दशाश्वमेध घाट की सीढ़ियों पर बैठी एक छोटी गोल की चर्चा को सही मानकर चलें तो लगता है, यहां बैठे बृजरमन शर्मा, नवेंदु प्रकाश, ज्योति चौबे, केशव केवट और कन्हैया सिंह की दृष्टि दूर तक जा रही है। वास्तव में मोदी के रोड-शो के जरिये शक्ति प्रदर्शन कर रहे संघ ने दोहरा निशाना साधाः एक, यहां लड़ाई एकतरफा बताने की कोशिश हुई; दो, उसने इस बात को भी आजमाया कि वह कितनी भीड़ जुटा सकता है।
Published: 02 May 2019, 8:00 AM IST
लोग इस बात का उत्तर तलाश रहे हैं कि सभी मतदाता बीजेपी के खाते में हैं, तो बाकी राजनीतिक पार्टियों के लोग कहां गए। बौद्धिक तबके के लोग भीड़ की जुटान को सीधे-सीधे उपद्रव की आशंका से जोड़कर देख रहे हैं। दरअसल, संघ से जुड़े लोगों का भी मानना है कि गुजरात और बिहार ही नहीं, राजस्थान से भी लोग बुलाए गए। कई प्रांतों के संघ कार्यकर्ताओं को अनिवार्य रूप से मोदी के रोड-शो में शामिल होने को कहा गया था।
Published: 02 May 2019, 8:00 AM IST
वजह भीहै। यह अब आम जानकारी है कि रोड-शो के दौरान मोदी पर बरसने वाली फूल की पंखुड़ियां किस तरह ट्रकों से बंडलों में ढोकर लाई गई थीं। अब तो उसके फोटो की सोशल मीडिया में भरमार है। जगह-जगह वे लोग खास तौर से तैनात किए गए थे जो लोकल नहीं थे, दूसरे राज्यों से आए थे। बीजेपी के स्थानीय नेता- कार्यकर्ता, एक तरह से, हतप्रभ हैं कि जिन कामों को वे बरसों से कर रहे थे, पता नहीं, किन लोगों ने उसे हथिया लिया। यहां रवींद्रपुरी के बीजेपी दफ्तर में तैनात लोगों के चेहरे पर शिकायती अंदाज के साथ असंतोष की शिकन देखी जा सकती है। नाम देने या बताने में गुरेज करने वाले ऐसे लोग खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं।
Published: 02 May 2019, 8:00 AM IST
इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें न्यूज चैनल से बातचीत करते एक खांटी बनारसी बुजुर्ग से जब पूछा जाता है कि बनारस के लिए मोदी ने क्या किया, तो वह ताव से कह रहे हैं, अइसन है, मोदी कुछ कइलन-वइलन नाहीं। खाली जुमला पढ़लन। बड़-बड़ बात के सिवा कछुओ नाहीं। इहे त हाल हौ मोदीक। (ऐसा है, मोदीने कुछ किया-विया नहीं। सिर्फ जुमले गढ़े। बड़ी-बड़ी बातों के सिवा कुछ नहीं। यही तो हाल है मोदी का)।
Published: 02 May 2019, 8:00 AM IST
यहां के एक टीवी पत्रकार इसे दूसरे ढंग से समझाते हैं। वह कहते हैं कि मोदी का रोड शो कई चैनलों पर बिना विज्ञापन लगातार तीन घंटे तक चला। ऐसा कभी नहीं होता। हर दस सेकेंड के विज्ञापन पर बड़े चैनलों को कम-से-कम एक लाख रुपये मिलते हैं। आप सोच लीजिए, चैनलों पर नियमित विज्ञापन रोकने और रोड-शो को दिखाने के लिए कितने खर्च किए होंगे। वैसे, चैनल ही बता सकते हैं कि इनके लिए किस-किसने-कितने पैसे उन्हें दिए हैं।
Published: 02 May 2019, 8:00 AM IST
इसमें शक नहीं कि बनारस में जीत के लिए सत्तापक्ष अंधाधुंध खर्चकर रहा है। फिर भी, सपा-बसपा-रालोद गठबंधन और कांग्रेस के नेता यह मानने के लिए तैयार नहीं कि बनारस में मोदी के लिए चुनाव का रास्ता निष्कंटक है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा कहते हैं, अबकी हमारी पूरी तैयारी है। बहुत मजबूती से लड़ेगी यहां कांग्रेस। जोश और आत्मविश्वास से लबरेज अजय राय को कांग्रेस ने फिर अपना उम्मीदवार बनाया है। गठबंधन के सतीश की राय में भीड़ पर जाने की जरूरत नहीं है। वह दार्शनिक अंदाज में अपनी बात रखते हैं, साहब, भीड़ का कोई आचरण नहीं होता। उसके चरण किस तरफ जाएंगे, कोई नहीं जानता। हां, गठबंधन के सालिड मतदाता हैं जो कहीं जाने वाले नहीं। वे मोदी को तो समर्थन नहीं ही देने वाले। गठबंधन से उम्मीदवार बनाए गए बर्खास्त बीएसएफ कर्मी तेज बहादुर का परचा जिस तरह रद्द किया गया, उससे मोदी विरोधी मतों की गोलबंदी होना तय है।
Published: 02 May 2019, 8:00 AM IST
विरोधी पक्ष की बातों को वे लोग हवा दे रहे हैं जिन्हें काशी विश्वनाथ कॉरीडोर निर्माण में अपने घर, अपनी दुकानें गंवानी पड़ी हैं। जिन लोगों को पर्याप्त मुआवजा नहीं मिल पाया है, उनका दर्द भी मोदी का रास्ता रोकने में मदद कर सकता है। विश्वनाथ कॉरीडोर में ध्वस्त हुए मकान मालिकों में कई ऐसे लोग भी रहे जो आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हैं। इनमें केवट और दलित भी शामिल हैं। आरोप है कि मुआवजा राशि के वितरण में भी भेदभाव किया गया। ऐसे लोग, धीमे से ही सही, यह जरूर कहते हैं किअबकी चुनाव में अपना विरोध दर्ज करने से उन्हें कौन रोक लेगा?
Published: 02 May 2019, 8:00 AM IST
कॉरीडोर मामले में पीड़ितों की तरफदारी करने वाले कृष्णकुमार शर्मा ने दावा किया कि रसूखदार और संपन्न लोगों ने अधिकारियों के साथ तालमेल कर अपने जमीन, मकान या फिर दुकान कीचौहद्दी में जमकर गेम किया और धन लाभ अर्जित किया। उन्होंने अपनी जमीन का रकबा ज्यादा बताया और अधिक मुआवजा हथिया लिया।
Published: 02 May 2019, 8:00 AM IST
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Published: 02 May 2019, 8:00 AM IST