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यूपी चुनाव: योगी के खिलाफ मैदान में उतरकर आखिर क्या साबित करना चाहते हैं चंद्रशेखर आजाद!

अभी तो यही सवाल लोगों को मथ रहा है कि पश्चिम में सियासत की जड़ जमाने की कोशिश करते आ रहे चंद्रशेखर आखिर अचानक योगी-जैसे कद्दावर नेता को उनके ही गढ़ में चुनौती देने क्यों आ गए?

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ ने तनिक मेहनत की होती, तो वह गोरखपुर शहर सीट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ठीक से चुनौती दे पाते। अभी तो यही सवाल लोगों को मथ रहा है कि पश्चिम में सियासत की जड़ जमाने की कोशिश करते आ रहे चंद्रशेखर आखिर अचानक योगी-जैसे कद्दावर नेता को उनके ही गढ़ में चुनौती देने क्यों आ गए?

यह उचित ही है कि हाशिये पर जा रही बसपा का विकल्प बनने को वह बेचैन हैं। मायावती सर्वजन की बात करने लगी हैं लेकिन चंद्रशेखर का फोकस अब भी दलित वोटों पर है। इस सीट पर करीब 55 हजार से अधिक कायस्थ जबकि 50 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। यहां वैश्य 45 हज़ार, 15 हजार क्षत्रिय और 30 हजार के आसपास मुस्लिम मतदाता हैं। इसके अलावा निषाद 35 हजार, दलित 20 हजार, तो यादव वोटर 15 हजार बताए जाते हैं। ऐसे में, सवाल यही है कि चंद्रशेखर किस बिना पर योगी के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं?

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दलित साहित्यकार अमित कुमार का कहना है कि ‘चंद्रशेखर संभवतः यह संदेश देना चाहते हैं कि वही मायावती के मुकाबले दलित चेहरे हैं और उनके नेतृत्व में ही दलितों का सम्मान सुरक्षित है।’ लेकिन अमित यह भी कहते हैं कि ‘यदि उन्हें योगी के खिलाफ संजीदगी से लड़ना था तो सपा के साथ समझौता कर लड़ना चाहिए था। दो सीट तो उन्हें मिल ही रही थी। सपा को उन्हें गोरखपुर से लड़ाने पर शायद ही आपत्ति होती।’ साहित्यकार देवेन्द्र आर्य कहते हैं कि ‘रावण को युवा तुर्क समझा जा रहा था। लेकिन योगी के खिलाफ चुनाव लड़ने के ऐलान से साफ है कि वह खुद की सेल वैल्यू बढ़ाने के लिए बेचैन हैं।’

असल में, चंद्रशेखर अपनी बातों से जब-तब सुर्खियां तो बटोर ले रहे हैं लेकिन इससे उन्हें वोट मिलेंगे, इसमें संदेह ही है। योगी के दबाव पर उन्होंने अपना नामांकन खारिज होने का खतरा जताया। वहीं चुनाव आयोग को लिखे पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि डार्विन की थ्योरी ऑफ इवॉल्यूशन को अवैज्ञानिक बताने वाले ‘भाजपा सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह के दामाद डॉ. विपिन ताडा की यहां एसएसपी के तौर पर तैनाती योगी को मदद पहुंचाने के लिए की गई है जबकि सीओ गोरखनाथ रत्नेश सिंह और इंस्पेक्टर गोरखनाथ मनोज सिंह भाजपा एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं।

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वैसे, चंद्रशेखर चाहते, तो मेहनत कर यहां जगह बना सकते थे। 7 अगस्त, 2021 को वह जब गोरखपुर आए थे, उस समय उन्होंने दो ठीक मुद्दे उठाए थे। गोरखपुर यूनिवर्सिटी के गृह विज्ञान विभाग के स्टोर रूम में 31 जुलाई को बीएससी गृह विज्ञान तृतीय वर्ष की छात्रा प्रियंका कुमारी का शव फंदे से लटकता मिला था जबकि उससे पहले 24 जुलाई को गोला थाना क्षेत्र के उनौली गांव के रहने वाले अनीश कनौजिया की गोपालपुर के देवकली बाजार में सरे राह हत्या कर दी गई थी। माना जाता रहा है कि गैर-बिरादरी में शादी करने के कारण ग्राम पंचायत सचिव अनीश को अपनी जान गंवानी पड़ी। चंद्रशेखर ने इन मुद्दों को उठाया था और आरोप लगाया था कि यूपी में गाय की हत्या पर डीएम से लेकर एसएसपी तक पहुंच जाते हैं लेकिन दलित युवक को भेड़-बकरी की तरह काट डाला गया और सरकार-प्रशासन ने कुछ नहीं किया। उनका यह भी आरोप था कि यूपी में 11,924 दलितों की हत्याएं हो चुकी हैं। यूपी में हर चौथी हत्या दलित की हो रही है।

लेकिन उसके बाद से वह यहां से गायब रहे। अब सीधे चुनाव मैदान में वह ताल ठोक रहे हैं।

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