विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक 2019 (यूएपीए बिल) लोकसभा में पास हो गया है। कांग्रेस के वॉकआउट के बीच लोकसभा ने इस बिल को मंजूरी दे दी। गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल पर बहस के दौरान सरकार का पक्ष रखा। इस दौरान अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सरकार लड़ती है, कौन-सी पार्टी उस समय सत्ता में हैं उससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
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अमित शाह ने लोकसभा में चर्चा के जवाब में कहा कि सरकार का प्राथमिक फर्ज है कि आतंकवाद को समूल नष्ट किया जाए। आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहने वालों को आतंकवादी घोषित किए जाने के प्रावधान की बहुत जरूरत है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र(यूएन) के पास इसके लिए एक प्रक्रिया है। अमेरिका के पास यह है, पाकिस्तान के पास है, चीन के पास है, इजराइल है यह यूरोपीय संघ के पास है, सभी ने ये किया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई भी आतंकी गतिविधि करेगा तो उसके कम्प्यूटर में पुलिस जरूर घुसेगी और घुसना भी चाहिए।
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लोकसभा में अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए देश में कठोर कानून की जरूरत है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि अर्बन माओइज्म के लिए जो काम कर रहे हैं, उनके प्रति जरा भी संवेदना नहीं है। एनआईए का अधिकार पूरे देश में है, राज्यों के एसपी के अधिकार के साथ इस कानून में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। किसी की संपत्ति को केवल अटैच करने का अधिकार होगा न कि कुर्क करने का, कुर्क करने का अधिकार कोर्ट का है। गृहमंत्री ने कहा, मैं मानता हूं आतंकवाद बंदूक से पैदा नहीं होता बल्कि प्रचार और उन्माद से पैदा होता है
विधेयक पारित होने के साथ ही अब आतंकवादियों के रूप में नामित करने का अधिकार होगा। यानी अगर किसी व्यक्ति के आतंकवाद से संबंध होने का शक होने पर उसे ‘आतंकवादी’ के रूप में नामित करने की अनुमति मिल जाएगी। इसके अलावा एजेंसी द्वारा मामले की जांच किए जाने पर संपत्ति की जब्ती या कुर्की की मंजूरी देने के लिएराष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पास अधिकार होगा।
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वहीं कांग्रेस के लोकसभा में नेता अधीर रंजन चौधरी ने बिल को जरूरी बताते हुए इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर आप ऐसे बिल पास करेंगे तो हम इसका विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार अहम विधेयकों की भी निगरानी नहीं चाहती है। जबकि पोटा के दुरुपयोग के खिलाफ आडवाणी जी आवाज उठा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि अक्षरधाम से लेकर पुलवामा तक आतंकी घटनाएं हुई हैं। उन्होंने कहा कि आतंकियों के खिलाफ लाए गए अहम कानून की संसदीय समिति की ओर से निगरानी होनी चाहिए। अगर ऐसे आप बिल को पारित कराने की कोशिश करेंगे तो हम इसका विरोध करेंगे। कांग्रेस की मांग ना माने जाने पर कांग्रेस सांसदों ने बिल के खिलाफ सदन से वॉक आउट किया।
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वहीं टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि कोई भी सरकार अगर चाह ले तो किसी को भी किसी न किसी मामले में फंसाकर सजा दिला सकती है, अगर इनके साथ हो तो भगवान, अगर खिलाफ हो तो शैतान, यह तो नाइंसाफी है।
महुआ मोइत्रा ने आगे कहा कि यूएपीए बिल का विरोध करते हुए कहा कि एनआई को पुलिसिंग पावर दी जा रही है। बिना स्टेट को बताए एनआईए किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है और कहीं भी रेड कर सकती है। जबकि सीबीआई जैसी एजेंसी भी लोकल पुलिस के साथ मिलकर काम करती है। उन्होंने कहा कि इसका राजनीतिक इस्तेमाल अगर आज आप कर रहे हैं तो कल कोई और भी करेगा। मोइत्रा ने राहत इंदौरी के एक शेर से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पर सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।
उन्होंने आगे कहा कि अगर हम बिल का विरोध करते हैं तो हम भी राष्ट्र विरोधी कहे जाते हैं। आज लोगों को डराया जा रहा है, यहां तक कि मेरे परिवार को भी मेरे बारे में चिंता होने लगी है। आज सरकार और उसकी ट्रोल आर्मी किसी भी निशाना बना रही है।
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यूएपीए बिल पर बीएसपी सांसद दानिश अली ने कहा कि सरकार बताए कि कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए क्या प्रावधान इस बिल में किए गए हैं। उन्होंने कहा कि टाडा, पोटा जैसे कानून पहले भी बनाए गए हैं और उन्हें भी इसी सदन ने मिलकर वापस ले लिया।
वहीं एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बिल संवैधानिक अधिकारों का हनन, किसी को शक या सरकार के कहने पर आतंकी घोषित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि किसी को भी अगर पुलिस आतंकी के शक में उठा ले जाती है तो समाज में उसकी जगह नहीं बचती है। चलिए जानते क्या कहता है यूएपीए बिल
क्या है गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम एक भारतीय कानून है। भारत में गैरकानूनी गतिविधियों संघों की प्रभावी रोकथाम है. इसका मुख्य उद्देश्य भारत की अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ निर्देशित गतिविधियों से निपटने के लिए शक्तियों को उपलब्ध कराना था.
विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक 2019 में कहा गया है कि एनआईए के महानिदेशक को संपत्ति की कुर्की का तब अनुमोदन मंजूर करने के लिये सशक्त बनाना है जब मामले की जांच उक्त एजेंसी द्वारा की जाती है. इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार को प्रस्तावित चौथी अनुसूची से किसी आतंकवादी विशेष का नाम जोड़ने या हटाने के लिये और उससे संबंधित अन्य परिणामिक संशोधनों के लिये सशक्त बनाने हेतु अधिनियम की धारा 35 का संशोधन करना है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी के निरीक्षक के दर्जे के किसी अधिकारी को अध्याय 4 और अध्याय 6 के अधीन अपराधों का अन्वेषण करने के लिये सशक्त बनाया गया है.
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 क्या है?
यूएपीए, 1967 एक भारतीय कानून है, जिसका उद्देश्य देश के अंदर गैरकानूनी गतिविधियों और संगठनों को लक्षित करना है। यह कानून कुछ संवैधानिक अधिकारों पर ‘उचित’ प्रतिबंध लगाता है, जैसे कि:
भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,
शांतिपूर्वक और हथियारों के बिना एकत्र होने का अधिकार
एसोसिएशन या यूनियन बनाने का अधिकार।
1967 में बिना किसी आरोपपत्र के 180 दिनों तक नजरबंद और 30 दिनों तक पुलिस हिरासत में रखने के प्रावधान हैं
इसमें सवाल से बचने के लिए एक अग्रिम जमानत का प्रावधान है
क्या है विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक 2019
एनआईए के महानिदेशक को संपत्ति की कुर्की का तब अनुमोदन मंजूर करने के लिये सशक्त बनाना है जब मामले की जांच उक्त एजेंसी द्वारा की जाती है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार को प्रस्तावित चौथी अनुसूची से किसी आतंकवादी विशेष का नाम जोड़ने या हटाने के लिये और उससे संबंधित अन्य परिणामिक संशोधनों के लिये सशक्त बनाने हेतु अधिनियम की धारा 35 का संशोधन करना है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी के निरीक्षक के दर्जे के किसी अधिकारी को अध्याय 4 और अध्याय 6 के अधीन अपराधों का अन्वेषण करने के लिये सशक्त बनाया गया है।
इसके अलावा यूएपीए में किसी व्यक्ति विशेष को कब आतंकवादी घोषित किया जाएगा, इसका प्रावधान है।
इसके तहत, कोई व्यक्ति आंतकवादी गतिविधियों को अंजाम देता है या उसमें भाग लेता है तो उसे आतंकवादी घोषित किया जाएगा।
जो व्यक्ति आंतकवाद के पोषण में मदद करता है, धन मुहैया कराता है, आतंकवाद के साहित्य का प्रचार-प्रसार करता है या आतंकवाद की थिअरी युवाओं के जहन में उतारने की कोशिश करता है, उसे आतंकवादी घोषित करेगा।
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