ट्विटर के सीईओ जैक दोरजी ने संसद की समिति के सामने पेश होने से इनकार कर दिया है। खबरों के मुतबाकि, बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाली सूचना-प्रौद्योगिकी से जुड़ी संसदीय समिति ने एक फरवरी को ट्विटर सीईओ के लिए समन जारी किया था। समन में उनसे अगली बैठक में पेश होने को कहा गया था। बता दें कि सोशल मीडिया पर भारतीय नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के मसले पर जवाब-तलब के लिए उन्हें बुलाया गया था।
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खबरों के मुताबिक, इस संबंध में पहले 7 फरवरी को मीटिंग होनी थी, लेकिन फिर उसे 11 फरवरी को रखा गया क्योंकि ट्विटर सीईओ जैक डॉर्सी समेत कुछ सीनियर अधिकारी आने के लिए पर्याप्त समय निकाल पाएं। लेकिन एक फरवरी को जो पत्र संसदीय आईटी कमिटी ने भेजा था, उसमें लिखा गया था, “संस्था के प्रमुख को कमिटी के सामने प्रस्तुत होना है। वह अपने साथ किसी अन्य सदस्य को भी ला सकते हैं।” वहीं शनिवार को पैनल में मौजूद एक सदस्य ने बताया कि ट्विटर ने अपने सीईओ को भेजने में असमर्थता जताई है।
बताया जाता है कि ट्विटर के अधिकारियों का यह जवाब 7 फरवरी को ही संसदीय समिति को मिल चुका है। ट्विटर के कानूनी प्रकोष्ठ की वैश्विक प्रमुख विजया गड्डे के माध्यम से यह जवाब भेजा गया है।
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इस मामले में सरकार की ओर से सफाई भी आ गयी है। वित्तमत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस मामले में समिति देखेगी क्या कार्रवाई करनी है और इस मामले से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है।
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गौरतलब है कि भारत में राजनीतिक भेदभाव करने के आरोप का सामना कर रहे ट्वीटर ने शुक्रवार को इसपर स्पष्टीकरण दिया। ट्वीटर इंडिया ने कहा कि सभी यूजर्स को एक जैसा मानने और एक जैसे नियम लागू करने में विश्वास करने वाली माइक्रोब्लॉगिंग साइट राजनीतिक विचारों के आधार पर अकाउंट ब्लॉक करने जैसे कदम नहीं उठाती है।
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