देश भर के मजदूर संगठनों ने केंद्र की मोदी सरकार की किसान-मजदूर विरोधी नीतियों और रवैये के खिलाफ दो दिवसीय भारत बंद बुलाया है। पूरे देश के किसानों ने भी इसका समर्थन करने की बात कही है। देश भर के किसान इसका समर्थन करेंगे। वहीं सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस -सीटू, के हवाले से मिली रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक, असंगठित, बैंकिंग और बीमा क्षेत्र के कर्मचारी, बंदरगाहों के मजदूर देश व्यापी हड़ताल पर रहेंगे। सारे संगठन आर्थिक संकट, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर अपना विरोध जताएंगे
मजदूर संगठनों ने केंद्र की नीतियों के खिलाफ बंद का आव्हान किया है। संगठनों का आरोप है कि नोटबंदी, जीएसटी के बाद से व्यापारियों -कारोबारियों की हालत खराब है और काम करना मुश्किल हो गया है, लेकिन केंद्र सरकार अड़ियल रुख के साथ कुछ बी सुनने को तैयार नहीं है।
इस बंद में सीपीएम की किसान सभा से जुड़े किसान भी हिस्सा लेंगे। बंद के दौरान देश भर में रेल रोको आंदोलन भी चलाया जाएगा। इसमें आम लोग, श्रमिक, प्राइवेट कर्मी शामिल हो रहे हैं। इसी को देखते हुए किसानों ने अपना समर्थन दिया है। हड़ताल के दौरान किसान अपने-अपने इलाकों में रोड जाम करेंगे।
बंद का व्यापक असर बैंकिंग सेवाओं पर भी पड़ेगा और अरबों रुपये की क्लियरिंग भी प्रभावित होगी। क्लीयरिंग प्रभावति होने से व्यापारियों का लेनदेन अटकेदा, साथ ही विभिन्न सरकारी कामकाज भी प्रभावित हो सकते हैं। देश भर में हर महीने औसतन एक लाख अरब रुपये आरटीजीएस और करीब 15350 अरब रुपये एनईएफटी के जरिये ट्रांसफर होते हैं। इलेक्ट्रानिक पेमेंट सिस्टम के ये दोनों बड़े गेटवे बंद होने का असर बैंकिंग लेनदेन पर पड़ेगा।
इस दो दिन के बंद में बैंकों के 10 संगठन शामिल होंगे। इन दो दिनों में बैंकों में कर्मचारी कोई कामकाज नहीं करेंगे। ऑल इंडिया बैंक इंप्लाई एसोसिएशन और बैंक इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से इंडियन बैंक एसोसिएशन को हड़ताल की जानकारी दे दी है।
बैंक कर्मचारी सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन बढ़ोत्तरी समेत कई मांगों को लेकर अपना विरोध कर रहे हैं। केंद्र सरकार की कर्मचारी विरोधी नीति समेत 12 मांगों को लेकर बैंक कर्मचारियों के 10 केंद्रीय संगठनों ने इस हड़ताल का आह्वान किया है। इन संगठनों में इंटक, एआईटीयूसी, एचएमएस, सीटू, एआईसीसीटीयूसी, यूटीयूसी, एलपीएफ, एसईडब्लूए शामिल हैं।
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