उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में सत्ताधारी बीजेपी के कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच एक बैनर को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। मेरठ शहर के मेडिकल थाने के बाहर एक बैनर लगाया गया है, जिसमें लिखा गया है कि इस थाने के भीतर बीजेपी कार्यकर्ता प्रवेश न करें। मेरठ पुलिस का कहना है कि यह बैनर स्वंय बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर दबाव बनाने के लिए लगाया है। मामले ने काफी तूल पकड़ लिया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस मामले में सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि यूपी में ऐसा पहली बार हुआ है।
बैनर विवाद के चर्चा में आने के बाद मेरठ के एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। मेरठ के एसपी सिटी विनीत भटनागर ने बताया कि बैनर स्वंय बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने लगवाया था। वो एक मुकदमे में अपनी इच्छानुसार कार्रवाई कराना चाहते थे, जबकि पुलिस निष्पक्ष कार्रवाई कर रही थी। इंस्पेक्टर द्वारा एक पार्टी विशेष के कार्यकर्ताओं के दबाव में न आने के कारण वह नाराज हो गए और उन्होंने यह षड्यंत्र रचा। पुलिस उन सभी कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर रही है, जिन्होंने यह बैनर लगाया है। उन्होंने जांच में सामने आया है कि इनमे से कुछ कार्यकर्ताओं के विरुद्ध पहले से भी मुकदमे दर्ज हैं, हम इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।
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मेरठ के एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने इन्हें असामाजिक तत्व बताते हुए कहा है कि कुछ असामाजिक तत्व थाने पर हंगामा कर रहे थे, जबकि एक व्यक्ति यह पोस्टर लेकर आया और थाने पर लाकर चस्पा कर दिया। हम इनकी गिरफ्तारी का प्रयास कर रहे हैं। इन्होंने पुलिस पर अनुचित दबाव हेतु प्रदर्शन किया था और बैनर लगाकर पुलिस की छवि धूमिल करने का प्रयत्न किया। इन्होंने फोटो और वीडियो वायरल भी किया। पुलिस ने 4 नामजद व 15-20 अज्ञात के विरुद्ध थाना मेडिकल पर मु0अ0सं0 212/22 धारा 147/352/353/505(2) भादवि तथा 7 CLA एक्ट के अंतर्गत मामला पंजीकृत किया है।
मेरठ जिले के मेडिकल थाने से जुड़े इस विवाद की जड़ में एक पारिवारिक विवाद है। यहां इंचोली थाना क्षेत्र के मसूरी निवासी पूजा की शादी 4 साल पहले नौचंदी थाना क्षेत्र के वैशाली कॉलोनी निवासी अवधेश से हुई थी। अवधेश की गढ़ रोड पर मेडिकल थाना क्षेत्र में दुकान है। करीब 8 महीने पहले अवधेश की बीमारी से मौत हो गई थी। कहा जा रहा है कि ससुर श्याम सिंह और देवर अनुज ने विवाहिता को घर से निकाल दिया। अवधेश की दुकान पर भी कब्जा कर लिया। शुक्रवार को पीड़िता के पक्ष में बीजेपी कार्यकर्ता मेडिकल थाने पहुंचे थे। पुलिस ने दूसरे पक्ष को भी बुला लिया था। बैनर लगाए जाने के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने यहां जमकर हंगामा किया और घंटों तक हाई-वोल्टेज ड्रामा चला।
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मेडिकल थाने के इंस्पेक्टर सन्तशरण सिंह के मुताबिक, मेरठ थाना मेडिकल में कुछ स्थानीय लोग एक महिला के लिए उसके देवर से दुकान खाली कराने का अनुचित दबाव बना रहे थे। मानवता के नाते दोनों पक्षों की वार्ता भी कराई गई। पुलिस के द्वारा किसी का कब्जा नहीं हटाया जा सकता। दबाव बनाने के लिए भीड़ जमा कर दी गई थी। वो यहां नारेबाजी करने लगे और हंगामा भी करने लगे। इन्ही लोगों के हाथ में यह बैनर था। हम जांच कर रहे हैं कि यह बैनर इनके पास. कहां से आया। हंगामा करने वाले लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है।
मेरठ शहर विधायक रफीक अंसारी ने बताया कि पूरे शहर में भाजपाई गुंडागर्दी कर रहे हैं। वो सपा के कार्यकर्ताओं पर गुंडागर्दी करने का झूठा आरोप लगाते थे अब वो खुद अपने गिरेबान झांककर देख लें। पुलिस भी इनके अनावश्यक और अत्यधिक दखल से तंग है। आज की घटना यह बताने के लिए काफी है। अधिकतर थाने बीजेपी के लोग चले रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद यह सच जानते हैं मगर बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर कोई असर नही है।
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मेरठ में पुलिस और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच विवाद का यह पहला मामला नहीं है। जिले में कई थानों में बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा अनावश्यक दबाव बनाने की बात सामने आई है, जिसका पुलिस ने कड़ाई से विरोध किया है। इससे पहले 2 अप्रैल को बीजेपी कार्यकर्ता जागरण कराने की जिद पर अड़ गए थे। इस दिन चांद-रात थी और अगले दिन ईद थी। काफी गर्म बहस के बाद भी पुलिस ने बीजेपी कार्यकर्ताओं की एक नहीं चलने दी थी। मेरठ के एसएसपी प्रभाकर चौधरी राजनीतिक दबाव दरकिनार करने के लिए जाने जाते हैं।
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