क्या आप नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए का विरोध वोट बैंक की राजनीति का नतीजा है? क्या आपको लगता है कि सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करना सही है? क्या आप नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन करते हैं? क्या आप मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के कामकाज से संतुष्ट हैं?
यह वो सवाल हैं जो ट्विटर पर लोगों से पूछे गए। पहला सवाल हिंदी अखबार दैनिक जागरण ने पूछा। इसके जवाब में 67 फीसदी लोगों ने कहा ‘नहीं, सीएए का विरोध वोट बैंक की राजनीति का नतीजा नहीं है।‘ इसके बाद यह पोल गायब हो गया। लेकिन ट्विटर पर सक्रिया रहने वालों ने इसका स्क्रीनशॉट लेकर रख लिया, जिसे आप यहां नीचे देख सकते हैं।
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दूसरा सवाल किया गया ईशा फाउंडेशन द्वारा। फ़ाउंडेशन ने पूछा था, “क्या आपको लगता है कि CAA और NRC के ख़िलाफ़ प्रदर्शन ठीक है?” इसके जवाब में 63 फीसदी लोगों ने कहा कि हां, इस कानून का विरोध करना सही है और 37 फीसदी लोगों ने इसे सही नहीं माना। इसके नतीजे भी जब मनमाफिक नहीं आए तो इस पोल को भी डिलीट कर दिया गया। इस पोल का भी स्क्रीन शॉट ले लिया गया जो आप नीचे देख सकते हैं। ध्यान रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएए के समर्थन में सद्गुरु जग्गी वासुदेव का वीडियो शेयर किया था।
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तीसरा सवाल पूछा था जी न्यूज के एंकर सुधीर चौधरी ने। उनका सवाल सीधा था कि क्या आप सीएए का समर्थन करते हैं। इस पोल के नतीजों में भी 64 फीसदी लोगों ने कह दिया कि वे इसका समर्थन नहीं करते हैं और सिर्फ 36 फीसदी बोले कि वे इसके पक्ष में हैं। उनके द्वारा किए गए पोल का स्क्रीन शॉट भी नीचे देख सकते हैं। सुधीर चौधरी अब कह रहे हैं कि पाकिस्तान की आईएसआई और ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ ने उनके पोल को खराब किया।
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इसी प्रकार बिजनेस न्यूज चैनल सीएनबीसी आवाज ने पोल शुरु किया कि क्या आप नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के कामकाज से संतुष्ट हैं? 62 फीसदी लोगों ने इसका जवाब नहीं में दिया और सिर्फ 38 फीसदी लोग ही मोदी 2.0 के कामकाज से खुश दिखे। यह पोल भी गायब हो गया। इसका भी स्क्रीन शॉट नीचे देख सकते हैं।
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सारे पोल का हश्र देखने के बाद ट्विटर पर ही इन पोल और इन्हें कराने वालों की खूब छीछालेदार हो रही है। पत्रकार रोहिणी सिंह ने भी इन पोल पर तंज करते हुए खुद ही एक पोल शुरु कर दिया। उनका पोल था कि सीएए संबंधित पोल डिलीट होने के पीछे क्या कारण है? उन्होंने 4 विकल्प दिए। इस पोल पर 33 फ़ीसदी लोगों ने वोट दिया- फ़ोन आया, डिलीट करो। 27 फ़ीसदी लोगों ने वोट किया- देखी नहीं गयी हार। 26 फ़ीसदी लोगों ने वोट किया- सोचा नहीं था ऐसा। 14 फ़ीसदी लोगों ने वोट किया- डर गए, डिलीट कर दिया।
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