उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के नतीजे आने के बाद आपने टीवी मीडिया में बीजेपी का गुणगान देखा होगा। बीजेपी की शान में जमकर कसीदे पढ़े गए। जीत के पर्दे में जो छुला लिया गया, उसके बारे में शायद कम लोग ही जान पाए हैं। हकीकत यह है कि कई मंत्रियों, बीजेपी विधायकों और सांसदों के इलाके में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी। बीजेपी द्वारा चुनाव कराने के लिए भेजे गए राष्ट्रीय पदाधिकारी अपने क्षेत्र में पार्षद तक नहीं जितवा पाए। चुनाव नतीजे आने के बाद धीरे-धीरे हकीकत सामने आने लगी है।
चुनावी नतीजों के बाद बीजेपी प्रदेश मुख्यालय को मिल रहे फीडबैक में यह बात सामने आई है है कि कई जगहों पर बीजेपी सांसदों और विधायकों के करीबियों ने बगावत कर पार्टी प्रत्याशी को चुनाव हरा दिया। सबसे पहले तो यह सांसद और विधायक अपने करिबियों को मैदान से हटाने में नाकाम रहे और फिर पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार में भी दिलचस्पी नहीं दिखाई। नतीजा यह हुआ कि बीजेपी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा।
चुनाव हारने के बाद बीजेपी प्रत्याशियों ने इसका ठीकरा पार्टी के विधायकों और सांसदों पर फोड़ना शुरू कर दिया है। अवध समेत अन्य क्षेत्रों में आरोप लगाए जा रहे हैं कि कई सांसदों और विधायकों ने न सिर्फ अपने परिजनों और करीबियों को रणनीति के तहत चुनाव लड़ाया, बल्कि पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी की हार के लिए पर्दे के पीछे प्लानिंग की। नतीजे आते ही ये विधायक और सांसद फिर सक्रिय होकर मैदान में आ गए हैं। आइए अब आपको विस्तार से बताते हैं कि निकाय चुनाव में किन दिग्गजों के होने का बावजूद बीजेपी प्रत्याशियों को अपनी सीट पर हार का सामना करना पड़ा।
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निकाय चुनाव में अमरौधा नगर पंचायत की बीजेपी प्रत्याशी उमा देवी को हार का सामना करना पड़ा। जालौन सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री भानुप्रताप वर्मा और प्रदेश सरकार के एमएसएमई मंत्री राकेश सचान भी अपने क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशी को नहीं जिता सके।
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निकाय चुनाव में रामपुर मनिहारान में बीजेपी प्रत्याशी सुशीला देवी को हार का सामना करना पड़ा। उन्हें बीएसपी की रेनू ने हरा दिया। रामपुर मनिहारान विधानसभा से बीजेपी विधायक देवेंद्र निम और प्रदेश के औद्योगिक विकास राज्य मंत्री जसवंत सैनी अपने क्षेत्र में बीजेपी प्रत्याशी को जीत नहीं दिलवा सके। नकुड विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी विधायक मुकेश चौधरी सरसावा नगर पालिका में बीजेपी प्रत्याशी वर्षा मोगा को जीत नहीं दिलवा सके।
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देवरिया जिले में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और राज्यमंत्री विजय लक्ष्मी गौतम के क्षेत्र की सलेमपुर और पथरदेवा नगर पंचायत में बीजेपी प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। देवरिया सदर संसदीय क्षेत्र के बरियापुर और सलेमुपर संसदीय क्षेत्र के लार, भटनी, मझौलीराज में भी बीजेपी प्रत्याशियों की हार हुई। देवरिया सदर से बीजेपी के डॉ. रमापति राम त्रिपाठी सांसद हैं।
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बड़ौत विधानसभा से विधायक और मंत्री केपी मलिक के क्षेत्र की बड़ौत नगर पालिका से बीजेपी प्रत्याशी सुधीर मान को हार का सामना करना पड़ा। अमीनगर सराय नगर पंचायत से बीजेपी की बागी सुनीता मलिक ने जीत हासिल की। सुनीता के पति अनिल मलिक, मंत्री केपी मलिक और विधायक योगेश धामा के करीबी हैं।
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अकबरपुर रनियां विधायक और राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला के क्षेत्र की अकबरपुर नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर बीजेपी प्रत्याशी ज्योत्सना कटियार और रनियां नगर पंचायत की बीजेपी प्रत्याशी साधना दिवाकर चुनाव हार गई।
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बस्ती जिले की एक नगर पालिका सांसद और बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री हरीश द्विवेदी का गढ़ माना जाता था, लेकिन यहां भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा हर्रैया नगर पंचायत, जहां बीजेपी विधायक अजय सिंह चुनाव का नेतृत्व कर रहे थे वहां भी बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी।
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फतेहपुर सीकरी से सांसद और बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर के क्षेत्र की फतेहपुर सीकरी नगर पालिका में बएसपी ने जीत हासिल की।
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