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फर्जी खबरों के युग में सच्चाई ‘शिकार’ बन गई है, लोगों में धैर्य और सहनशीलता हुई खत्म: CJI चंद्रचूड़

देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि फर्जी खबरों के युग में सच्चाई ‘शिकार’ बन गई है। सीजेआई ने कहा कि आज हम एक ऐसे युग में रह रहे हैं जहां लोगों में धैर्य और सहनशीलता नहीं है, क्योंकि वे अपने से भिन्न दृष्टिकोणों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि तकनीक का दूसरा पहलू यह है कि लोग 'सहनशीलता में कम' हो गए हैं और भीतर ही भीतर पीछे हट गए हैं, और झूठी खबरों के दौर में सच ही शिकार हो गया है। उन्होंने अमेरिकन बार एसोसिएशन (एबीए) द्वारा लॉ इन द एज ऑफ ग्लोकलाइजेशन: कन्वर्जेंस ऑफ इंडिया एंड द वेस्ट विषय पर आयोजित किए जा रहे तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद कहा- लोगों में सहनशीलता कम है क्योंकि वह आपके विचारों को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। अंदर ही अंदर इंसानियत भी पीछे हट गई है.. इसमें से कुछ तकनीक की ही देन है। झूठी खबरों के दौर में सच ही शिकार हो गया है। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी मौजूद थे।

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सीजेआई ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि जब जज उनसे सहमत नहीं होते हैं तो लोग कितनी आसानी से उन्हें ट्रोल कर देते हैं। उन्होंने कहा, हमारे पास सोशल मीडिया नहीं था। हम (न्यायाधीश) जानते हैं कि जो भी हमसे सहमत नहीं है, वह हमें ट्रोल करता है। जब भारत के संविधान का मसौदा तैयार किया गया था, तब कोई नहीं जानता था कि मानव समाज कैसे विकसित होगा।

सीजेआई ने यह भी कहा कि ट्रोलिंग तब आती है जब लोग अपने से अलग राय और दृष्टिकोण को स्वीकार करने को तैयार नहीं होते हैं। उन्होंने कहा, हर छोटी चीज जो हम करते हैं- और मेरा विश्वास करो, न्यायाधीशों के रूप में हम इसके अपवाद नहीं हैं- आप जो कुछ भी करते हैं, उसमें आपको किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा ट्रोल किए जाने का खतरा होता है जो आपकी बात से सहमत नहीं है।

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सीजेआई ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि बीज के रूप में कही गई कोई बात कैसे एक सिद्धांत में अंकुरित हो जाती है जिसे तर्कसंगत विज्ञान की निहाई पर परीक्षण नहीं किया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे प्रौद्योगिकी हमारे जीवन को बदल रही है, विशेषकर न्यायाधीशों के जीवन को। उन्होंने कहा, कोविड ने हमें बहुत कम विकल्प दिया। तत्कालीन सीजेआई ने मुझसे कहा कि हमें अपने दरवाजे बंद करने होंगे और अब हम कैसे जमानत दे सकते हैं आदि। मैंने सीजेआई से कहा कि हमारे पास डेस्कटॉप कंप्यूटर हैं और हम वीडियो कॉन्फ्रेंसिग शुरू कर सकते हैं।

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शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय में अधिक महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति पर, सीजेआई ने कहा कि वह निश्चित रूप से इसका समर्थन करते हैं, लेकिन इसका उत्तर थोड़ा जटिल है। मुझसे अक्सर पूछा जाता है कि हमारे पास सुप्रीम कोर्ट में अधिक महिला न्यायाधीश क्यों नहीं हो सकती हैं, हमारे पास जितनी महिलाएं हैं उनमें से अधिक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश क्यों नहीं हो सकते हैं। और उत्तर सरल नहीं है, उत्तर है थोड़ा जटिल। और मुझे आशा है कि इसमें सच्चाई है।

उन्होंने कहा कि न्याय का विकेंद्रीकरण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का परिणाम है और यह न्याय तक पहुंच का महत्वपूर्ण प्रतिमान बन गया है। इसने न्याय के समानीकरण को बढ़ावा दिया है।सुप्रीम कोर्ट सिर्फ दिल्ली का तिलक मार्ग ही नहीं, छोटे से छोटे गांव का सुप्रीम कोर्ट है।

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