एक ओर जोशीमठ के भवनों और इमारतों में दरारें चौड़ी होती जा रही हैं, दूसरी ओर इनको गिराने में प्रशासन की टीम को विरोध भी झेलना पड़ रहा है। जिला प्रशासन की टीम लाव लश्कर के साथ भवन तोड़ने पहुंची तो प्रभावित लोग विरोध में उतर आए। ऐसे में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई टाल दी गई थी। जोशी मठ इलाके के 723 घरों को चिन्हित किया गया है जिनमें दरारें मिल चुकी हैं वहीं 86 ऐसी इमारतों को चिन्हित किया गया है जो पूरी तरह से असुरक्षित घोषित कर दीं गई हैं। इन इमारतों पर लाल निशान लगा दिए गए हैं। उत्तराखंड सरकार को आज इन घरों को ढहाना था लेकिन स्थानीय लोग इसका विरोध कर रहे हैं। खराब मौसम के चलते भी समस्या बढ़ गई है।
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वहीं मलारी होटल के मालिक टी सिंह राणा और उनके परिजन मुआवजे की मांग को लेकर होटल के बाहर धरने पर बैठे हैं। जोशमीठ में प्रशासन के साथ स्थानीय लोगों की मुआवजे को लेकर चल रही बैठक में बात नहीं बनी। प्रशासन की ओर से प्रभावित परिवारों को डेढ़ लाख रुपये मुआवजा दिए जाने की बात कही गई, लेकिन प्रभावितों ने इससे इनकार कर दिया।
जोशीमठ में मंगलवार को होटल माउंट व्यू और मलारी इन को ध्वस्त किया जाना था। जैसे ही प्रशासनिक अधिकारी अपनी टीम लेकर मौके पर पहुंचे, होटल स्वामियों ने कार्रवाई का विरोध करना शुरू कर दिया। होटल स्वामियों का कहना था कि होटल का आर्थिक मूल्यांकन नहीं किया गया है। साथ ही नोटिस तक नहीं दिए गए हैं। विरोध बढ़ने पर प्रशासन को कदम पीछे खींचने पड़े थे।
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दूसरी ओर अधिकारियों का कुछ और ही कहना है। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने कहा कि ऊंचे भवनों को तोड़ने के लिए क्रेन की आवश्यकता है। क्रेन इस समय यहां नहीं मिल पाई। इसलिए देहरादून से क्रेन भेजी गई है। देहरादून से चली क्रेन बुधवार को जोशीमठ पहुंच जाएगी।
सचिव मुख्यमंत्री मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि सीबीआरआई की टीम देरी से मौके पर पहुंची। इसलिए पहले दिन भवन और इमारत ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू नहीं हो पाई। वहीं देहरादून में मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधू ने मंगलवार को अधिकारियों की फिर से बैठक ली। मुख्य सचिव ने खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके भवनों को प्राथमिकता के आधार पर ढहाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि एक भी भवन ऐसा नहीं रहे, जिसमें रहने से जानमाल का नुकसान हो।
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जोशीमठ में असुरक्षित भवनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मंगलवार को प्रशासन द्वारा 45 भवन और चिन्हित किए गए। इस तरह से अब तक कुल 723 भवन असुरक्षित चिन्हित किए जा चुके हैं। इनमें से 86 भवनों को पूरी तरह से असुरक्षित घोषित कर लाल निशान लगा दिए गए हैं। जल्द ही इन भवनों को ढहाने की कार्रवाई शुरू होगी।
चमोली जिला प्रशासन की ओर से अब तक 462 परिवारों को अस्थायी रूप से विस्थापित किया जा चुका है। मंगलवार को 381 लोगों को उनके घरों से सुरक्षित ठिकानों पर शिफ्ट किया गया। जबकि इससे पहले 81 परिवारों को शिफ्ट किया गया था। प्रशासन की ओर से अब तक विभिन्न संस्थाओं-भवनों में कुल 344 कमरों का अधिग्रहण किया गया है। इनमें 1425 लोगों को ठहराने की व्यवस्था की गई है।
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मंगलवार को गृह मंत्रालय की टीम सचिव सीमा प्रबंधन की अध्यक्षता में जोशीमठ पहुंची और स्थिति का आकलन किया। इसके अलावा केंद्रीय एजेंसियां एनजीआरआई, एनआईएच, सीबीआरआई, एनआईडीएम की टीम पहले से ही जोशीमठ में डेरा जमाए हुए हैं। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ.रंजीत सिन्हा ने बताया कि आईआईटी रुड़की की टीम को भी मौके पर भेजा रहा है।
चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने कहा कि आपदा अधिनियम के तहत जान-माल की सुरक्षा को देखते हुए होटलों को तत्काल ध्वस्त करने का निर्णय लिया गया है। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो आसपास के आवासीय भवनों और हाईवे को क्षति पहुंच सकती है। साथ ही बिजली और पेयजल की लाइनों को भी नुकसान पहुंच सकता है।
भू धंसाव से असुरक्षित क्षेत्र में प्रशासन की ओर से ऊर्जा निगम को बिजली लाइनें हटाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत मंगलवार को 20 असुरक्षित भवनों के कनेक्शन काट दिए गए। आगे भी अन्य असुरक्षित भवनों की लाइट काटी जाएगी।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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