मुजफ्फरनगर के महिला थाने में एक महिला सब इंस्पेक्टर के जहर खाने के बाद हड़कंप मच गया है। मामले में कार्रवाई करते हुए एसएसपी ने पूरे थाने को लाइन हाजिर कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, महिला सब इंस्पेक्टर के जहर खाने के पीछे दहेज उत्पीड़न के एक मामले में ली गई ढाई लाख रुपये की रिश्वत है। इस मामले में पुलिस की काफी किरिकरी हुई है। जहर खाने वाली दरोगा सीमा यादव को छोड़कर बाकी सभी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
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सूत्रों के मुताबिक, यह पूरा ममाला तितावी थाने में दर्ज एक दहेज उत्पीड़न से जुड़ा है। यहां के सोहजनी गांव की रहने वाली एकता नाम की महिला ने 11 जून, 2019 को अपने पति विक्रांत और ससुरालवालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज कराया था। महिला के पति विक्रांत का आरोप है कि महिला थाने की इंस्पेक्टर प्रीता रानी ने जेल भेजने का डर दिखा कर ढाई लाख रुपये उनसे ऐंठ लिए। इसके बाद भी उनके भाई सचिन को उठाकर हवालात में बंद कर दिया। यह बात अफसरों के संज्ञान में आने पर महिला के पति विक्रांत के भाई को छोड़ दिया गया।
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रिश्वतखोरी के मामले में उच्च अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद सीओ सिटी हरीश भदौरिया को इस मामले की जांच सौंपी गई, जिसमें सभी आरोप सही पाए गए। सोमवार को जांच पूरी हो गई, जिसमें महिला थाने की इंस्पेक्टर प्रीता रानी और विवेचक सब इंस्पेक्टर सीमा यादव सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की गई। जांच पूरी होने के बाद 65 पुलिस कर्मियों पर निलंबन की तलवर लटकने लगी है। इनमें महिला थाने की इंस्पेक्टर प्रीता रानी, 7 एसआई और 38 सिपाही और तीन पीआरडी के जवान शामिल हैं।
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अपने बयान में खुद को निर्दोष बताते हुए सब इंस्पेक्टर सीमा यादव ने कीटनाशक पी लिया। फिलहाल सीमा यादव की हालत गंभीर है। सीमा यादव की हालत देखने के बाद उनके पिता जय सिंह को दिल का दौरा पड़ गया।
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मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक यादव के मुताबिक, पिछले कुछ समय से महिला थाने की कार्यशैली में कई प्रकार की अनियमितताएं सामने आई हैं। इसलिए पूरे थाने को लाइन हाजिर किया गया है। उन्होंने बताया कि फिलहाल इस कार्रवाई से जहर खाने वाली सब इंस्पेक्टर सीमा यादव को अलग रखा गया है।
मामला सामने आने के बाद महिला थाने में पूरी तरह सन्नाटा पसर गया है। थाना पहुंचने वाले पीड़ितों को भी लगातार परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जनपद पुलिस के तमाम आला अधिकारियों ने बुधवार देर रात तक इस मुद्दे पर बैठक की।
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कांग्रेस पार्षद सादिया उमर ने कहा, “महिला थाना काफी समय से भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका था। यहां रिश्वत की आड़ में इंसाफ पिस रहा था। पीड़ितों को धक्के खाने को मिल रहे थे। यह घटना बताती है कि स्थिति कितनी अधिक गंभीर थी, और न्याय किसी को नही मिल रहा था।”
सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में थाना स्तर पर बढ़ रहा भ्रष्टाचार एक बड़ी चिंता बना हुआ है। थाना पुलिस निरंकुश भी दिखाई देती है। सत्ताधारी पार्टी का अक्सर थाना पुलिस से टकराव देखने को मिलता रहता है।
अधिवक्ता ठाकुर देवेंद्र सिंह कहते हैं, “यह घटना भी निश्चित तौर पर इसी तरह की मनमानी का परिणाम है। इससे पता चलता है कि महिला थाने रिश्वतखोरी में लगे हुए हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस अपनी छवि को कितना भी साफ बताने की कोशिश करे, लेकिन जमीनी हकीकत मैला ही है।”
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