केंद्र के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 63 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन से दो बड़े किसान संगठनों ने अलग होने का ऐलान कर दिया है। गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा और उपद्रव के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने बुधवार को किसान आंदोलन से अलग होने का फैसला ले लिया।
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राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के संयोजक वी एम सिंह ने बुधवार को किसान आंदोलन से अपने कदम पीछे खींचने की घोषणा की। आंदोलन के 63वें दिन में प्रवेश करते ही आंदोलन से दूरी बनाने वाले वह पहले नेता बन गए। दिल्ली में मंगलवार की हिंसा की निंदा करते हुए वीएम सिंह ने कहा, "मैं आंदोलन को छोड़ रहा हूं, क्योंकि इसका प्रारूप स्वीकार्य नहीं है।"
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वीएम सिंह ने असामाजिक तत्वों और कुछ किसान नेताओं पर आंदोलन को बेपटरी करने और मुख्य मुद्दे को छोड़ने का आरोप लगाया, जो पूरे आंदोलन का आधार था। वीएम सिंह ने कहा, "हम इस मुद्दे से भटक गए थे। हमारा मुद्दा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार के आश्वासन और तीन कृषि कानूनों को रद्द करना था।"
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बता दें कि गणतंत्र दिवस पर राजधानी में हिंसक ट्रैक्टर रैली के बाद कई अन्य किसान नेताओं और अन्य लोगों पर दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया है। इसमें वीएम सिंह के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा, "हम यहां गणतंत्र दिवस को बदनाम करने के लिए नहीं आए थे।" आंदोलन छोड़ने की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा, "मैं अन्य पार्टी सदस्यों पर आंदोलन छोड़ने के लिए दबाव नहीं डालूंगा।"
वीएम सिंह ने कुछ किसान नेताओं पर तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की एकल मांग पर अड़े रहने का आरोप लगाते हुए कहा, "इन कानूनों पर चर्चा हो सकती है, लेकिन प्रमुख मुद्दा एमएसपी खरीद पर सरकार से गारंटी लेना है।” उन्होंने कहा, "सरकार केवल उन किसान नेताओं को बुला रही है जो समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं। किसानों की जरूरत एमएसपी खरीद पर सरकार की गारंटी है।"
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