एक और जहां उत्तर प्रदेश में चुनाव के पहले चरण की तारीख पास आ रही है , वहीं दूसरी ओर उम्मीदवार भी वोटरों को लुभाने की कोशिश में लगे हैं। आलम ये है कि एक सीट पर कई प्रत्याशी खड़े हो गए हैं। कोई बीजेपी, कोई कांग्रेस, कोई निर्दलीय तो कोई अलग अलग चुनाव चिन्ह पर अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। इस लिस्ट में महिला, पुरूष के साथ अब ट्रांसजेंडर का भी नाम शामिल हो गया है।
उत्तर प्रदेश में 26 साल के ट्रांसजेंडर राधिका बाई रिजर्व आगरा कैंट निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। सोमवार को उनकी उम्मीदवारी को मंजूरी दी गई। राधिका का असली नाम आकाश सोनी है। यह आगरा जिले में विधानसभा चुनाव लड़ने वाली पहली ट्रांसजेंडर होंगी।
उन्होंने अपने समुदाय के सदस्यों के समर्थन से डोर-टू-डोर अभियान शुरू किया है। राधिका ने कहा कि उन्होंने जरूरतमंदों की सेवा करने के लिए चुनाव मैदान में प्रवेश किया। राधिका ने कहा, "मुझे यह साबित करना होगा कि ट्रांसजेंडर राजनीति में सफल हो सकते हैं और लोगों के मुद्दों को सफलतापूर्वक संबोधित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मैं आम आदमी के लिए सरकारी स्कूलों के नेटवर्क को मजबूत करके शिक्षा को सस्ती बनाने के लिए काम करूंगी। मेरा जन्म और पालन-पोषण यहीं हुआ, इसलिए मैं लोगों से मुझे एक मौका देने का अनुरोध कर रही हूं क्योंकि मैं उनके लिए बहुत कुछ करना चाहती हूं।" उन्होंने आगे कहा कि "मेरा मानना है कि राजनीति मुझे किन्नर समुदाय के कल्याण के लिए काम करने का अवसर भी देगी।"
गौरतलब है कि वर्ष 2000 में एक ट्रांसजेंडर आशा देवी गोरखपुर नगर निगम की मेयर चुने जाने के बाद सुर्खियों में आई थीं। उनके चुनाव ने राजनीतिक दलों को बड़ा झटका दिया था। इससे पहले 1998 में ट्रांसजेंडर शबनम मौसी मध्य प्रदेश राज्य विधानसभा के लिए चुनी गई थीं। वह जन प्रतिनिधि के रूप में चुनी जाने वाली पहली ट्रांसजेंडर थीं।
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