उत्तराखंड के पर्यटन स्थल मसूरी को बचाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) चिंतित है। एनजीटी द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने मसूरी आने वाले पर्यटकों की संख्या नियंत्रित करने की उत्तराखंड सरकार से सिफारिश की है। साथ ही समिति ने यहां आने वाले पर्यटकों से पंजीकरण शुल्क वसूलने और इस रकम का इस्तेमाल शहर के कूड़ा प्रबंधन और स्वच्छता पर खर्च करने की सलाह दी है।
बता दें कि जोशीमठ भू धंसाव के चलते लोगों के घरों में दरार पड़ने की घटना के मद्देनजर एनजीटी ने यह एडवाइजरी जारी की है।
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समिति ने ट्रिब्यूनल में पेश अपनी रिपोर्ट में कई नियामक कदमों का सुझाव दिया है। समिति ने कहा है कि पर्यटकों का पंजीकरण, मसूरी की वहन क्षमता, खासकर उपलब्ध पार्किंग स्थान, होटल, रिसॉर्ट, अतिथि कक्ष की उपलब्धता आदि के अनुसार किया जाना चाहिए।
बता दें कि गढ़वाल हिमालय की तलहटी पर स्थित मसूरी भूकंप की दृष्टि से जोन चार में आता है। इस दृष्टि से रिपोर्ट में उसे जोशीमठ के रास्ते पर जाने से बचाने के लिए कई एहतियाती और उपचारात्मक कदम उठाने का सुझाव दिया गया है। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में पहाड़ों के नीचे से बोल्डर न हटाने और ढलानों पर दिखने वाली दरारों को भरने का सुझाव भी रिपोर्ट में दिया गया है।
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