बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने गुरुवार को एक बार फिर नौकरी और पेपर लीक पर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 'पहले तो सरकारी नौकरी नहीं होती और कुछ मौके मिलते हैं तो पेपर लीक हो जाते हैं।' उन्होंने सवाल किया कि भारत के युवाओं को कब तक सब्र रखना होगा? पीलीभीत से भाजपा के लोकसभा सदस्य वरुण गांधी किसानों के विरोध, लखीमपुर खीरी कांड जैसे मुद्दों पर अपनी ही पार्टी की सरकार पर लगातार सवाल उठा रहे हैं।
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वरुण ने ट्वीट कर कहा, "पहले कोई सरकारी नौकरी नहीं है, कोई मौका आता है तो पेपर लीक हो जाता है, अगर आप परीक्षा देते हैं तो वर्षों तक कोई परिणाम नहीं होता है, तो यह किसी घोटाले में रद्द हो जाता है। 1.25 करोड़ युवा दो साल से रेलवे ग्रुप डी परीक्षा की प्रतीक्षा कर रहे हैं । सेना भर्ती के साथ भी ऐसा ही है। भारत के युवाओं को कब तक धैर्य रखना चाहिए।"
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रविवार को पेपर लीक होने के बाद यूपीटीईटी 2021 को रद्द करना पड़ा था। उन्होंने सोमवार को ट्वीट किया था, "यूपीटीईटी परीक्षा का पेपर लीक होना लाखों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। इस दलदल की छोटी मछली पर कार्रवाई से काम नहीं बनेगा, सरकार को चाहिए कि उनके राजनीतिक संरक्षक शिक्षा माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। अधिकांश शिक्षण संस्थान राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोगों के स्वामित्व में हैं, उनके खिलाफ कब कार्रवाई की जाएगी?"
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अक्टूबर में, वरुण और उनकी मां मेनका गांधी को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति, पार्टी की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था से हटा दिया गया था। लखीमपुर खीरी कांड के बाद वरुण गांधी ने कहा था कि इसे हिंदू बनाम सिख लड़ाई में बदलने की कोशिश की जा रही है।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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