हालात

उन्नाव की बेटी के आखिरी शब्द: ‘मुझे जलाने वालों को किसी भी हाल में मत छोड़ना, मैं मरना नहीं चाहती, मुझे जीना है’

दरिंदगी की शिकार एक और बेटी आखिरकार जिंदगी की जंग हार गई। उन्नाव रेप पीड़िता ने 44 घंटे तक मौत से लड़ने के बाद शुक्रवार रात 11: 40 बजे सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। उन्नाव की बेटी को न बचाने का गम सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों के चेहरे पर भी दिख रहा था।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

दरिंदगी की शिकार एक और बेटी आखिरकार जिंदगी की जंग हार गई। उन्नाव रेप पीड़िता ने 44 घंटे तक मौत से लड़ने के बाद शुक्रवार रात 11: 40 बजे सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। उन्नाव की बेटी को न बचाने का गम सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों के चेहरे पर भी दिख रहा था। पीड़िता की हालत देख डॉक्टरों की आंखों में भी आंसू थे। उन्हें गम इस बात का भी था कि पूरी मेहनत के बाद भी उसे जिंदगी न दे सके। सफदरजंग अस्पताल से पीड़िता के शव को अब उन्नाव लाया जा रहा है। जहां उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा

Published: 07 Dec 2019, 12:56 PM IST

बर्न यूनिट के प्रमुख डॉ. शलभ और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुनील गुप्ता ने बताया कि 90 फीसदी जलने के कारण पीड़िता के शरीर से काफी तरल पदार्थ बह चुका था। पीड़िता की हालत इतनी खराब थी कि वह दो शब्द बोलने के बाद ही बेहोश हो जाती थी। पीड़िता के कई महत्वपूर्ण अंग शाम तक काम कर रहे थे लेकिन लगातार उसकी हालत खराब हो रही थी।

Published: 07 Dec 2019, 12:56 PM IST

डॉक्टरों को जिस बात का सबसे ज्यादा डर था वहीं हुआ भी। दरअसर उन्हें पीड़िता में सबसे ज्यादा संक्रमण फैलने का डर था और वहीं ऐसा हुआ भी। उसके शरीर में संक्रमण इतनी तेजी से फैला कि उसे रोकना मुमकिन नहीं रहा। डॉक्टरों ने पहले ही ये बता दिया था कि अगर पीड़िता के शरीर में संक्रमण फैलने लगा तो उसे रोकना मुश्किल हो जाएगा। डॉक्टरों की मानें तो बर्न केस में ज्यादातर मरीज की मौत संक्रमण फैलने के चलते हो जाती है।

Published: 07 Dec 2019, 12:56 PM IST

बता दें कि उन्नाव रेप पीड़िता का इलाज पहले लखनऊ में चल रहा था, लेकिन हालत गंभीर होने पर उसे एयरलिफ्ट कर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। रेप पीड़िता 90 प्रतिशत से ज्यादा जल चुकी थी ऐसे में उसके जिंदा बचने की उम्मीद भी कम ही थी। हालांकि वो गुरुवार रात 9 बजे तक होश में थी, कहती रही- मुझे जलाने वालों को किसी भी हाल में मत छोड़ना।

Published: 07 Dec 2019, 12:56 PM IST

ऐसे केस में 72 शुरुआत के 72 घंटे बहुत ही अहम होते हैं। सफदरजंग अस्पताल में बर्न और प्लास्टिक विभाग के एचओडी डॉ. शलभ कुमार के मुताबिक इस तरह की घटनाओं में शुरुआत के 72 घंटे काफी अहम होते हैं। अगर तीन दिन ठीक से निकल जाते तो काफी हद तक पीड़िता को बचाया जा सकता था। लेकिन ऐसा हो न सका और उन्नाव की बेटी ने 44 घंटे में ही दम तोड़ दिया।

Published: 07 Dec 2019, 12:56 PM IST

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Published: 07 Dec 2019, 12:56 PM IST