उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लोकभवन के सामने शुक्रवार को मां-बेटी के आत्मदाह के मामले में अमेठी के तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। पूरे मामले की जांच हो रही है। अमेठी के जामों की रहने वाली दोनों मां-बेटी का फिलहाल अस्पताल में इलाज चल रहा है, जहां मां की हालत गंभीर बताई जा रही है।
कार्रवाई के बारे में अमेठी पुलिस अधीक्षक ख्याति गर्ग ने बताया, "अमेठी की रहने वाली गुड़िया और उनकी मां द्वारा लखनऊ में आत्मदाह का प्रयास किया गया है। इस मामले में जामो के थाना प्रभारी रतन सिंह, उपनिरीक्षक ब्राम्हानंद यादव और मुख्य आरक्षी घनश्याम यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। मामले की जांच हो रही है।"
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पुलिस अधीक्षक ने बताया कि 9 मई को जमीन विवाद के चलते गुड़िया और अर्जुन पक्ष के बीच मारपीट हुई थी। जिसमें दोनों पक्षों पर एफआईआर किया गया था। उस समय मामले में आवश्यक कार्रवाई की गयी थी। उन्होंने आत्मदाह के मामले में कोई ज्ञापन नहीं दिया था। हमने और जिलाधिकारी ने मौके का मुआयाना किया है। मामले में आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।
अमेठी के जामो थानाक्षेत्र की रहने वाली महिला और उनकी बेटी ने शुक्रवार शाम को लखनऊ में लोकभवन के सामने मिट्टी का तेल उड़ेलकर आत्मदाह करने की कोशिश की। आग की लपटों में घिरी महिला वहीं गिर गई। जबकि उनकी बेटी आग की लपटों में घिरकर सड़क पर दौड़ने लगी। सूचना मिलते ही पुलिस ने दोनों के शरीर पर कंबल डालकर आग बुझाई और सिविल अस्पताल में भर्ती कराया। जहां दोनों की हालत गंभीर बताई जा रही है।
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पुलिस अधिकारियों के मुताबिक अमेठी के जामों की रहने वाली दोनों महिलाओं का जमीन का विवाद है। इस मामले में जामो थाने में मारपीट और छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज हुआ था। दोनों ने प्रशासन और पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है। हालांकि संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था नवीन अरोरा ने कहा कि मारपीट मामले में बेटी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया था। दोनों ने आत्मदाह या प्रदर्शन का कोई नोटिस नहीं दिया था। लेकिन पुलिस के सतर्कता से बड़ा हादसा होने से टल गया।
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वहीं इस मामले पर योगी सरकार को घेरते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने इसे प्रदेश में जंगलराज का उदाहरण बताया है। अजय कुमार लल्लू ने कहा है कि इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि प्रदेश में योगी राज नहीं बल्कि जंगलराज है। जिस प्रकार राजधानी में दो महिलाओं ने न्याय न मिलने से आत्मदाह करने का प्रयास किया है, यह योगी सरकार के माथे पर कलंक है। सच्चाई तो यह है कि मुख्यमंत्री के बेहतर कानून व्यवस्था के थोथे दावों की पोल खुल गयी है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश में फरियाद करने वालों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मुख्यमंत्री रोजाना टीम 11 की बैठक करके अपनी पीठ खुद थपथपा कर आत्ममुग्ध हो जाते हैं और प्रदेश में पीड़ित दर-दर न्याय मांगते-मांगते अपनी जीवनलीला समाप्त करने पर विवश हैं। योगी राज में न्याय की उम्मीद करना अब पूरी तरह बेमानी साबित हो गयी है। जिस प्रकार अमेठी की दो महिलाओं ने जमीन के मामले को लेकर आत्मदाह करने का प्रयास किया है उससे यह साफ होता है कि सिर्फ उम्भा ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में भूमाफिया हर जिले से लेकर ब्लाकों तक काबिज हैं और पीड़ित सिर्फ सिसकियां लेने के लिए मजबूर हैं।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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