केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए आईटी नियमों का पालन न करने की ट्विटर को सजा देते हुए सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को मिला कानूनी कवच खत्म कर दिया है। अभी तक ट्विटर को विभिन्न यूजर्स द्वारा इस्तेमाल की जा रही सामग्री को होस्ट करने वाला प्लेटफॉर्म माना जाता था, लेकिन अब इस कवच को खत्म कर दिया गया है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि अब से ट्विटर पर प्रकाशित किसी भी पोस्ट या सामग्री के लिए ट्विटर संपादकीय रूप से एक पब्लिशर की तरह जिम्मेदार होगा।
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इस व्यवस्था का सीधा सा अर्थ है कि अब किसी भी ऐसी पोस्ट जो भ्रामक हो या जिससे सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की आशंका हो, उसके लिए यूजर्स के साथ ही ट्विटर को भी जिम्मेदार माना जाएगा और आईटी कानून के साथ ही अन्य कानून के तहत उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। अभी तक ट्विटर को इंटरमीडियरी माना जाता था, यानी उसे सिर्फ होस्टिंग प्लेटफॉर्म माना जाता था और उस पर कथित आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले को जिम्मेदार माना जाता था। लेकिन अब ट्विटर स्वंय इसके लिए जिम्मेदार होगा।
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ध्यान रहे कि सरकार ने इसी साल 25 मई को नए नियम लागू किए थे, लेकिन सूचनाओं के अनुसार ट्विटर ने अभी तक इन नियमों को अभी तक अपने यहां लागू नहीं किया है। सूत्रों का कहना है कि नए नियम न मानने के कारण ट्विटर को मिला कानूनी संरक्षण खुद ब खुद खत्म हो गया है।
साईबर लॉ एक्सपर्ट के मुताबिक किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत कानून संरक्षण मिलता है। इससे किसी भी यूजर द्वारा गैर कानूनी गतिविधि या आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने पर प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी नहीं होती, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
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इस बीच गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। सूचना के मुताबिक पुलिस ने यह कार्यवाही उस वीडियो के लिए की है जिसमें कथित तौर पर एक बुजुर्ग की पिटाई करते हुए दिखाया गया है। इस वीडियो में एक बुजुर्ग की पिटाई और उनके साथ ज्यादती करते हुए तस्वीरें थीं। इस वीडियो को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी आई थीं। पुलिस ने इस वीडियो को सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने वाला मानते हुए ट्विटर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
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