उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में बीते कुछ सालों में हुए उपद्रवों को लेकर अब प्रशासन ने सख्त रवैया अख्तियार कर लिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन की मानें तो कड़ा फैसला लेकर भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने का प्रयास किया गया है।
बीएचयू प्रशासन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि प्रवेश प्रक्रिया के बीच अलग-अलग संकायों और विभागों में 50 छात्रों के दोबारा प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। इन पर पिछले 3 साल में घटी घटनाओं को आधार बनाते हुए कार्रवाई की गई है। अधिकारी ने बताया कि छात्रों के निलंबन के साथ ही इन्हें प्रवेश सहित अन्य सुविधाओं से वंचित करते हुए इसकी सूचना संबंधित संकायों, विभागों के प्रमुख, परीक्षा नियंत्रक आदि को भी दी गई है।
इसमें एक अक्तूबर 2016 को बीएचयू अस्पताल में मारपीट के मामले में 4 छात्रों का नाम शामिल है। 31 अगस्त 2016 में ट्रॉमा सेंटर में हुई मारपीट के मामले में 16 छात्रों को निलंबित किया गया है। 22 जनवरी 2016 को शोध छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न में अंग्रेजी विभाग के पूर्व शोध छात्र और आईएमएस में हुई एक घटना में एक छात्र पर कार्रवाई करने का भी जिक्र है।
इसके अलावा 7 अप्रैल 2017 को दर्शनशास्त्र विभाग के गेट पर मारपीट मामले में 16 छात्रों का निलंबन, मारपीट के एक अन्य मामले में चार छात्र, 26 दिसंबर 2017 को हुई घटना के मामले में लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत 14 छात्रों को निलंबित करने का आदेश जारी हुआ है।
Published: 19 Jul 2018, 11:06 AM IST
उप कुलसचिव (शिक्षण) की ओर से छात्रों की सूची सभी संस्थानों के निदेशक, संकाय प्रमुख, विभागाध्यक्ष, कॉलेजों के प्रिंसपल, परीक्षा नियंत्रक, चीफ प्रॉक्टर को भी भेजी गई है।
बीएचयू की चीफ प्रक्टर प्रो़ रोयाना सिंह के मुताबिक, पूर्व में हुई घटनाओं में जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई हुई है। परिसर का माहौल अशांत करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई होगी, इसलिए छात्रों को इस तरह की गतिविधियों में संलिप्तता से बचना चाहिए।
(आईएनएस के इनपुट के साथ)
Published: 19 Jul 2018, 11:06 AM IST
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 19 Jul 2018, 11:06 AM IST