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सुप्रीम कोर्ट से राहत के बावजूद आजम खां और बेटे को यूपी पुलिस का झटका, फिर से आपराधिक साजिश का मामला दर्ज

यूपी पुलिस का यह कदम पिता-पुत्र की जोड़ी के लिए नया झटका है, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जमानत दी थी। कोर्ट ने कहा था कि आरोपपत्र दायर हो चुका है, ऐसे में निचली कोर्ट द्वारा दो हफ्ते के भीतर मुखबिर का बयान दर्ज कर उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।

फाइल फोटोः IANS
फाइल फोटोः IANS 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद मोहम्मद आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को कथित धोखाधड़ी और दस्तावेजों की जालसाजी के मामले में जमानत दिए जाने के निर्देश के बाद अब यूपी पुलिस ने संबंधित मामले में पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है। साथ ही, दोनों पर आपराधिक साजिश की गैर-जमानती धारा के तहत मामला दर्ज किया है।

आजम खान और उनके बेटे को रामपुर में 2019 में दायर की गई जन्म प्रमाणपत्र की कथित जालसाजी से संबंधित इस प्राथमिकी में जमानत पाने के लिए अब एक नई जमानत याचिका दायर करनी होगी। इस प्राथमिकी में खान की पत्नी तंजीन फातिमा का भी नाम था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में मामले के तीनों आरोपियों को सशर्त जमानत दी थी, जिसके बाद तंजीन फातिमा को जेल से रिहा कर दिया गया था।

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रामपुर के एडिशनल एसपी संसार सिंह ने कहा, "हमने इस मामले में आजम खां, उनकी पत्नी और उनके बेटे के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की है और इसमें धारा 120बी जोड़ी है, क्योंकि आपराधिक साजिश के स्पष्ट सबूत हैं। पूरक आरोपपत्र के समय के बारे में पूछे जाने पर संसार सिंह ने कहा, "हम मामले पर काम कर रहे थे। इस मामले में मुख्य आवेदक आकाश सक्सेना (बीजेपी नेता) से एक आवेदन प्राप्त होने के बाद हमने कार्रवाई की।"

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इस मामले पर एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां पूरक आरोपपत्र नए आरोपों के साथ दायर किया जाता है और यहां तक कि जब एक अदालत द्वारा जमानत दे दी जाती है, तो भी आवेदक को जोड़ी गई नई धाराओं में जमानत के लिए आवेदन करना होता है। इसलिए अब इस आजम खान और उनके बेटे को फिर से जमानत के लिए आवेदन करना होगा।

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यूपी पुलिस का यह कदम पिता-पुत्र की जोड़ी के लिए एक नए झटके के रूप में है, जो फरवरी 2020 से जेल में हैं और जिन्हें मंगलवार को शीर्ष अदालत ने जमानत दे दी थी। अदालत ने कहा था कि चूंकि मामले में आरोपपत्र दायर किया गया है, निचली अदालत द्वारा दो सप्ताह के भीतर मुखबिर का बयान दर्ज करने के बाद उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।

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बता दें कि इस मामले में आरोप है कि आजम खान ने कथित तौर पर जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर अपने बेटे को दूसरा पैनकार्ड दिलाने में मदद की थी। गलत जन्मतिथि ने उन्हें 2017 में रामपुर के सुअर निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ने में सक्षम बनाया। दोनों के खिलाफ जालसाजी के कई मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर में उन्हें जमानत मिल गई है।

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