उत्तराखंड के उत्तरकाशी सुरंग बचाव अभियान में रेस्क्यू के दूसरे विकल्प के तौर पर सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर शुरू की गई वर्टिकल ड्रिलिंग में अब तक 20 मीटर ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है। अभियान की जानकारी देते हुए एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने बताया कि सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग आज दोपहर लगभग 12 बजे शुरू हुई और फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए 86 मीटर खुदाई की आवश्यकता है। अब तक 20 मीटर ड्रिलिंग हो चुकी है।
एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने बताया कि हमने शनिवार से और 2 से 3 विकल्पों पर काम करना शुरू कर दिया है। एसजेवीएनएल को वर्टिकल ड्रिलिंग का जिम्मा दिया है। उन स्थानों की पहचान भी कर ली गई है, जहां ड्रिलिंग बेहतर हो सकती है। लगभग 20 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है। अनुमान है कि कुल 86 मीटर की ड्रिलिंग की जानी है। हमें लगता है कि ड्रिलिंग अगले 2 दिनों में पूरी हो जाएगी।
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उत्तराखंड के सिलक्यारा टनल हादसे को आज पूरे 15 दिन हो गए हैं लेकिन अभी भी रेस्क्यू टीम को कोई सफलता नहीं मिली है। बीते 3 दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन में लगातार कई परेशानियां आ रही हैं, जिसके चलते ड्रिलिंग का काम रुक गया था। शनिवार को अमेरिकी हैवी ऑगर मशीन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई, जिसके चलते मशीन का हिस्सा टनल में फंस गया, जिसे बाहर निकालने के लिए हैदराबाद से प्लाजमा कटर मशीन बुलवाई गई, जो देर रात देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंची। उसके बाद उस मशीन को रविवार को सिलक्यारा टनल पहुंचाया गया। फिर प्लाजमा कटर मशीन से कटिंग का काम शुरू किया गया, जिसमें वक़्त लगेगा।
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वहीं चंडीगढ़ से भी लेजर कटर मंगाया गया है। मलबे में फंसी बरमा मशीन के पार्ट्स को निकालने की कोशिश जारी है। एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने कहा कि सुरंग में फंसी बरमा मशीन के पार्ट्स निकालने का काम किया जा रहा है। 13.9 मीटर ऑगर के पार्ट्स सुरंग में फंसे हुए हैं। सोमवार तक पार्ट्स को निकाल लिया जाएगा। इसके बाद आगे मैनुअल काम किया जाएगा।
महमूद अहमद ने कहा कि 28 नवंबर से आरवीएनएल काम शुरू करेगा। हमने पूरे कार्य के लिए 100 घंटों का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा 15 दिनों से टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अब पहाड़ के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग की जा रही है। उन्होंने माना कि विशेषज्ञ इसे सुरक्षित नहीं मान रहे हैं। वरिष्ठ भूगर्भ विज्ञान डॉ. एके बियानी की मानें तो सुरंग में भूस्खलन होने से अब इसके 25 से 30 मीटर हिस्से में भी इसका प्रभाव हो सकता है। मतलब यह हिस्सा खतरनाक साबित हो सकता है।
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अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स के देखरेख में चल रहे ऑपरेशन में विशेषज्ञ वर्टिकल ड्रिलिंग को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। वहीं चट्टानों की कमजोर बनावट ड्रिलिंग के कंपन से कभी भी भर भराकर गिर सकती है। जिस क्षेत्र में सुरंग का निर्माण किया गया है, वहां चट्टानें बहुत कमजोर हैं, जो भारी भरकम मशीन के कंपन से कभी भी गिर सकती हैं। अगर पहाड़ी के ऊपरी क्षेत्र में वर्टिकल ड्रिलिंग की जाती है, तो करीब 90 मीटर गहराई तक ड्रिलिंग करने में 45 से 48 घंटे का समय लग सकता है, वो भी तब जब ड्रिलिंग के दौरान कोई बाधा नहीं आती है।
वहीं, एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने सिल्कयारा सुरंग बचाव अभियान पर कहा कि उन सभी श्रमिकों को भोजन, दवा और जीवन की जरूरी चीजें मिल रही हैं। चिकित्सा और मनो-सामाजिक विशेषज्ञ वहां हैं और अपना काम कर रहे हैं। सभी की सुरक्षा के लिए सभी सावधानियां बरती जा रही हैं। छह योजनाएं काम कर रही हैं। इन योजनाओं को बहुत ही सिनक्रोनाइज्ड तरीके से अपनाया जा रहा है।
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