हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की भर्तियों में बड़ा खेल उजागर होने के बाद सरकार में जारी हंगामे के बीच मुख्यमंत्री के एक बयान ने खट्टर सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एचपीएससी के उप सचिव अनिल नागर की गिरफ्तारी के साथ एक करोड़ रुपये से अधिक नकदी की बरामदगी की बात खुद सीएम खट्टर के नकार देने से सरकार घिर गई है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने खट्टर सरकार पर सिलसिलेवार हमला बोला है। उन्होंने कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार के ‘‘खर्ची की अटैची लाओ- पद पाओ" अभियान की परतें खुलते ही अब सारी ताकत नौकरी बेचने वाले गिरोह के संरक्षक आला अधिकारियों और सफेदपोशों को बचाने में लगाई जा रही है।
रणदीप सुरजेवाला ने चंडीगढ़ में कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार और सीएम मनोहर लाल खट्टर अपनी जिम्मेदारी स्वीकारने की बजाय पूरी तफ्तीश को दिग्भ्रमित कर अपना पीछा छुड़ाने की कोशिश में हैं। लगता है कि पुलिस और विजिलेंस विभाग भी अब नौकरी घोटाले की जांच पूरी होने से पहले ही पर्दा डालने पर लगे हैं। पूरी सरकार मिलकर किसी कीमत पर सारे मामले को रफा-दफा करने में लगी है। यहां तक कि मुख्य दोषी पुलिस की हिरासत से छूट अब न्यायिक हिरासत में चैन से हैं। इस गति से तो मुख्य आरोपी बहुत जल्द जमानत पर होंगे और 2018 के एचपीएससी के ‘‘रिश्वत दो-नौकरी लो’’ घोटाले की तरह मौजूदा नौकरी बिक्री का व्यापमं घोटाला भी पाताल की तह में छिप जाएगा।
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सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार और मुख्यमंत्री अपनी जवाबदेही से पल्ला नहीं झाड़ सकते। नए सनसनीखेज खुलासे और तथ्य अब सीधे तौर से ‘‘पर्दा डालो-अपराधी बचाओ’’ योजना की ओर इशारा कर रहे हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार और मुख्यमंत्री को सिलसिलेवार बिंदुओं का जवाब देना होगा। खट्टर साहेब ने ‘‘झूठ’’ बोलकर क्यों बरगलाया, किसे बचाया?
सुरजेवाला ने कहा कि विजिलेंस विभाग ने 20 नवंबर, 2021 को प्रेस विज्ञप्ति के जरिये मीडिया को बताया कि एचपीएससी का डिप्टी सेक्रेटरी अनिल नागर एक करोड़ से अधिक रुपये की रिश्वत के साथ ‘दफ्तर’ से गिरफ्तार किया गया। विजिलेंस ने 23 नवंबर को फिर अदालत में दी रिमांड की दरख्वास्त में यह माना कि आरोपी अनिल नागर को हरियाणा लोकसेवा आयोग से रिश्वत के 1.07 करोड़ के साथ गिरफ्तार किया गया। लेकिन 23 नवंबर को हाई पॉवर परचेज कमेटी की बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने एचपीएससी के डिप्टी सेक्रेटरी अनिल नागर को रिश्वत की राशि के साथ एचपीएससी के कार्यालय से रिकवर होने की बात सिरे से ही नकार दी।
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दूसरी तरफ, अनिल नागर के वकील पहले से ही पैसे की रिकवरी न होने की बात कह रहे हैं। ऐसे में अनिल नागर के वकील और मुख्यमंत्री लगभग एक ही बात कह रहे हैं, जो हरियाणा विजिलेंस ब्यूरो की बात को झुठला रही है। साफ है कि रिश्वत के पैसे की रिकवरी पर अगर मुख्यमंत्री अपने ही विजिलेंस ब्यूरो की बात को झुठला देंगे तो मुख्य आरोपी अनिल नागर के खिलाफ तो केस अपने आप ही कमजोर पड़ जाएगा। सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि आखिर मुख्यमंत्री ने झूठ क्यों बोला?
इतने बड़े घोटाले में मुख्य आरोपी अनिल नागर, अश्विनी शर्मा और नवीन का पुलिस रिमांड कैसे और क्यों खारिज हुआ? उन्होंने कहा कि कमाल की बात यह है कि अभी तक पुलिस विजिलेंस ब्यूरो ने अपनी जांच पूरी तरह से शुरू भी नहीं की। न तो अनिल नागर के मामा रामकिशन के घर गांव रिठाल, जिला रोहतक जाकर बरामदगी की, न ही अनिल नागर के निवास मकान नंबर 12/766, पुराना आर्य नगर, रोहतक से कागजात की बरामदगी की, न ही अनिल नागर के मकान नंबर 396, सेक्टर 17, पंचकूला से कागजात की बरामदगी की, न ही अश्विनी शर्मा के मकान शिव कॉलोनी, सोनीपत से कागजात की बरामदगी की, न ही एप्लीकेशन पोर्टल-स्कैनिंग-पेपर चेक करने वाली जसबीर सिंह मलिक की पंचकूला के सेक्टर 11 में स्थित एजेंसी से बरामदगी की, न ही मुख्य आरोपियों जसबीर सिंह मलिक, जसबीर सिंह भलारा, विजय भलारा के साथ आमने-सामने बिठाकर तफ्तीश की, न ही एचएसएससी से जांच या बरामदगी की और न ही हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से एचटीईटी की परीक्षा के बारे में जांच या बरामदगी की।
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सुरजेवाला ने कहा कि संयोग देखिए कि इन सबके बावजूद मुख्य आरोपी अनिल नागर, अश्विनी शर्मा और नवीन को पुलिस रिमांड और हिरासत से छोड़कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। एक तरह पुलिस की हिरासत में आरोपियों की तफ्तीश बंद हो गई। इस गति से तो शायद कुछ समय के बाद मुख्य आरोपी जमानत पर भी छूट जाएं। यह सब ‘संयोग है या प्रयोग’? पुलिस रिमांड के बगैर इन सारे षडयंत्रों की परत कैसे खुलेगी? इन सारे कागजात की बरामदगी कैसे होगी? इन सारे घोटालों पर से पर्दा कैसे उठेगा? उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार और उनकी विजिलेंस क्या कर रही है?
सुरजेवाला ने कहा कि सवाल बड़ा सीधा है। एचसीएस पेपर का नतीजा 24 सितंबर, 2021 को आया और अनिल नागर की गिरफ्तारी 18 नवंबर, 2021 को हुई और उसके बाद रेड में ओएमआर शीट बरामद हुई। यानी एचसीएस का रिजल्ट आने के बाद पूरे दो महीने (56 दिन) बीत गए। तो क्या अनिल नागर ओएमआर शीट दो महीने से अपने दफ्तर में रखे बैठा था कि विजिलेंस आए और उन ओएमआर शीट्स को बरामद कर ले? क्या ऐसा तो नहीं कि धांधली बहुत बड़े स्तर पर हुई और पहले रिजल्ट में धांधली करने के बाद ओएमआर शीट्स भरने का दूसरा राउंड चल रहा था ताकि रिवाईज़्ड रिजल्ट में भी अपने गुर्गे फिट किए जा सकें?
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कांग्रेस महासचिव ने सवाल किया कि एचएसएससी नौकरी बिक्री घोटाले की जांच शुरू होने से पहले ही बंद क्यों हो गई? अगर विजिलेंस विभाग की भी मानें तो साल 2021 में नौकरियों की मंडी लगा बिक्री करने वाले इसी गिरोह ने एचएसएससी द्वारा भर्ती किए गए स्टाफ नर्स, एएनएम और वीएलडीए के पेपर भी लाखों रुपये की रिश्वत लेकर नाजायज तरीके से पास करवाए थे। विजिलेंस की रिमांड की दरख्वास्त में यह भी साफ लिखा है कि अश्विनी शर्मा एचएसएससी के अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलकर लिखित परीक्षा पास करवा देता था। एचएसएससी द्वारा हाल में हुई सब इंस्पेक्टर, पुलिस भर्ती में फर्जीवाड़े के सबूत मिले तो फिर जांच क्यों नहीं? 15 चयनित पुलिस सब इंस्पेक्टर नौकरी की चिट्ठी लेने ही नहीं आए। शायद उन्हें खतरा था कि उनका बायोमेट्रिक स्कैन नहीं मिलेगा और वह पकड़े जाएंगे।
सुरजेवाला ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के एचटीईटी पेपर घोटाले की जांच पर पर्दा क्यों? सामने आया है कि इसी नौकरी बिक्री गिरोह के तार 2016 से एचटीईटी पेपर पास करवाने से भी जुड़े हैं। आरटीआई में तो यह भी खुलासा हुआ है कि हर बार एचटीईटी परीक्षा का ठेका उन्हीं एजेंसियों को दिया गया, जो अनियमितताओं के चलते विवादों के घेरे में थीं। संयोग से अनिल नागर उन दिनों शिक्षा बोर्ड के सचिव थे तो फिर जांच क्यों नहीं? वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि हरियाणा के युवाओं के पास अब केवल दो रास्ते बचे हैं। पहला, अटैची देकर नौकरी खरीद लें। दूसरा, खट्टर सरकार की आंखों में आंखें डालकर जवाब मांगें। यह लड़ाई हरियाणा के भविष्य को बचाने की है। बीजेपी-जेजेपी याद रखें कि हरियाणा के युवा अपराधियों को 100 पर्दों के पीछे भी छिपने नहीं देंगे।
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