अगले लोकसभा चुनाव में बस अब एक साल का ही वक्त बचा है ऐसे में देश के बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच सभी सियासी दल अपने-अपने तरीके से किलेबंदी में जुटे हुए हैं। कांग्रेस ने एक बार फिर से इस किलेबंदी की अगुवाई करते हुए डिनर डिप्लोमेसी अपनाने का फैसला लिया है। इसके तहत यूपीए चेयरपर्सन और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 13 मार्च को डिनर आयोजित किया है जिसमें तमाम विपक्षी दलों को बुलाया गया है।
सूत्रों का कहना है कि सोनिया ने यह कदम सरकार पर हमला बोलने, विपक्ष की एकजुटता और अगले लोकसभा चुनाव के लिए संयुक्त मोर्चे की नींव रखने के लिए उठाया है। हाल ही में आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने इस मामले में राष्ट्रीय स्तर पर विचार-विमर्श का प्रस्ताव दिया था।
सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी ने राजनीतिक पार्टियों के प्रमुखों को फोन कर खुद इस डिनर के लिए आमंत्रित किया है। साथ ही कांग्रेस के दूसरे नेता भी अन्य दलों के संपर्क में हैं। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की नजर उन दलों पर है, जो सरकार को संसद के भीतर व बाहर घेरने में विपक्ष के साथ आ सकें। इस बहाने विपक्षी दलों की एकता का शक्ति प्रदर्शन करते हुए केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश की जा रही है।
कहा जा रहा है कि इस डिनर में कई बड़े नेता शामिल हो सकते हैं। कांग्रेस के नेता एनडीए के घटक दल टीडीपी के साथ ही बीजेडी से भी संपर्क में हैं। आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर टीडीपी सरकार से नाराज चल रही है। तीन तलाक के मुद्दे पर भी टीडीपी का रुख बीजेपी से अलग था। बताया जा रहा है कि मंगलवार को सोनिया गांधी ने संसद परिसर में कुछ देर तक बीजेडी नेता भृतहरि मेहताब से बात की थी।
इस डिनर में उन दलों को खासतौर से बुलाया जा रहा है जो न तो यूपीए और न ही एनडीए का हिस्सा हैं।
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Published: 07 Mar 2018, 10:34 AM IST
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Published: 07 Mar 2018, 10:34 AM IST