लोकसभा चुनाव के पहले यूपी में हो रहे निकाय चुनाव में कई मायनों में खास बनता जा रहा है। इस बार बीजेपी ने मुस्लिम उम्मीदवारों पर भरपूर टिकट दिया और उनपर भरोसा जताया है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो सत्तारूढ़ बीजेपी लगातार नए प्रयोग करती रहती है, जिससे उसको चुनावी सफलता मिल सके। यही वजह है कि मुस्लिमों को अब तक टिकट देने से परहेज करने वाली बीजेपी ने निकाय चुनाव में पहली बार बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। लेकिन, उनका यह दांव कितना सफल होगा यह तो नतीजे ही बताएंगे।
बीजेपी से मिली जानकारी के अनुसार, निकाय चुनाव में 391 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें 5 नगर पालिका परिषद और 35 नगर पंचायतों के अध्यक्ष प्रत्याशियों के अलावा नगर निगमों के पार्षद प्रत्याशी शामिल हैं। इसमें दो पार्षद उम्मीदवार लखनऊ, 21 मेरठ, 13 सहारनपुर और तीन बनारस में है।
Published: 30 Apr 2023, 12:59 PM IST
जानकार बताते है कि बीजेपी ने इस चुनाव में ज्यादा से ज्यादा निकायों को जीतने का लक्ष्य रखा है। इसी कारण उसने अपनी इस थ्योरी का इस्तेमाल किया है। उसने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में मुसलमान उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है।
बीएसपी ने भी निकाय चुनाव में मुस्लिमों पर बड़ा दांव खेला है। इन्होंने पहली बार 65 फीसद उम्मीदवार सिर्फ इस समुदाय से ही उतारे हैं। बीजेपी ने मेयर पद के लिए 17 में 11 उम्मीदवार मुस्लिम उतारे हैं। जबकि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने 4-4 मेयर सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है।
Published: 30 Apr 2023, 12:59 PM IST
राजनीतिक जानकारों की माने तो पार्टी ने जिन निकायों और वाडरें में मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं, उनमें या तो वह कभी जीती नहीं या उनमें चुनाव लड़े नहीं। इन लोगों ने मुस्लिम उम्मीदवारों पर भरोसा जताकर अल्पसंख्यक समुदाय के बड़े वोट बैंक में सेंध लगाने का तानाबाना बुना है। साथ ही यह संदेश दिया है कि वह इनको अपने से दूर नहीं मानते हैं।
बीजेपी के अल्पसंख्यक राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विकास वाली राजनीति पर भरोसा कर मुस्लिम हमारी पार्टी से जुड़ रहा है। हमारी पार्टी ने कभी वोट बैंक की राजनीति नहीं की है। हमारी पार्टी इस समाज का उत्थान चाहती है। निकाय चुनाव में बीजेपी ने बड़ी संख्या में टिकट दिया है। यह जीतकर डबल इंजन सरकार के साथ काम करेंगे और सभी को आगे बढ़ाएंगे।
Published: 30 Apr 2023, 12:59 PM IST
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता डाक्टर आशुतोष वर्मा बीजेपी के मुस्लिम उम्मीदवार बनाए जाने पर कहते हैं कि बीजेपी इस चीज को समझ चुकी है कि इस देश में एक ऐसी आबादी है जिसको आप गाली देकर कुछ समय के लिए सत्ता तो पा सकते हैं, लेकिन देश का भला नहीं कर सकते। बीजेपी पर अल्पसंख्यक विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं। चूंकि अब बीजेपी को पता चल चुका है उसकी निकाय चुनाव में जमीन खिसकने वाली है तो वह ऐसे काम कर रही है। लेकिन मुस्लिम समाज अपने अपमान को भूला नहीं है। वो जानता है उसके पक्ष में समाजवादी पार्टी संसद से लेकर सड़क तक की लड़ाई लड़ती है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि 2012 से लेकर अब तक बीजेपी ने मुस्लिम समुदाय को अपने कैंपेन से दूर रखा है। लेकिन पिछले दो तीन सालों में धीरे धीरे आरएसएस और बीजेपी की तरफ से इनके प्रति सॉफ्ट कॉर्नर दिख रहा है। बीजेपी के अंदर यह धारणा बनी है कि अब इनको हम अलग नहीं रख सकते हैं। अब उन्हें साथ लेकर चल रहे हैं। इसकी शुरूआत पसमांदा से हुई है। इसके बाद अन्य वर्ग को भी जोड़ेंगे। इसका प्रमाण 2024 में देखने को मिलेगा।
Published: 30 Apr 2023, 12:59 PM IST
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक और मुस्लिम सियासत के जानकार हुसैन अफसर कहते हैं कि लोकतंत्र में सभी पार्टी चाहती है कि उसे हर वर्ग का वोट मिले। इसीलिए बीजेपी ने यह कदम उठाया है। बीजेपी ने पसमांदा मुस्लिम को ध्यान में रखकर टिकट बांटे हैं। दरअसल निकाय चुनाव के माध्यम से वह लोकसभा के पहले टेस्ट करना चाहती है। बीजेपी का कुछ फीसद वोट बढ़ेगा। इस समुदाय को खुश करने का प्रयास कर रही है। यह लोग कई जगह वोट काटेंगे। बीएसपी और बीजेपी से मुस्लिम अभी सशंकित रहते हैं। अभी विश्वास जमाने की जरूरत है। मुस्लिम वोट बंटा रहता है। एक बड़ा वर्ग किसी के साथ चला जाता है। इतनी बड़ी तादात को कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता। इसीलिए यह लोग सबको साथ लेकर चलने का संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं।
Published: 30 Apr 2023, 12:59 PM IST
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Published: 30 Apr 2023, 12:59 PM IST