उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं, लेकिन अब उन्हीं के प्रमुख सचिव एसपी गोयल भ्रष्टाचार के आरोप के घरे में हैं। उनपर 25 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगा है, और हैरानी की बात यह है कि जिस शख्स ने प्रमुख सचिव पर घूस मांगने का आरोप लगाया है, सरकार और बीजेपी उसी को जेल भिजवाने की तैयारी में हैं। प्रमुख सचिव पर घूस मांगने का आरोप लगाने वाले अभिषेक गुप्ता के खिलाफ 7 जून की रात को लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआइआर दर्ज की गई है।
प्रमुख सचिव द्वारा 25 लाख रुपये घूस मांगने की आरोप का पता तब चला था, जब बीते 30 अप्रैल को यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने इस मामले की जांच की सिफारिश पत्र लिखकर सीएम योगी आदित्यनाथ से की थी। लेकिन 40 दिन बीत जाने के बाद भी न तो इस मामले की कोई जांच हुई और न ही कोई कार्रवाई की गई।
Published: 08 Jun 2018, 11:21 AM IST
बताया जा रहा है कि प्रमुख सचिव पर घूस मांगने का आरोप लगाने वाले अभिषेक गुप्ता हरदोई में एक पेट्रोल लगाना चाहते थे। पेट्रोल पंप के लिए उन्होंने मेन सड़क के पास जमीन के लिए प्रशासन के पास अर्जी दी थी। अभिषेक गुप्ता की अर्जी को लेखपाल, एसडीएम और एडीएम तक ने मंजूरी दे थी। आरोप है कि जब फाइल सीएम दफ्तर तक पहुंची तो प्रमुख सचिव ने अभिषेक का प्रस्ताव खारिज कर दिया।
Published: 08 Jun 2018, 11:21 AM IST
अभिषेक गुप्ता का आरोप है कि फाइल पास करने के लिए प्रमुख सचिव की तरफ से 25 लाख रुपये की घूस मांगी गई थी, और पैसा नहीं देने पर फाइल रोक दी गई। अभिषेक गुप्ता के मुताबिक, उन्होंने पूरे मामले की शिकायत प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक से की। इसके बाद राज्यपाल ने पत्र लिखकर पूरे माले की जांच की सिफारिश सीएम योगी आदित्यानाथ से की थी। ऐसे में यहां सवाल यह उठ रहा है कि जब राज्यपाल ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मामले की जांच की सिफारिश की थी तो इस मामले में कार्रवाई क्यों नहीं की गई। आखिर यूपी के प्रमुख सचिव को कौन बचा रहा है?
Published: 08 Jun 2018, 11:21 AM IST
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Published: 08 Jun 2018, 11:21 AM IST