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चारधाम यात्रा: हाईकोर्ट की अनुमति मिलते ही शुरु तो हो गई यात्रा, लेकिन सरकार ने नहीं किए हैं कोई इंतज़ाम

उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट की सशर्त अनुमति मिलते ही चारधाम यात्रा शुरु तो करा दी है, लेकिन न तो कोई इंतजाम हुए हैं और न ही कोर्ट के आदेशों का पालन हो रहा है। इस सबसे यात्रियों के साथ ही कारोबारियों को भी तमाम दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है।

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Getty Images Frank Bienewald

अगर आप सोच रहे हैं कि नैनीताल हाइकोर्ट की सशर्त अनुमति के बाद आप भी उत्तराखंड में चार धाम यात्रा कर सकते हैं, तो किसी भ्रम में न रहें। पुष्कर सिंह धामी की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने इसके लिए कोई तैयारी नहीं की है।

हाइकोर्ट ने यात्रा के लिए आने वाले हर व्यक्ति के लिए ऐसी आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट को ही मान्य बताया है जो 72 घंटे तक की हो। इसके साथ ही वैक्सीन के दोनों डोज को अनिवार्य बताया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर किसी ने एक ही डोज लिया हो, तो उसे दूसरी डोज यात्रा मार्ग या राज्य की सीमा पर दिए जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। दोनों में ही मुश्किलें हैं। उत्तराखंड की सीमा पर आरटीपीसीआर टेस्ट की पुख्ता व्यवस्था सितंबर के चौथे हफ्ते शुरू होने तक भी नहीं हो पाई है। इसी प्रकार वैक्सिनेशन का इंतजाम भी अब तक नहीं हो पाया है।

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आरटीपीसीआर टेस्ट की व्यवस्था न होने से यात्रियों की परेशानी समझी जा सकती है। दरअसल, पितृ पक्ष में बद्रिकाश्रम में तर्पण और पिंडदान की भी परंपरा है और इसके लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। ओडिशा से यात्रियों के बड़े-बड़े दल हर वर्ष कनागत (श्राद्ध पक्ष) में बद्रीनाथ की यात्रा के लिए आते हैं और वहां पर अपने पुरखों का तर्पण करते हैं। इनकी संख्या हजारों में होती है। कोरोना की वजह से पिछले दो वर्षों से इनकी यात्रा रुकी हुई थी। दूर के राज्यों के ऐसे लोग अगर अपने राज्य में आरटीपीसीआर टेस्ट करा भी लें, यहां आते-आते 72 घंटे से अधिक का समय लग जाता है। स्वाभाविक है कि ऐसी रिपोर्ट की वैधता की मियाद खत्म हो जाती है। यहां इस टेस्ट की कारगर व्यवस्था है नहीं, ऐसे में उन्हें चक्कर काटना पड़ रहा है। इसी वजह से बीच रास्ते से लौटाए गए यात्री बर्मन सरकार ने बताया कि अभी तक यात्रा मार्गों पर इसकी कोई पुख्ता या अलग व्यवस्था नहीं की है, श्रद्धालुओं को इससे भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने इस सिलसिले में अपना ही उदाहरण दिया।

जो लोग अपने वाहन से नहीं आ रहे, उन्हें अलग दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इस मार्ग में परिवहन निगम की बसें चलती तो हैं लेकिन उनकी संख्या सीमित है। चार धाम यात्रा के लिए 8,000 से अधिक छोटी-बड़ी गाड़ियां चलती तो रही हैं लेकिन पिछले करीब दो साल से ये खड़ी थीं इसलिए कई तरह की समस्याएं अचानक उठ खड़ी हुई हैं।

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सरकार ने कोरोना की वजह से व्यावसायिक वाहनों को टैक्स में छूट की घोषणा की थी। लेकिन वह 1 अक्टूबर से प्रभावी होगी। यात्रा सितंबर में ही शुरू हो गई है, तो ऐसे में उनके लिए टैक्स भुगतान रसीद जरूरी है। अगर उन्होंने इसी माह टैक्स नहीं भरा, तो वाहन सड़क पर चला ही नहीं सकते, यानी अगर वे टैक्स छूटका लाभ उठाना चाहते हैं, तो उन्हें 1 अक्टूबर का इंतजार करना होगा और तब तक यात्रा के कुल 40 दिनों में 15 दिन समाप्त हो चुके होंगे। ऐसे में, व्यावसायिक वाहन संचालक अपने-अपने वाहनों का टैक्स जमा तो कर रहे हैं लेकिन परिवहन विभाग उनसे जमा किए जाने वाले टैक्स पर 30 फीसद की दर से जुर्माना अलग से वसूल रहा है।

टूर- ट्रैवल्स कारोबारी विजय शुक्ला ने आरोप भी लगाया कि सरकार ने टैक्स में छूटकी घोषणा तो की लेकिन वह उनसे रोड टैक्स पर भारी भरकम पेनाल्टी वसूल रही है। हरिद्वार ट्रैवल कारोबारी दीपक भल्ला का कहना है कि जब सितंबर में ही सभी वाहन मालिक अपने-अपने टैक्स का भुगतान कर देंगे तो अक्टूबर से मिलने वाली टैक्स की छूट का देने का क्या फायदा। चार धाम यात्रा पर बंगाल से आए शांतनु चक्रवर्ती ने कहा कि शायद यह भी एक वजह हो कि उनसे टैक्सी वाले ने तीन साल पहले की तुलना में लगभग दोगुना राशि वसूल ली। एक टैक्सी संचालकने कहा भी कि आखिर, अपनी जेब से तो पैसे देंगे नहीं, पेट्रोल-डीजल के रेट तो बेतहाशा बढ़ ही गए हैं ,रोड टैक्स भी मनमाने ढंग से वसूले जा रहे हैं।

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ट्रैवल कारोबारी इकबाल सिंह, अनुज सिंघल, बंटी भाटिया सहित कई अन्य लोगों का आरोप है कि यात्रा आरंभ होने की घोषणा होते ही देवस्थानम बोर्ड के पोर्टल पर पूरे अक्टूबर माह तक की बुकिंग फुल दिखाई जाने लगी है। उनका कहना है कि जब इतनी सारी अनिवार्यताएं हैं, 72 घंटे की आरटीपीसीआर रिपोर्ट चाहिए, तो कैसे एक-एक माह की अग्रिम बुकिंग संभव हो रही है जबकि रजिस्ट्रेशन के लिए 72 घंटे की आरटीपीसीआर रिपोर्ट का अपलोड किया जाना अनिवार्य है। टूर एंड ट्रैवल्स कारोबारी रोहित सर्राफ का तो सीधा आरोप है कि देवस्थानम् बोर्ड पोर्टल को सही तरीके से संचालित नहीं किया जा रहा है। एक ने तो कहा भी कि चार धाम यात्रा के लिए आने वाले लोग वाहन बुकिंग के साथ ही उन पर रजिस्ट्रेशन का दबाव बनाते हैं और कह रहे हैं कि इस सुविधा का जुगाड़ न होने पर वे बुकिंग कैंसिल करा देंगे। ट्रैवल कारोबारियों के लिए जुगाड़ का इंतजाम नए किस्म का दबाव है और वे अपना बिजनेस बचाने के चक्कर में यह तीन-पांच भी झेल रहे।

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कायदे से सरकार को चार धाम यात्रा शुरू करने से पहले इससे जुड़े व्यवसाय में लगे लोगों को तैयारी का मौका देना चाहिए था। हाईकोर्ट के आदेश के अगले दिन से ही यात्रा आरंभ करने की घोषणा कर दी गई जबकि सभी चारों धामों में आश्रम, होटल, धर्मशाला और लॉज इत्यादि इसके लिए तैयार ही नहीं हुए हैं। वे दो साल से बंद थे और इन्हें श्रद्धालुओं के रुकने, रहने और खाने के काबिल बनाने में कम-से-कम 15 दिनों का समय लगना स्वाभाविक है। दरअसल, होटलों को हर किस्म का स्टाफ जुटाने में समय लगेगा क्योंकि इनमें स्थानीय लोग अधिक नहीं होते और ऐसे लोगों के आने तथा काम संभालने में थोड़ा वक्त तो लगेगा ही। आनन-फानन में की जा रही व्यवस्था से यात्रियों को जो दिक्कत हो रही है, वह समझी जा सकती है।

लखनऊ के श्याम किशोर ने कहा कि उन्होंने जिस होटल को बुक किया था, उसमें कमरों में सीलन था और बेड तक भी भीगा लग रहा था। खाने-पीने की सुविधा थी तो, पर आइटम्स काफी कम थे और सर्विस भी अच्छी नहीं थी। उन्होंने कहा कि करीब चार साल पहले जब वह आए थे, उस समय इस होटल में हर तरह की सर्विस अच्छी थी।

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