लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ जारी तनाव के बीच जम्मू-कश्मीर में जारी हुए दो सरकारी आदेशों से हड़कंप मच गया है। 27 जून को जारी आदेश में तेल कंपनियों को दो महीने का रसोई गैस का स्टॉक जमा करने को कहा गया है। फूड और सिविल सप्लाई डिपार्टमेंट के डायरेक्टर ने यह आदेश जारी कर तेल कंपनियों से कहा था कि इस फैसले को अर्जेंट मैटर के तौर पर लिया जाए। कंपनियां अपने पास पर्याप्त एलपीजी सिलेंडर का भंडार रखे, जिससे कि दो महीने तक की सप्लाई हो सके।
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आदेश में हालांकि कहा गया है कि यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि लगातार जमीन धंसने की घटनाओं और नेशनल हाईवे बंद होने की स्थिति में राज्य में एलपीजी की सप्लाई पर असर ना पड़े।
गौरतलब है कि आमतौर पर सर्दियों के मौसम में सरकार ऐसे आदेश जारी करती है, लेकिन गर्मियों में इस तरह की कोई समस्या नहीं आती है। ऐसे में गैस का स्टॉक करने का आदेश जारी किया जाना सामान्य नहीं है। इससे पहले बालाकोट एयर स्ट्राइक और राज्य में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के वक्त भी कुछ-कुछ इसी तरह का माहौल बनाया गया था।
उधर गांदरबल के एसएसपी ने जिला प्रशासन से कहा है कि अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर सीएपीएफ की कंपनियों के रहने के लिए आईआईटी, स्कूल जैसी 16 इमारतें खाली करवा दी जाएं। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि अमरनाथ यात्रा होगी भी या नहीं. और होगी तो कब होगी।
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इन आदेशों पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के आदेश जनता में भय फैलाते हैं। पिछले साल दिए गए झूठे भरोसों के बाद भी क्या सरकार अपने इन आदेशों पर कोई सफाई देगी। उमर ने अपने ट्वीट में केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल राज्य से धारा 370 हटाने का जिक्र किया।
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