिंह ने कहा कि मामले को हर 8-10 दिन में एक बार सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा रहा है।

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वकील सुरेश सिंह ने कहा कि मुकदमा इस साल 12 जनवरी को शुरू हुआ क्योंकि अभियोजन और बचाव दोनों पक्षों की ओर से अदालत के सामने बड़ी संख्या में आरोपमुक्त करने के आवेदन आए थे। इस मामले में कई लोक सेवक भी गवाह हैं, जो हिंसा के समय लखीमपुर खीरी में तैनात थे। सिंह ने कहा, “तत्कालीन डीएम, एसडीएम, एडीएम, एसपी, एएसपी, एसआई और अन्य लोग मामले में गवाह हैं।”

हिंसा में मारे गए किसानों में से एक के पिता जगजीत सिंह 12 जनवरी, 2023 को अदालत में पेश होने वाले अभियोजन पक्ष के पहले गवाह थे। वह मामले में शिकायतकर्ता भी हैं। सुरेश सिंह ने कहा कि मामले की सुनवाई संतोषजनक गति से चल रही है। मुकदमा चलाने की एक कानूनी प्रक्रिया है। इसका पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मामले की सुनवाई पूरी होने में चार से पांच साल लगेंगे।

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गवाहों को किसी विशेष तारीख पर अदालत में उपस्थित होने के लिए समन जारी किया जाता है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि गवाह उपस्थित होगा। ऐसे में दोबारा नोटिस जारी किया जाता है और गवाह को पेश होने के लिए नई तारीख दी जाती है। इस मामले में अदालत में बयान दर्ज कराने वाले पहले गवाह जगजीत सिंह मुकदमे की गति से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि न्याय में देरी न्याय नहीं मिलने के समान है। हम चाहते हैं कि सुनवाई में तेजी लाई जाए। अगर यह इसी गति से चलता रहा, तो इसे पूरा होने में कई साल लगेंगे।''

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