उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ऐसे कई योद्धा हैं, जिन्हें अपने रिकार्ड कायम रखने की चुनौती है। यह ऐसे धुरंधर जो अभी तक रिकार्ड मतों से जीतते रहे हैं। इनमें से प्रतापगढ़ सीट से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया, अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव, सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान और बीएसपी विधायक उमाशंकर सिंह शामिल हैं।
रघुराज प्रताप सिंह वर्ष 1993 से लगातार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित होते आ रहे हैं। वर्ष 2007 के चुनाव में रघुराज प्रताप सिंह ने 73,732 मत हासिल करके बसपा प्रत्याशी शिव प्रकाश सेनानी को 53,128 मतों से हराया था। शिव प्रकाश को 20,604 मत मिले थे। वर्ष 2012 में रघुराज प्रताप सिंह का जीत का अंतर बढ़ गया। इस चुनाव में 1,11,392 मत पाकर रघुराज चुनाव जीते। बसपा प्रत्याशी शिव प्रकाश सेनानी को 88,255 मतों से हराया। शिव प्रकाश को 23,137 मत मिले।
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वर्ष 2017 के चुनाव में राजा भैया ने रिकार्ड कायम करते हुए 1,03,353 मतों से जीत दर्ज की। 1,36,223 मत पाकर उन्होंने भाजपा प्रत्याशी जानकी शरण पांडेय को हराया। जानकी को 32,870 मत और तीसरे स्थान पर रहे बसपा प्रत्याशी परवेज अख्तर को 17,176 मत मिले थे। पिछले तीन चुनावों में सपा ने उन्हें समर्थन दिया था। इस बार भाजपा, कांग्रेस और बसपा की तरह सपा ने उनके खिलाफ प्रत्याषी उतारा है। इस बार पांचवे चरण में उनका चुनाव होगा।
जसवंतनगर सीट समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने 1996 में अपने अनुज शिवपाल सिंह यादव के लिए छोड़ी थी। उस समय शिवपाल ने नेताजी के कट्टर प्रतिद्वंद्वी कहे जाने वाले स्वर्गीय दर्शन सिंह यादव को करीब 11 हजार मतों से हराकर जीत हासिल की थी। इसके बाद से वे लगातार इस सीट पर काबिज हैं, वर्ष 2012 में मनीष यादव पतरे को करीब 81 हजार मतों से हराकर रिकार्ड कायम किया था।
शिवपाल सिंह यादव लगातार छठवीं बार जीत हासिल करने के लिए इटावा की जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में पारिवारिक झंझावत में शिवपाल को कड़ा मुकाबला करना पड़ा। इस चुनाव में उन्हें करीब 75 हजार मतों से मिली थी। भाजपा ने इटावा की जसवंतनगर सीट से विवेक शाक्य को टिकट दिया है। इस सीट से युवा नेता विवेक शाक्य अखिलेश के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को टक्कर देंगे। कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। जबकि बसपा की ओर से ब्रजेंद्र प्रताप सिंह उम्मीदवार हैं। यहां तीसरे चरण में 20 फरवरी को चुनाव होगा।
प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित बलिया से बसपा ने उमाषंकर में एक बार फिर दांव लगाया है। रसड़ा से उमाशंकर सिंह पहली बार 2012 में विधायक बने थे। वह 2012 में 84436 मत पाकर चुनाव जीते और सपा के सतनाम को मात्र 31611 वोट ही मिले। वर्ष 2017 के चुनाव में उन्हें 92272 यानी 48.16 फीसदी और भाजपा के राम इकबाल सिंह को 58385 यानी 30.47 फीसदी वोट मिले। इस बार भी उनके सामने अपना रिकार्ड बनाएं रखने की चुनौती है।
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