उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा को शुरू होने में अब एक महीने में भी कम का समय बचा हुआ है। जिसे देखते हुए सरकार और प्रशासन ने तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। साथ ही जो काम बचे हुए हैं उन्हें समय पर पूरे करने के निर्देश भी तमाम अधिकारियों को दे दिए गए हैं। इतना ही नहीं रुद्रप्रयाग जिलाअधिकारी मयूर दीक्षित और डीजीपी अशोक कुमार ने भी चारधाम यात्रा को लेकर निरीक्षण किया है। इन सबके बीच जोशीमठ में हुए भू-धंसाव और घरों में आई दरारों को लगभग 3 महीने का समय हो गया है। लेकिन इन पीड़ितों की समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है।
चारधाम यात्रा का समय नजदीक आ गया है। जिससे देखते हुए चारधाम यात्रा के लिए होटलों की बुकिंग शुरू हो गई है। यात्रा को देखते हुए होटल मालिकों ने जोशीमठ आपदा में बेघर हुए लोगों को 31 मार्च तक कमरे खाली करने का फरमान सुना दिया है। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि प्रभावितों को होटलों में रखने की मियाद बढ़ाने के लिए शासन को लिखा गया है। लेकिन सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
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जोशीमठ में भू-धंसाव बढ़ने के बाद जनवरी के पहले हफ्ते में लोगों को होटलों धर्मशालाओं और किराये के मकानों में विस्थापित किया गया था। होटलों में सरकार एक कमरे के लिए 950 रुपये किराया दे रही है। जो लोग किराये के मकानों में रह रहे हैं उन्हें पांच हजार रुपये दिए जा रहे हैं। जोशीमठ नगर पालिका क्षेत्र के विभिन्न होटल, धर्मशालाओं में 181 परिवार के 694 सदस्य रह रहे हैं। उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी की गई है।
नगर पालिका गेस्ट हाउस में रह रहे पांच परिवारों को प्रशासन भोजन उपलब्ध करा रहा है। जबकि होटलों में रह रहे लोगों के लिए वहीं खाने की व्यवस्था की गई है। सरकार ने होटलों में आपदा प्रभावित लोगों के ठहरने की व्यवस्था 31 मार्च तक की थी। अंतिम तारीख पास आते ही होटल मालिक प्रभावितों को कमरे खाली करने के लिए कहने लगे हैं।
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होटल मालिक गोविंद सिंह का कहना है कि उनके होटल में 10 कमरे हैं। इनमें से दो कमरे आपदा प्रभावितों को दिए गए हैं। प्रशासन ने मार्च तक प्रभावितों को रखने के लिए कहा था। अब चारधाम यात्रा के लिए उन्हें कमरों की जरूरत है। कई बार तीर्थयात्रियों के बड़े ग्रुप आते हैं। ऐसे में आपदा प्रभावितों को यहां रखा तो तीर्थयात्रियों को कमरे उपलब्ध नहीं करा पाएंगे।
दूसरी ओर एक और होटल के मालिक कुलदीप का कहना है कि उनके होटल में छह कमरे हैं, जिनमें तीन कमरों में आपदा प्रभावित रह रहे हैं। सरकार ने प्रतिदिन एक कमरे के 950 रुपये देने की बात कही थी लेकिन अभी तक कोई भुगतान नहीं हुआ है। कुलदीप ने कहा कि चारधाम यात्रा के मद्देनजर अब कमरे खाली कराने पड़ेंगे।
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उधर चमोली डीएम हिमांशु खुराना ने कहा कि, 31 मार्च तक आपदा प्रभावितों को होटलों में शिफ्ट करने के आदेश प्राप्त हुए थे। 30 अप्रैल तक प्रभावितों को होटलों में रखने के लिए शासन को लिखा गया है। 31 मार्च के बाद भी किसी भी आपदा प्रभावित को होटलों से बाहर नहीं किया जाएगा। यदि कोई होटल स्वामी प्रभावितों को होटल छोड़ने के लिए कह रहा है तो इसकी जांच की जाएगी।
जोशीमठ,चमोली एसडीएम कुमकुम जोशी ने बताया कि, हमारे पास आपदा प्रभावितों को होटलों में ठहराने के लिए 31 मार्च तक की अनुमति थी। अवधि बढ़ाने के लिए शासन को लिखा गया है। अधिकांश होटलों को किराए का भुगतान कर दिया गया है। कुछ होम स्टे और होटलों के जीएसटी और अन्य दस्तावेज पूरे न होने के चलते किराए का भुगतान नहीं हो पाया है।
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जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव को लगभग 3 महीने हो गए हैं। लेकिन आपदा पीड़ितों की पीड़ा कम होती नजर नहीं आ रही है। एक तो पहले ही इन लोगों के मेहनत से बनाये आशियाने इन से छीन गए हैं। तो दूसरी तरफ अब इन्हें सरकार से भी मदद नहीं मिल रही है। पीड़ितों के दुख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पीडित नम आंखों से ये कह रहे हैं कि इस विपदा की घड़ी में कोई तो हो जो इन लोगों का सहारा बने।
इनकी ये पीड़ा यही खत्म नहीं हो रही है। बल्कि अब तो इनके सामने समस्या ओर भी बढ़ गई है। जो आपदा पीड़ित लोग होटलों, धर्मशालाओं ने रह रहे हैं। उन्हें होटल मालिकों ने 31 मार्च तक कमरे खाली करने को कहा है। बाजार में किराए पर कमरे नहीं मिल रहे हैं।होटल में परिवार के साथ रह रहीं सिंहधार वार्ड की मीना देवी का कहना है कि उनका 5 सदस्यीय परिवार 13 जनवरी से एक कमरे में रह रहा है। होटल स्वामी ने 31 मार्च तक कमरा खाली करने के लिए कहा है। बाजार में किराए के कमरे नहीं मिल रहे हैं। अब मजबूरन अपने दरार वाले घर में ही लौटना पड़ेगा। इसी होटल में रह रहीं आपदा प्रभावित ऊखा देवी का कहना है कि हम किराए का कमरा तलाश रहे हैं लेकिन हमें सुरक्षित क्षेत्र में कमरे नहीं मिल रहे हैं। सभी जगह कमरे भर गए हैं।
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इतना ही नहीं आपदा पीड़ित रमा देवी का कहना है कि आपदा ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा। धर्मशाला में आसरा मिला, अब चारधाम यात्रा को देखते हुए हमें यहां से जाने के लिए कहा जा रहा है। मेरे दो बच्चे हैं। पति की मौत हो चुकी है। शुरूआत में खाना बनाने के लिए राशन दिया गया, लेकिन अब वह भी नहीं मिल रहा है। कई बार स्वास्थ्य बिगड़ रहा है, लेकिन क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की टीम भी नहीं आ रही है।
एक अन्य आपदा पीड़ित महिला वीना देवी ने कहा है कि गरीब प्रभावित परिवारों पर चारों तरफ से मुसीबतों का पहाड़ टूट गया है। डिग्री कॉलेज के समीप गांधीनगर वार्ड में हमारा घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त पड़ा है। सामान भी इसी घर में रखा है। प्रशासन की टीम ने हमारे मकान का सर्वेक्षण किया तो 24 लाख 9000 रुपये मुआवजा बना, लेकिन दोबारा सर्वेक्षण किया गया, तो मुआवजा 13 लाख रुपये दिया गया।
सचिव, आपदा प्रबंधन, डॉ. रंजीत सिन्हा ने इस मामले पर कहा कि, अभी जिलाधिकारी चमोली की ओर से पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। जिला प्रशासन की ओर से जिस तरह के सुझाव और मांग की जाएगी, उसी के अनुरूप फैसला लिया जाएगा। होटल वालों को भी अहित नहीं होने दिया जाएगा और आपदा प्रभावितों का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा।
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