हरियाणा विधानसभा के 20 अगस्त से आरंभ हो रहे मानसून सत्र के लिए सरकार को घेरने की पटकथा लिखी जा चुकी है। महंगाई, कोरोना से निबटने में कु-प्रबंधन, पेपर लीक, बेरोजगारी, अवैध खनन और किसान आंदोलन को लेकर सरकार के संवेदनहीन रवैये समेत विपक्ष के पास मुद्दों की इतनी लंबी फेहरिस्त है, जिन पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार असहज है। आज हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भी यह साफ कर दिया गया कि हर उस मुद्दे पर सरकार से सवाल पूछे जाएंगे, जिनके जवाब जनता जानना चाहती है।
नेता विरोधी दल भूपिंदर सिंह हुड्डा ने चंडीगढ़ में बताया कि पार्टी विधायकों ने पेपर लीक और भर्ती घोटालों पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा किसानों पर दर्ज किए जा रहे राजद्रोह के फर्जी मुकदमों, जलभराव से फसलों को हुए नुकसान, ट्यूबवेल कनेक्शन देने में हो रही देरी, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए भी स्थगन और काम रोको प्रस्ताव दिए गए हैं।
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नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि विधानसभा में सरकार से हर उस मुद्दे पर सवाल पूछे जाएंगे, जनता जिनके जवाब चाहती है। क्योंकि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार की कु-नीतियों के चलते आज प्रदेश की जनता अनगिनत चुनौतियों का सामना कर रही है। लेकिन सरकार आंख बंद किए बैठी है। सरकार ने जिस तरह कोरोना और ऑक्सीजन की कमी से मौतों के आंकड़े छिपाए, उससे स्पष्ट है कि सरकार जमीनी सच्चाई को नहीं देखना चाहती। आज बेरोजगारी, अपराध और महंगाई अपने चरम पर है। पूरे देश के मुकाबले हरियाणा 4 गुणा ज्यादा (28.1 फीसदी) बेरोजगारी झेल रहा है। रोजगार और सरकारी भर्तियों के नाम पर घोटालों को अंजाम दिया जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान गरीब परिवारों को भोजन का अधिकार दिया गया था। उसके तहत ऐसे परिवारों को अनाज, दाल, चीनी, नमक और तेल मुहैया करवाया जाता था। लेकिन बीजेपी-जेजेपी सरकार के लिए फ्री राशन की यह योजना सिर्फ विज्ञापन और इवेंट का माध्यम बन गई है। सरकार ने गरीबों को दाल, सरसों तेल, चीनी और नमक देना बंद कर दिया। उन्हें जो अनाज दिया जा रहा है, वह एकदम घटिया क्वालिटी का है। गरीब परिवारों को ऐसा अनाज दिया जा रहा है, जिसे जानवर भी नहीं खा सकते। ऐसा लगता है सरकार ने सारा जोर सिर्फ थैले पर फोटो छपवाने में लगाया है, ना कि राशन की गुणवत्ता पर।
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पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल की बहू और तोशाम से विधायक किरण चौधरी ने कहा कि उन्होंने किसान आंदोलन से जुड़े मसलों पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव दिया है। 9 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लगाए हैं, जिनमें पेट्रोल, डीजल और कुकिंग गैस की बढ़ती कीमतें, बेरोजगारी, प्रतियोगी परीक्षाओं के 28 पेपर लीक होने और कोरोना से निबटने में कु-प्रबंधन जैसे मसले शामिल हैं।
नूंह से विधायक चौधरी आफताब अहमद ने लिंचिंग के खिलाफ प्राइवेट मेंबर बिल दिया है। सूत्रों के अनुसार बिल को विधानसभा अध्यक्ष ने कानूनी राय के लिए भेज दिया है। 'हरियाणा प्रोटेक्शन फ्रॉम लिंचिंग बिल 2021' का मक़सद लिंचिंग के गुनाहगारों को सजा दिलाने, मामले की तेज़ सुनवाई कराने, पीड़ित व उनके परिवारों की पुनर्वास में मदद करना है। आफताब अहमद का कहना है कि दिन-प्रतिदिन बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाओं ने सामाजिक ताने-बाने को बहुत नुकसान पहुंचाया है। इसीलिए इस बिल को लाया गया है।
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मानसून सत्र के पहले तीन दिनों के लिए निकाले गए ड्रॉ में तारांकित प्रश्नों के लिए 60 विधायकों के नामों की पर्चियां निकाली जा चुकी हैं। विधानसभा सचिवालय को 47 विधायकों की ओर से 238 तारांकित और 120 अतारांकित प्रश्नों के नोटिस प्राप्त हुए हैं। विधानसभा को सरकार की ओर से भी अभी तक चार विधेयक पेश करने के नोटिस प्राप्त हुए हैं। सरकार की ओर से जो विधेयक पेश किए जाने हैं, उनमें से पहला शहरी स्थानीय निकाय विभाग से संबंधित है। इसके साथ ही महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय से संबंधित विधेयक भी पेश किया जाना है। हरियाणा लोकायुक्त विधेयक में संशोधन और हरियाणा उद्यम प्रोन्नति संशोधन विधेयक 2021 भी मानसून सत्र का हिस्सा बन सकता है।
वहीं, निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद भी एक प्राइवेट मेंबर बिल लाने वाले हैं। कुल मिलाकर हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र हंगामेदार होना तय है। सत्र की अवधि 20 अगस्त को ही बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में तय होगी, लेकिन संभावना है कि विपक्ष के हमलों से बचने के लिए सरकार इसे छोटा रखने पर ही जोर देगी।
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