कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा है कि “उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार के मुखिया रोज ढोल पीटते हैं कि ये ऐक्शन हुआ-वो ऐक्शन हुआ। लेकिन असल में केवल दिखावा हो रहा है। सारा भ्रष्टाचार बीजेपी सरकार की नाक के नीचे हो रहा है।” प्रियंका गांधी ने एक ट्वीट में लिखा कि, “ MHRD की रिपोर्ट कह रही है कि मिड-डे मील में भ्रष्टाचार के मामले में यूपी नम्बर 1 पर है। ”
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गौरतलब है कि इसी साल सितंबर में एक पत्रकार ने उत्तर प्रदेश मिडडे मील योजना में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करते हुए दिखाया था कि किस तरह छात्रों को नमक से रोटी खाने को दी जाती है। खबर सामने आने के बाद इस मामले में कार्यवाही करने के बजाय उत्तर प्रदेश में बीजेपी की योगी सरकार ने उलटा पत्रकार पर ही मुकदमा दायर कर दिया था। लेकिन अब मोदी सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने खुलासा किया है कि मिडडे मील योजना के भ्रष्टाचार के मामलों में उत्तर प्रदेश नंबर वन पर है।
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बीजेपी सांसद भारती प्रवीण पवार के सवाल के जवाब में रमेश पोखरियाल निशंक ने लोकसभा में बीते 3 साल के दौरान मिडडे मील योजना में भ्रष्टाचार के मामलों का लेखाजोखा रखा। उन्होंने बताया कि मिडडे मील योजना में भ्रष्टाचार की 52 शिकायतें सरकार को मिली हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा 14 शिकायेतें अकेले उत्तर प्रदेश से हैं।
लोकसभा में दिए जवाब में पोखरियाल ने कहा, “पूरे देश में मिडडे मील योजना की 52 शिकायतें बीते तीन साल के दौरान सरकार को मिलीं। इस योजना के तहत छात्रों को पका हुआ पौष्टिक भोजन देने की जिम्मेदारी राजय सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन की है।”
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मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के बाद बिहार मिडडे मील योजना में भ्रष्टाचार के मामलों में दूसरे नंबर पर है। यहां से 11 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इसी तरह महाराष्ट्र से भी इस योजना में 5 शिकायतें मिली हैं। बाकी शिकायतें ओडिशा, उत्तराखंड, झारखंड, त्रिपुरा आदि राज्यों से हैं।
पोखरियाल ने बताया कि 52 में से 47 शिकायतों पर राज्य स्तर की जांच चल रही है। इन मामलों में राज्य सरकारों ने योजना के लिए जिम्मेदार अफसरों को चेतावनी दी है और मिडडे मील सप्लाई करने वाले कई संगठनों के ठेके निरस्त किए हैं। साथ ही आपराधिक प्रक्रिया भी शुरु की गई है।
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सरकार ने अपने जवाब में यह भी माना है कि मिडडे मील योजना का भोजन कर बीते तीन साल में 931 बच्चे बीमार पड़े। ऐसे सबसे ज्यादा 259 मामले झारखंड में दर्ज किए गए जबकि 201 मामलों के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर और 154 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे नंबर पर रहा।
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