भारत में ज्यादा पढ़े-लिखे लोग ज्यादा बेरोजगार हैं। देश में पोस्ट ग्रैजुएशन और ग्रैजुएशन किए हुए लोग सबसे ज्यादा बेरोजगार हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट के अनुसार कम पढ़े-लिखे लोग कम बरोजगार हैं, जबकि शिक्षा के स्तर के साथ ही बेरोजगारी दर में भी अंतर है। 5वीं से 10वीं तक पढ़े-लिखे लोग कम बेरोजगार हैं, जबकि 10वीं से 12वीं तक पढ़े लोग उनसे ज्यादा बेरोजगार हैं। इसी तरह ग्रैजुएट और पोस्ट-ग्रैजुएट लोगों में बेरोजगारी ज्यादा है। रिपोर्ट की मानें तो 2017 के बाद से ग्रैजुएट बेरोजगारों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। ग्रैजुएशन और पोस्ट ग्रैजुएशन करने वालों में बेरोजगारी दर 2017 में 12.1 फीसदी थी, जबकि सितंबर से लेकर दिसंबर 2018 में यह आंकड़ा 13.2 फीसदी हो गया।
सीएमआईई के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ महेश व्यास के मुताबिक, “इनमें (हायर एजुकेशन) बेरोजगारी की बढ़ती दर दर्शा रही है कि भारत ग्रैजुएट युवाओं के लिए पर्याप्त उचित नौकरियां मुहैया नहीं करा पा रहा है। यही भारत के रोजगार संबंधी समस्याओं की सबसे बड़ी त्रासदी है। ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों में बेरोजगारों की तादाद काफी अधिक है।”दरअसल महेश व्यास ने एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत के तमाम लेबर फोर्स के मुकाबले ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट युवाओं के लिए उनके पसंद की नौकरियों की भयंकर कमी है। महिलाओं में तो यह आंकड़ा और भी ज्यादा है।
रिपोर्ट के मुताबिक पढ़ाई नहीं करने वाले लोगों के सामने रोजगार की समस्या नहीं है। क्योंकि वो कहीं भी किसी भी तरह की नौकरी करने के लिए तैयार हैं। उन्हें पकोड़े तलने में भी कोई परेशानी नहीं है। ऐसे लोगों में बेरोजगारी दर कम हुई है। लेकिन पढ़ाई के स्तर बढ़ने के साथ ही बेरोजगारी दर भी बढ़ने लगता है। नहीं पढ़ाई करने वाले 0.8 फीसदी लोग ही बेरोजगार हैं, वहीं पांचवी तक पढ़ाई करे वाले 1.3 फीसदी लोग बेरोजगार हैं। जबकि 10वीं और 12वीं तक 10.6 फीसदी लोग बरोजगार हैं। ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट लोगों में बेरोजगारी दर बहुत ज्यादा है। फिलहाल देश में 13.2 फीसदी लोग बेरोजगार हैं।
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