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चीन की जिस लैब पर है कोरोना फैलाने का आरोप, अमेरिका ने उसे दिया 29 करोड़ का ग्रांट

एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अमेरिका ने चीन के वुहान स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को 3.7 मिलियन डॉलर (करीब 29 करोड़ रुपये) की आर्थिक मदद की है। यह वही लैब है जिस पर कोरोना वायरस फैलाने का आरोप है, जो आज पूरी दुनिया के साथ अमेरिका के लिए भी कहर बन गया है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

लगभग पूरी दुनिया पर इस समय कोरोना का कहर है। अब तक पूरी दुनिया में इस वायरस से 18 लाख 53 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि एक लाख 14 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। पूरी दुनिया में इस समय कोरोना से सबसे ज्यादा अमेरिका तबाह है। अमेरिका में अब तक 22 हजार से ज्यादा लोगों की कोरोना वायरस की वजह से मौत हो चुकी है, जबकि 5 लाख से ज्यादा लोग वहां इस वायरस की चपेट में हैं।

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अमेरिका शुरू से कोरोना वायरस को फैलाने का चीन पर आरोप लगाता आ रहा है। लेकिन रविवार को डेली मेल के रिपोर्ट से सनसनीखेज खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार चीन के वुहान के जिस लैब पर कोरोना वायरस फैलाने का आरोप लगाया जा रहा है, उसे अमेरिका ने रिसर्च के लिए 29 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की है। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की सरकारी एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने वुहान के इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को 3.7 मिलियन डॉलर यानी करीब 29 करोड़ रुपये की मदद दी है।

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खबर के अनुसार अमेरिका ने यह आर्थिक मदद लैब को वह रिसर्च जारी रखने के लिए दिया था जिसमें वह पता लगाने की कोशिश कर रहा था कि क्या कोरोना वायरस गुफाओं में रहने वाले चमगादड़ों की वजह से फैला है। वुहान का इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी वहां से करीब एक हजार मील दूर युन्नान से कुछ चमगादड़ों को पकड़कर उन पर शोध भी कर रहा है। इसी शोध को जारी रखने के लिए अमेरिकी सरकार ने लैब को 29 करोड़ रुपये दिए हैं।

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बता दें कि वैज्ञानिकों का मानना है कि चमगादड़ों के जरिये ही कोरोना वायरस का संक्रमण इंसानों के शरीर में आया है। रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि सबसे पहले युन्नान प्रांत की गुफाओं में रहने वाले चमगादड़ों में ही ये वायरस देखा गया। इसके बाद यह वायरस वुहान की मीट मार्केट में पहुंच गया और फिर वहां से इसका संक्रमण पूरी दुनिया में फैल गया।

अब इस खुलासे के बाद अमेरिका के इस कदम की देश में कड़ी आलोचना होने लगी है। अमेरिका के कई सांसदों ने इस सहायता को लेकर विरोध शुरू कर दिया है। रिपब्लिकन पार्टी समेत अमेरिका के कई सांसदों ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं।

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