अफ्रीका के दौरे से दौरे से लौटे विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर ने मी टू के तहत अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई दे दी है। उन्होंने कहा कि उनके ऊपर जो भी आरोप लगे हैं वे मनगढ़ंत और बेबुनियाद हैं। मामले की जांच की बात करने और इस्तीफा देने के बजाय उन्होंने उलटे यह धमकी दी कि उनके ऊपर जिन्होंने आरोप लगाए हैं उनके खिलाफ वे कानूनी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि मैं विदेश दौरे पर था इसलिए अपने ऊपर लगे आरोपों पर जवाब नहीं दे पाया था।
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इससे पहले 12 अक्टूबर को जब इस मुद्दे पर अमित शाह से सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि देखना पड़ेगा कि यह आरोप सच हैं या गलत।
गौरतलब है कि पत्रकार और लेखक रहे एम जे अकबर कई अखबारों के संपादक रहे हैं। उनके ऊपर अब तक 11 महिला पत्रकारों मी टू अभियान के तहत यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।
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उधर, कांग्रेस ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर पर चुप्पी तोड़ने को कहा। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, "यह महिला की गरिमा और सुरक्षा का सवाल है। उम्मीद यही की जाती है कि कि मामले से संबद्ध मंत्री तत्काल स्पष्टीकरण देंगे।"
शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "लेकिन, इसके साथ ही यह प्रधानमंत्री का भी कर्तव्य है, संवैधानिक कर्तव्य और नैतिक कर्तव्य है कि वह मुद्दे पर बोलें। मूल सवाल यह है कि आखिर प्रधानमंत्री ने चुप रहने का क्यों फैसला किया है। देश को बताइये कि आप का क्या नजरिया है।"
यौन शोषण के खिलाफ एक साल पहले अमेरिका से शुरू हुए मी टू अभियान ने बॉलीवड इंडस्ट्री के साथ राजनीति को भी अपनी चपेट में ले लिया। अब तक बॉलीवुड और मनोरंजन इंडस्ट्री से जुड़ी कई महिलाएं सोशल मीडिया पर सामने आकर यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के साथ उन लोगों के सीधे तौर पर नाम भी लिए हैं, जिन्होंने उनका कभी यौन उत्पीड़न किया था।
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