हालात

उत्तर प्रदेशः जैसी सरकार, वैसी फसल खरीद योजनाएं, गांव-गांव पैदा एजेंटों को फसल बेचने पर मजबूर किसान

सरकार के बनाए कई फसल क्रय केंद्रों पर न कर्मचारी हैं, न बोरा और न ही इलेक्ट्राॅनिक तौल मशीन। जो प्रभावशाली किसान हैं, वे तो अपनी उपज बेच दे रहे हैं, लेकिन मध्यम किसान उपज घर में रखकर बेहतर दाम का इंतजार कर रहे हैं। सबसे बुरी हालत छोटी जोत के किसानों की है।

फोटोः पूर्णिमा श्रीवास्तव
फोटोः पूर्णिमा श्रीवास्तव 

गेहूं खरीद को लेकर यूपी के अफसरों ने किसानों की सहूलियत को लेकर जो हाईटेक योजनाएं बनाई हैं, वे कागजों में भले ही अच्छी लगती हैं, पर उन पर अमल करना गरीब किसान के लिए काफी मुश्किल है। उत्तर प्रदेश में ऑनलाइन पंजीकरण, टोकन व्यवस्था, किसान रथ एप, घर पहुंचकर एफपीओ द्वारा गेहूं खरीदारी सरीखी योजनाएं बनाई गई हैं।

पर, जमीन पर ये सारी घोषणाएं कई वाजिब सवाल पैदा करती हैं। मसलन, आम किसान के पास कितने स्मार्ट फोन हैं? लॉकडाउन में जनसेवा केंद्र बंद हैं तो किसान ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं? किसान रथ एप के जरिये कैसे ट्रैक्टर वाले को घर बुलाएं? शहरों में फंसे किसान गांव जाकर कैसे फसल कटवाएं और उसे कैसे बेचें?

Published: undefined

उत्तर प्रदेश में लगभग 2.50 करोड़ छोटे-बड़े किसान हैं। लेकिन गेहूं खरीद को लेकर 20 अप्रैल तक सिर्फ 60 हजार किसानों ने पंजीकरण कराया है। इनमें से सिर्फ 4,953 किसानों ने शुरुआती पांच दिनों में सरकार को 30,999 मीट्रिक टन गेहूं बेचा है। गेहूं खरीदारी जून महीने तक होनी है। प्रदेश सरकार ने 5,500 क्रय केंद्रों के माध्यम से 55 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है।

सरकार का कहना है कि उपज की खरीद फारमर्स प्रोड्यूसर आर्गनाइजेशन (एफपीओ) और फारमर्स प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीसी) के माध्यम से भी की जाएगी। प्रदेश में कृषि विभाग के अंतर्गत 115 एफपीओ और एफपीसी गठित हैं जबकि 140 के करीब नाबार्ड द्वारा एफपीओ और एफपीसी गठित हैं। अकेले गोरखपुर मंडल के 15 किसान उत्पादक संगठन हैं। इन एफपीओ को किसानों के घर जाकर गेहूं की खरीद करनी है। एफपीओ और एफपीसी किसान के खेत और घर से गेहूं की खरीद करेंगे और 72 घंटे के अंदर किसान के खाते में क्रय मूल्य का भुगतान करेंगे।

Published: undefined

पर, अब तक इन संगठनों ने एक छटाक भी गेहूं नहीं खरीदा है। गेहूं खरीद को लेकर एफपीओ को कड़ी शर्तों का पालन करना है। एफपीओ और एफसीसी को भुगतान के लिए सरकार कोई अग्रिम रकम नहीं दे रही है। खुद अपने संसाधनों से खरीदारी करने वाली इन एजेंसियों को एक लाख रुपये का गेहूं खरीदने पर सिर्फ 1,500 रुपये कमीशन मिलेगा। यदि एक क्विंटल भी गेहूं खरीद हुई तो 25 रुपये के बोरे का खर्च भी इसी एजेंसी को उठाना है।

एक एफपीओ संचालक का कहना है कि सरकार जो लाभ दे रही है, उसमें खरीदारी नामुमकिन है। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. ओमबीर सिंह एफपीओ द्वारा की गई खरीद के सवाल पर चुप्पी साध लेते हैं। इतना ही नहीं, सरकार ने किसानों के गेहूं को क्रय केंद्रों तक आसानी से पहुंचाने के लिए किसान रथ नाम का एप लाॅन्च किया है। डॉ ओमबीर सिंह का कहना है कि किसान रथ एप पर फिलहाल कुल 5.7 लाख ट्रक उपलब्ध हैं जिन्हें किसान अपनी जरूरत के हिसाब से बुक कर सकते हैं। बुक करते समय ही ट्रांसपोर्टर से किराया, लोडिंग और अनलोडिंग के बारे में मोलभाव भी किसान कर सकते हैं। हालांकि ये अधिकारी यह बताने की स्थिति में नहीं हैं कि खूबियों वाले इस एप का अब तक कितने किसानों ने लाभ लिया है।

Published: undefined

इसी तरह बाराबंकी जिले के प्रगतिशील किसान रामदेव पांडेय कहते हैं कि कई क्रय केंद्रों पर न कर्मचारी हैं, न बोरा और न ही इलेक्ट्राॅनिक तौल मशीन। गोरखपुर के भटहट में तो एक प्राथमिक स्कूल को ही क्रय केंद्र बना दिया गया है। जो किसान प्रभावशाली हैं, वे अपनी उपज क्रय केंद्रों को बेच दे रहे हैं। मध्यम किसान कुछ समय के लिए उपज घर में रखकर बेहतर दाम की उम्मीद में इंतजार कर रहे हैं। सबसे बुरी स्थिति छोटी जोत के किसानों की है। महराजगंज के निचलौल के किसान जित्तन जायसवाल का कहना है कि गांव के ही एक व्यक्ति ने 1,600 रुपये की दर से गेहूं खरीद लिया है। उससे नकद रकम मिल गई है। बिचौलिये को ही खेत के कागजात दे दिया है। रकम मिलते ही वह कागज लौटा देगा।

ग्राम प्रधान दीपक त्रिपाठी कहते हैं कि लॉकडाउन की बंदिशों ने गांव-गांव में बिचैलियों के एजेंट को जन्म दे दिया है। सबसे अधिक दिक्कत उन किसानों को है जो शहरों में किराये के मकान में रहते हैं और लॉकडाउन में फंस गए हैं। प्रयागराज में नौकरी करने वाले शैलेन्द्र श्रीवास्तव की खेती बस्ती जिले में हैं। उन्होंने गेहूं की फसल काटने के लिए प्रशासन के पास ऑनलाइन आवेदन किया है, लेकिन पांच दिन बाद भी स्टेटस पेंडिंग बता रहा है। उनके जैसे हजारों लोगों की फसल खेत में है। गोरखपुर में दुकान करने वाले वीरेन्द्र मौर्या की महराजगंज में खेती है। उन्हें भी प्रशासन ने पास मुहैया नहीं कराया है।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined

  • छत्तीसगढ़: मेहनत हमने की और पीठ ये थपथपा रहे हैं, पूर्व सीएम भूपेश बघेल का सरकार पर निशाना

  • ,
  • महाकुम्भ में टेंट में हीटर, ब्लोवर और इमर्सन रॉड के उपयोग पर लगा पूर्ण प्रतिबंध, सुरक्षित बनाने के लिए फैसला

  • ,
  • बड़ी खबर LIVE: राहुल गांधी ने मोदी-अडानी संबंध पर फिर हमला किया, कहा- यह भ्रष्टाचार का बेहद खतरनाक खेल

  • ,
  • विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले कांग्रेस ने महाराष्ट्र और झारखंड में नियुक्त किए पर्यवेक्षक, किसको मिली जिम्मेदारी?

  • ,
  • दुनियाः लेबनान में इजरायली हवाई हमलों में 47 की मौत, 22 घायल और ट्रंप ने पाम बॉन्डी को अटॉर्नी जनरल नामित किया