22 मई को तमिलनाडु के तूतिकोरिन जिले में हुई हिंसक घटना को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर ट्वीट कर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने पीएम मोदी और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि तमिलों की हत्या इसलिए कर दी गई क्योंकि वे आरएसएस सिद्धांतों के खिलाफ थे। उन्होंने आगे कहा कि मैं इस दुखद घड़ी में पीड़ित परिवार के साथ हूं। उन्होंने आगे कहा कि आरएसएस और पीएम मोदी की गोलियों से तमिलों की भावनाओं को कुचला नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा, “तमिल भाइयों और बहनों, हम आपके साथ हैं।”
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तूतिकोरिन में प्रदर्शन के दौरान हुई पुलिस की गोलीबारी में 11 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी, जबकि लगभग 50 लोग घायल हो गए थे। इस घटना के बाद सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और जिले में धारा 144 लगा दी गई है। पड़ोसी जिलों से 2000 से ज्यादा पुलिसकर्मी सुरक्षा के लिए भेजे गए हैं।
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इस घटना से जुड़ा एक वीडियो सामने आया है, जिसमें सादे कपड़े में मौजूद एक पुलिसकर्मी पुलिस बस पर चढ़कर प्रदर्शनकारियों पर निशाना लगाता दिख रहा है। उसके हाथ में असॉल्ट राइफल दिख रही है। इस वीडियो में एक आवाज सुनाई दे रही है, जिसमें कोई कह रहा है कि कोई एक तो मरना ही चाहिए और फिर वह पुलिसवाला अपने राइफल से पहली गोली दागता है। हालांकि इस वीडियो से यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि गोली किसी को लगी है या नहीं।
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वहीं इस मामले को लेकर गृह मंत्रालय ने तमिलनाडु सरकार को तलब कर लिया है और पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगा है।
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एमडीएमके प्रमुख वाइको ने अस्पताल पहुंचकर स्टरलाइट इंडस्ट्रीज के खिलाफ प्रदर्शन में घायल हुए लोगों से मुलाकात की।
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मक्कल नीधि मय्यम पार्टी के मुखिया और अभिनेता कमल हासन ने तूतिकोरिन घटना पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि घायलों से मिलने के लिए वे तूतिकोरिन जा रहे हैं।
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इससे पहले 22 मई को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने प्रदर्शन में मरने वाले और घायलों के लिए मुआवजे का ऐलान किया। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए और घायलों को तीन-तीन लाख रुपए मुआवज़ा देने का ऐलान किया है। इसके साथ ही मृतकों के परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरी देने की भी घोषणा की गई है।
वेदांता समूह की इकाई स्टरलाइट इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड का प्लांट तूतिकोरिन में पिछले 20 साल से चल रहा है। मार्च 2013 में प्लांट में गैस रिसाव के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता ने इसे बंद करने का आदेश दिया था। इसके बाद कंपनी एनजीटी में चली गई। एनजीटी ने राज्य सरकार का फैसला पलट दिया। राज्य सरकार इसके बाद सुप्रीम कोर्ट चली गई और अब याचिका शीर्ष अदालत में लंबित है।
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