उत्तर प्रदेश में आज अपराधियों से ज्यादा लोग पुलिस से खौफ खाने लगे हैं। आलाधिकारी जहां पुलिस को लगातार अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे हैं, जनता से फ्रेंडली होने के टिप्स दे रहे हैं। पुलिस के साथ जनता को भी जागरूक किया जा रहा है और पुलिस को अपना दोस्त मानने की सलाह दी जा रही है। वहीं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई ताजा घटना एप्पल के अधिकारी विवेक तिवारी की गोली मारकर निर्मम हत्या ने पुलिस के इस अभियान की पोल खोलकर कई सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। बच्चियां हाथों में पोस्टर लेकर पुलिस महकमे पर कटाक्ष करती हुई, नजर आ रही है कि ‘पुलिस अंकल गोली मत चलाना..आपके कहने पर पापा गाड़ी रोक देंगे।’
ये पोस्टर सोशल मीडिया में बड़ी तेजी से फैल गया है। लोग इसे सोशल मीडिया पर तेजी से शेयर कर रहे हैं। इस घटना से देश सदमे में है वहीं पुलिस के प्रति लोगों में गुस्सा व्याप्त है। सभी का एक ही सवाल है कि अपराधियों के साथ ऐसा बर्ताव करने वाली पुलिस में आम आदमी की हत्या करने की हिम्मत कहां से आई? आखिर पुलिस की ऐसी मजबूरी और मानसिकता के लिए कौन जिम्मेदार है?
अभी एक ताजा मामला उत्तर प्रदेश के बलरामपुर का सामने आया था, जहां लड़की भगाने के आरोप में दो पक्षों में कई दिनों से विवाद चल रहा था। खबरों के मुताबिक, इस दौरान दोनों पक्षों में मारपीट हो गई जहां एक बिना वर्दी वाला सिपाही भी उसमें घायल हो गया। फिर क्या था, खुद को सबसे पावरफुल मानने वाली पुलिस का बर्बर चेहरा सामने आया और पूरे गांव में ऐसा तांडव किया कि गांव के कई लोग थाने की चाहरदीवारी में कैद कर लिए गए। महिलाएं चोटिल हुई, वहीं गांव के पुरुष सदस्य गांव छोड़कर ही भागने पर मजबूर हो गए।
दूसरा मामला उत्तर प्रदेश के बांदा का है, जहां एक ट्रेन में सीट कब्जा करके बैठे एक सिपाही से मामूली बहस ने बड़ा रूप ले लिया। यहां भी पुलिस ने अपनी पावर का इस्तेमाल करके बता दिया कि पुलिस कुछ भी कर सकती है। खबरों के मुताबिक, बांदा स्टेशन पर ट्रेन जैसे ही पहुंची दर्जन भर सिपाहियों ने उन छात्रों की बेरहमी से पिटाई शुरू कर दी। बचाव में आये शिक्षकों को भी पीटा गया। उत्पीड़न बढ़ता देख छात्र उग्र हुए तो कार्रवाई के बजाय एसओ द्वारा आरोपी सिपाहियों को बचाने और उन्हें भगाने का आरोप भी लगा।
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लखनऊ में हुई घटना एप्पल के सेल्स अधिकारी विवेक तिवारी की गोली मारकर हत्या करने के आरोप में दोनों आरोपी पुलिस कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी और संदीप कुमार को नौकरी से बर्खास्त तो कर दिया गया, लेकिन इस अमानवीयता के बाद भी आरोपी पुलिसकर्मियों के चेहरे पर तनिक भी पछतावा नहीं दिखाई दिया। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया, “मुझे दबाया जा रहा है। मेरी एफआईआर तक नहीं लिखी जा रही। आरोपी सिपाही से मीडिया द्वारा किए गए एक सवाल कि उसे मुजरिम साबित कर दिया गया है, जवाब में उसने कहा कि मुझे मुजरिम साबित कर दिया गया है, क्योंकि पुलिस तो कुछ भी कर सकती है। मतलब साफ है कि पुलिस में तैनात आरोपी सिपाही भी मानता है कि पुलिस बेलगाम है और कुछ भी कर सकती है।”
पुलिस के आला अधिकारी भी मानते हैं कि विभाग में ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें जरूरत के मुताबिक विशेष प्रशिक्षण, सजा और उनकी काउंसिलिंग करने की जरूरत है। लखनऊ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्णा का कहना है कि विभाग में 98 प्रतिशत लोग अच्छे हैं तो वहीं दो प्रतिशत लोग गड़बड़ हैं। उनका कहना है कि गड़बड़ लोगों को जरूरत के मुताबिक विशेष प्रशिक्षण और सजा देने के साथ-साथ उनकी काउंसिलिंग करने की जरूरत है।
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