मोदी सरकार ने एक बार फिर तीन तलाक बिल को लोकसभा में पेश किया है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल को सदन के पटल में पेश किया। इस पर विपक्षी सांसदों ने हंगामा करते हुए कहा ऐसा किया जाना संविधान का उल्लंघन है। विपक्ष ने इसके लाए जाने के तरीके पर सवाल उठाते हुए इसका विरोध किया। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने वोटिंग कराई गई जिसके बाद पक्ष में 186 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 74 वोट डाले गए।
Published: 21 Jun 2019, 4:18 PM IST
इससे पहले कानून मंत्री ने रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल को पेश करते हुए कहा कि संविधान की प्रक्रिया के तहत बिल लाया गया। जनता ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है और कानून पर बहस अदालत में होती है और कोई लोकसभा को अदालत न बनाए। उन्होंने आगे कहा कि यह सवाल सियासत या इबादत का नहीं बल्कि नारी न्याय का सवाल है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में कहा गया है कि किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता, इसलिए यह संविधान के खिलाफ कतई नहीं है बल्कि उनके अधिकारों से जुड़ा हैं।
Published: 21 Jun 2019, 4:18 PM IST
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सदन में इस बिल का विरोध किया। शशि थरूर ने कहा कि मैं इस बिल के पेश किए जाने का विरोध करता हूं। उन्होंने कहा कि यह बिल संविधान के खिलाफ है, इसमें सिविल और क्रिमिनल कानून को मिला दिया गया है।
Published: 21 Jun 2019, 4:18 PM IST
वहीं हैदराबाद से एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी, सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी क्यों है, केरल की हिन्दू महिलाओं की चिंता सरकार क्यों नहीं कर रही है।
Published: 21 Jun 2019, 4:18 PM IST
उन्होंने आगे कहा, “अगर किसी गैर मुस्लिम को केस में डाला जाए तो उसे 1 साल की सजा और मुसलमान को 3 साल की सजा। यह आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन नहीं है? आप महिलाओं के हित में नहीं हैं। आप उन पर बोझ डाल रहे हैं। 3 साल जेल में रहेगा। मेंटेनेंस कौन देगा? आप देंगे?”
उत्तर प्रदेश के रामपुर लोकसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खां से जब इस बिल पर उनकी राय पूछी गई तो वह बोले कि उनकी पार्टी कुरान में लिखी बातों का समर्थन करती है। उन्होंने आगे कहा, “हमारी पार्टी का स्टैंड वही है जो कुरान में लिखा है। कोई भी धर्म महिलाओं को उतनी आजादी नहीं देता जितना इस्लाम ने दिया है। 1500 साल पहले इस्लाम ही वो धर्म था जिसने महिलाओं को सबसे पहले समानता का अधिकार दिया था। आज के समय में इस्लाम में सबसे कम तलाक होते हैं और महिलाओं के खिलाफ हिंसा भी इस्लाम में सबसे कम होती है।”
Published: 21 Jun 2019, 4:18 PM IST
गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में तीन तलाक विधेयक को लोकसभा ने मंजूरी दी थी। लेकिन यह राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था। संसद के दोनों सदनों से मंजूरी नहीं मिलने पर सरकार ने इस संबंध में अध्यादेश लेकर आई थी जो अभी प्रभावी है।
Published: 21 Jun 2019, 4:18 PM IST
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Published: 21 Jun 2019, 4:18 PM IST