पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पिछले साल 20 दिसंबर की सुबह पुलिस की भारी हलचल थी। पुलिस के जवान तमाम संसाधनों से युक्त नजर आ रहे थे। इस तरह की हलचल इससे पहले सिर्फ चुनाव या कर्फ्यू में देखी जाती थी। पुलिस लाठी, बंदूक और कवच के साथ पूरी तरह लैस थी। किसी भी तरह की परिस्थिति से निपटने के लिए। मुजफ्फरनगर में चाय की दुकान चलाने वाले नईम अहमद बताते हैं कि ऐसी हलचल उन्होंने पहले कभी नहीं देखी थी। ऐसा लगता था कि जैसे किसी युद्ध की तैयारी हो। अजीब सा डर फिजा में तैर रहा था।
दोपहर में जुमे की नमाज को देखते हुए तमाम मस्जिदों के बाहर एक पुलिस टीम सुबह जल्दी ही पहुंच गई थी। सीएए और एनआरसी जैसे कानूनों की आहट के साथ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों के साथ हुई बर्बरता के बाद लोगों में गुस्सा था। खासकर देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय मुसलमानों में बेचैनी थी। ये बेचैनी कुछ सच और कुछ झूठ से पनपी थी।
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दोपहर में एक बजे से 2 बजे के बीच होने वाली नमाज के बाद लाखों लोग पूरे प्रदेश में सड़कों पर आ गए और नारेबाजी करने लगे। अलीगढ़, मेरठ, बिजनौर, फिरोजाबाद, वाराणसी, कानपुर, रामपुर, मुजफ्फरनगर, संभल और लखनऊ में तो हालात बहुत खराब हो गए। यहां भीड़ बेकाबू हो गई और पुलिस से टकराव में 23 लोगों की मौत हो गई। इन सभी शहरों में इंटरनेट की सेवाएं बंद कर दी गईं। हजारों लोगों के विरुद्ध मुकदमे दर्ज हुए। सैकड़ों को जेल भेज दिया गया।
एक साल पहले 20 दिसम्बर के दिन 21 लोगों की मौत गोली लगने से हुई। एक शख्स की मौत पत्थर लगने से हुई और एक की मौत भगदड़ में हुई। पुलिस का कहना था कि प्रदर्शनकारियों के हिंसक हो जाने के बाद उन्हें नियंत्रित करने के लिए उन्होंने बल प्रयोग किया और हवाई फायरिंग की। यह अलग बात थी कि मरने वालों का परिवार पुलिस की गोली से इनके मरने की बात कह रहा था।
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पुलिस की तरफ से दिए गए बयान के मुताबिक दंगाइयों की ही गोली से इन लोगों की मौत हो गई।अजीब बात यह भी थी कि इन 21 लोगों में से 19 को गोली सीने की ऊंचाई से ऊपर लगी थी। सिर्फ संभल के मोहम्मद शहरोज और लखनऊ के मोहम्मद वकील के पेट मे गोली लगी थी।
बिजनौर के नहटौर में पुलिस की गोली लगने से मारा गया 20 साल का मोहम्मद सुलेमान ( पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि ) यूपीएससी की तैयारी कर रहा था। उसके पड़ोसी जहांगीर के मुताबिक वो दूध लेने घर से बाहर आया था और सीने में गोली लगने से उसकी मौत हो गई। नहटौर में एक और युवक अनस की गोली लगने से मौत हो गई थी।
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सुलेमान के पिता जाहिद हुसैन बताते हैं कि उनके बेटे की हत्या कांस्टेबल मोहित कुमार ने की थी। बैलिस्टिक जांच में इसकी पुष्टि भी हुई। उन्होंने कहा, “मैंने मुक़दमा दर्ज कराया था। उस समय के एसपी ने बताया कि मोहित ने आत्मरक्षा में गोली चलाई थी। आज भी मुझे लगता है कि सुलेमान जिंदा है और पढ़ाई कर रहा है। मगर मैंने उसके जनाजे को कंधा दिया है और वो बहुत भारी था। मुझे उसका बोझ अब तक महसूस होता है।”
बिजनौर में कुल 5 लोगों की मौत हुई थी। मेरठ में 6 (एक की मौत बाद में इलाज के दौरान हुई) फिरोजाबाद में 4, मुजफ्फरनगर में 1, वाराणसी में 2, संभल में 2, कानपुर में 2 और रामपुर, लखनऊ में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई थी। वाराणसी में 8 साल का बच्चा मोहम्मद सगीर भगदड़ में कुचल कर मर गया था, जबकि फिरोजाबाद के राशिद को पत्थर से चोट लगी थी।
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मुजफ्फरनगर के नूर मोहम्मद की मौत की जांच में पता चला कि उसकी मौत लाइसेंसी रिवाल्वर की गोली से हुई थी। डीएम ने इसकी मजिस्ट्रेट जांच भी कार्रवाई मगर हत्यारे का पता नहीं चला।मेरठ में 75 साल के मुंशी ने अपना 42 साल का बेटा खो दिया। 60 साल की नसीमा ने अपना 22 साल का पोता खो दिया।
अब एक साल बाद भी इंसाफ तो बहुत दूर की बात है यह तक साफ नही हो पाया है कि इनकी मौत हुई कैसे! मेरठ में प्रदर्शन के दौरान मारे गए मोहसीन के भाई इमरान कहते हैं, "मेरे भाई को सियासी बातों में कोई दिलचस्पी नहीं थी। सियासत ने ही उसकी जान ले ली।”
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पिछले साल 20 दिसंबर 2019 को सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान विभिन्न जिलों में निम्न की मौत हुई
मेरठ
1. नाम- मोहम्मद आसिफ
उम्र- 20 वर्ष
काम - ई-रिक्शा चालक
मृत्यु का कारण- छाती में गोली लगने से
2. नाम- अलीम अंसारी
उम्र - 24 वर्ष
काम - रोटी बनाना
मृत्यु का कारण- सर मे गोली लगने से
3. नाम- ज़हीर अहमद
उम्र - 45 वर्ष
काम - मजदूर
मृत्यु का कारण- सर में गोली लगने से
4. नाम- आसिफ़
उम्र - 33 वर्ष
काम- फेरी लगाना
मृत्यु का कारण- पीठ में गोली लगने से
5. नाम- मोहसिन
उम्र - 28 वर्ष
काम - मजदूर
मृत्यु का कारण- सर में गोली लगने से
बिजनौर
6. नाम- मोहम्मद अनस
उम्र - 22 वर्ष
काम - दैनिक मजदूर
मृत्यु का कारण-आंख में गोली लगने से
7. नाम- मोहम्मद सुलेमान
उम्र - 20 वर्ष
काम - पढ़ाई
मृत्यु का कारण- छाती में गोली लगने से
फिरोजाबाद
8. नाम- मोहम्मद शफीक
उम्र - 40 वर्ष
काम - कबाड़ के व्यापारी
मृत्यु का कारण- सर में गोली लगने से
9. नाम- अरमान उर्फ कल्लू
उम्र - 24 वर्ष
काम- फैक्ट्री में मजदूरी
मृत्यु का कारण-छाती में गोली लगने से
10. नाम- मुकीम़
उम्र - 20 वर्ष
काम - चूड़ी के कारखाने में मजदूर
मृत्यु का कारण- कंधे में गोली लगने से
11. नाम- मोहम्मद हारुन
उम्र- 36 वर्ष
काम - पशु व्यापारी
मृत्यु का कारण- गर्दन में गोली लगने से
12. नाम- नबी जान
उम्र - 22 वर्ष
काम - चूड़ी कारखाने में मजदूर मृत्यु का कारण- छाती में गोली लगने से
13. नाम- राशिद
उम्र - 27 वर्ष
काम - चूड़ी कारखाने में मजदूर
मृत्यु का कारण - सर में चोट लगने से
14. नाम- मोहम्मद अबरार
उम्र - 26 वर्ष
काम - दैनिक मजदूर
मृत्यु का कारण- रीढ़ की हड्डी में गोली लगने से
वाराणसी
15. नाम- मोहम्मद सगीर
उम्र - 8 साल
काम - पढ़ाई
मृत्यु का कारण - भगदड़ में कुचल जाने से
कानपुर
16. नाम- मोहम्मद सैफ
उम्र - 25 वर्ष
काम - मजदूर
मृत्यु का कारण - पेट और हाथ में गोली लगने से
17. नाम- रईस ख़ान
उम्र - 30 वर्ष
काम - पापड़ विक्रेता
मृत्यु का कारण - पेट में गोली लगने से
18. नाम- आफताब आलम
उम्र - 23 वर्ष
काम - मिस्त्री
मृत्यु का कारण - छाती में गोली लगने से
रामपुर
19. नाम- फ़ैज़ ख़ान
उम्र - 25 वर्ष
काम - नौकरी
मृत्यु का कारण - गले में गोली लगने से
मुजफ्फरनगर
20. नाम- मोहम्मद नूर उर्फ नूरा
उम्र - 30 वर्ष
काम - दैनिक मजदूर
मृत्यु का कारण - सिर में गोली लगने से
संभल
21. नाम- मोहम्मद शहरोज़
उम्र - 22 वर्ष
काम - ट्रक ड्राइवर
मृत्यु का कारण - पेंट में गोली लगने से
22. नाम- बिलाल पाशा
उम्र - 31 साल
काम - दैनिक मजदूर
मृत्यु का कारण - चेहरे में गोली लगने से
लखनऊ
23. नाम- मोहम्मद वकील
उम्र - 25 वर्ष
काम - आटो रिक्शा चालक
मृत्यु का कारण - पेट में गोली लगने से
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