उत्तराखंड में बीजेपी में सियासी खींचतान चरम पर पहुंच गया है। इसी खींचतान का नतीजा है कि महज साढ़े तीन महीने पर शपथ लेने वाले सीएम तीरथ सिंह रावत को पद से इस्तीफा देना पड़ा है। तीरथ सिंह रावत ने देहरादून में देर शाम राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। आज दिन से ही तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे की चर्चा थी।
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उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत के महज साढे़ तीन महीने में ही इस्तीफा देने से राज्य बीजेपी में सियासी संकट गहरा गया है। पार्टी ने कल दोपहर राज्य बीजेपी मुख्यालय में विधायक दल की बैठक बुलाई है। केंद्रीय नेतृत्व ने कल की बैठक के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पर्यवेक्षक बनाया है। माना जा रहा है कि कल दोपहर विधायक दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री नाम तय हो जाएगा।
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इससे पहले आज सीएम तीरथ सिंह रावत ने अपने इस्तीफे की अटकलों के बीच देहरादून में एक प्रेस कांफ्रेंस की, लेकिन इस दौरान इस्तीफे पर चुप्पी साध गए। तीरथ सिंह रावत प्रेस कांफ्रेंस में अपने काम गिना कर फौरन वहां से चले गए। रावत ने कहा कि सरकार ने साल 2021 में लोगों को स्वरोजगार, व्यवसाय पर कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव से राहत सहायता देने के लिए विभिन्न कदम उठाए। हमने लगभग 2,000 करोड़ रुपये की सहायता दी।
इससे पहले शुक्रवार दिन में तीरथ सिंह रावत ने दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इसी मुलाकात के बाद खबर आने लगी कि रावत ने अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। खबर है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर एक पत्र सौंपा है, जिसमें कहा है कि वह पद से इस्तीफा देना चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार, अपने फैसलेके पीछे की वजह उन्होंने संवैधानिक संकट पैदा होना बताया है।
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मिली जानकारी के अनुसार तीरथ सिंह रावत ने अपने पत्र में कहा है कि आर्टिकल 164ए के अनुसार उन्हें मुख्यमंत्री बनने के 6 महीने के अंदर विधानसभा का सदस्य बनना है, लेकिन आर्टिकल 151 के अनुसार अगर विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से कम का समय बचता है तो राज्य में उपचुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। ऐसे में उतराखंड में संवैधानिक संकट खड़ा होने का अंदेशा है, इसलिए मैं मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना चाहता हूं।
बता दें कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इसी साल त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर 10 मार्च को राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। हालांकि, शपथ लेने के बाद से तीरथ सिंह रावत अपने बयानों और प्रशासनिक फैसलों खासकर कोरोना की दूसरी लहर दौरान उठाए गए कदमों को लेकर विवादों में थे। राज्य बीजेपी में उनके खिलाफ लगातार विरोध के स्वर उठ रहे थे। चूंकि अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में बीजेपी ने समय रहते ही उन्हें पद से हटाकर पार्टी में कलह को शांत करने की कोशिश की है।
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