रिसर्चरों ने कोरोना के संबंध में एक चिंताजनक खुलासा किया है। इन रिसर्चरों में भारतीय मूल के एक रिसर्चर भी शामिल हैं। इनलोगों ने पाया कि कोविड-19 से उबर चुके रोगियों में मौत और अस्पताल में फिर से भर्ती होने का आंकड़ा बढ़ रहा है। साथ ही ये लोग मूल गतिविधि, नौकरी, मानसिक स्वास्थ्य और वित्तीय समस्या का सामना कर रहे हैं। अध्ययन के अनुसार, अस्पताल छोड़ चुके कोरोना रोगियों में यानि इस रोग से उबर चुके 7 प्रतिशत लोगों की दो माह के अंदर मौत हो गई। वहीं इसी अवधि में 10 प्रतिशत से ज्यादा रोगियों को आईसीयू में भर्ती कराया गया।
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इस अध्ययन को जर्नल एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है। यह आंकड़े मिशिगन में 38 अस्पतालों में इलाज किए गए 1250 रोगियों पर आधारित हैं। यह आंकड़ें तब इकट्ठा किए गए थे, जब देश में कोरोना अपने पीक पर था। अमेरिका में युनिवर्सिटी ऑफ मिशीगन से स्टडी ऑथर विनीत चोपड़ा ने कहा, "ये आंकड़े दिखाते हैं कि कोराना का असर अस्पताल और स्वास्थ्य से बहुत आगे तक है।" चोपड़ा ने कहा, "बचे लोगों में मानसिक, वित्तीय और शारीरिक समस्या देखी गई हैं।"
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साक्षात्कार में शामिल 39 प्रतिशत रोगियों ने कहा कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के दो महीने बाद भी वे लोग सामान्य गतिविधि में लौट नहीं पाए हैं।
वहीं 23 प्रतिशत उबर चुके लोगों ने कहा कि सीढ़ियों चढ़ते वक्त उनकी सांस फूल जाती है। वहीं एक तिहाई उबर चुके लोगों में अभी भी स्वाद और सूंघने की क्षमता में समस्या बनी हुई है।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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