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बिहार में गठबंधन बचाने के लिए एनडीए की बैठक आज, क्या बीजेपी बिहार में चुनाव नहीं लड़ेगी !

बिहार में जेडीयू 25 सीटें मांग रहा है तो एलजेपी और आरएलएसपी ने भी जीती हुई सीटें छोड़ने से इनकार कर दिया है। ऐसे में बची 4-5 सीटें। तो क्या माना जाए कि बिहार में बीजेपी अगला लोकसभा चुनाव लड़ेगी ही नहीं, और अगर लड़ेगी, तो किस सहयोगी से झगड़ा मोल लेगी।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार, आरएलएसपी नेता उपेंद्र कुशवाहा और एलजेपी नेता राम विलास पासवान

बिहार में दो फाड़ हुए एनडीए में शांति कायम करने की कोशिशों के तहत आज शाम पटना में एनडीए की बैठक हो रही है। इस बैठक में जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार, बीजेपी के सुशील कुमार मोदी, एलजेपी के राम विलास पासवान और आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा शामिल होंगे। लेकिन बैठक से पहले ही जेडीयू महासचिव के सी त्यागी के बयान दे दिया कि बिहार ही नहीं पूरे देश में एनडीए की हालत खराब है। वहीं दूसरे महासचिव श्याम रजक ने फिर दोहराया की 25 सीटों से कम पर तो कोई बात बनेगी नहीं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया की बीजेपी लगातार जेडीयू के साथ अन्याय कर रही है, और अगर बीजेपी को नीतीश कुमार के नाम का फायदा लेना है तो जेडीयू की बातें माननी होंगी।

इस बैठक से पहले आए जेडीयू नेताओँ के बयानों से बात बनने से ज्यादा बिगड़ती नजर आ रही है। के सी त्यागी ने कहा कि, "केंद्र में जेडीयू को न तो मंत्रिमंडल में जगह मिली और न ही एनडीए के नीति-निर्धारण में महत्व दिया जाता है।” उन्होंने कहा कि बीजेपी को नीतीश कुमार के चेहरे का सदुपयोग करना चाहिए, क्योंकि अगर अगले चुनाव में 2014 जैसी लहर नहीं बनी तो केंद्र में एनडीए की वापसी मुश्किल होगी।" वहीं दूसरे महासचिव श्याम रजक ने कहा कि, “बिहार में नीतीश कुमार और जेडीयू महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा रहे हैं। हमने (2009 में) 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था, हमें तो 25 सीटें चाहिए, इससे कम का सवाल ही पैदा नहीं होता। अगर एनडीए को नीतीश कुमार की छवि का फायदा उठाना है तो उन्हें जेडीयू के साथ न्याय करना होगा।

Published: 07 Jun 2018, 4:12 PM IST

उन्होंने यह भी कहा कि, “हम एनडीए के साथ विचारधारा और नीतियों के आधार पर जुड़े हैं। लेकिन हमारे साथ लगातार अन्याय हो रहा है।” श्याम रजक ने कहा कि बीजेपी को हमें सम्मान देना होगा और बिहार के साथ इंसाफ करना होगा।

Published: 07 Jun 2018, 4:12 PM IST

उधर रामविलास पासवान भी कई मामलों में जेडीयू के सुर में सुर मिला रहे हैं। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात हो या दलित पर अत्याचार और एससी-एसटी एक्ट को नर्म करने का मुद्दा। गुरुवार को ही एनडीए की बैठक से पहले पासवान ने ट्वीट कर अखबार की उन कतरनों को शेयर किया जिसमें वे नीतीश कुमार से गले मिलते दिख रहे हैं। इन खबरों और तस्वीरों में उनके पुत्र चिराग पासवान भी हैं। हालांकि बीजेपी नेता और बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी भी तस्वीर में दिख रहे हैं लेकिन जो गर्मजोशी पासवान और नीतीश में नजर आ रही है, वैसे मोदी के साथ नहीं है।

Published: 07 Jun 2018, 4:12 PM IST

उधर पासवानी की पार्टी एलजेपी के नेता पशुपति पारस ने साफ कर दिया है कि, "हम अपनी जीती हुई 6 सीटों पर कोई समझौता नहीं करेंगे। बीजेपी, एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी है। उसकी जिम्मेदारी है कि वह गठबंधन के सभी सहयोगियों को संतुष्ट करे।"

इससे पहले जेडीयू सांसद पवन वर्मा भी कह चुके हैं कि लोकसभा हो या राज्यसभा चुनाव, बिहार में नीतीश कुमार ही गठबंधन का चेहरा होंगे। उन्होंने एनडीए-1 के फार्मूले की बात भी कही है।

ऐसे में बीजेपी के लिए बिहार में सिर्फ 4 सीटें बचती हैं। बिहार से लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं। इनमें से अगर जेडीयू 25, एलजेपी 7 और आरएलएसपी 4 सीटें ले लेते हैं, तो बीजेपी के हिस्से में सिर्फ 4 सीटें ही आएंगी।

मौजूदा स्थिति देखें तो फिलहाल बिहास से बीजेपी के 23 सांसद हैं, 6 एलजेपी के, 3 आरएलएसपी के और 2 जेडीयू के सांसद हैं।

Published: 07 Jun 2018, 4:12 PM IST

इसमें कोई शक नहीं कि बिहार में एनडीए की पहली पारी में जेडीयू बड़े भाई की भूमिका में रही है। 2009 में जेडीयू और बीजेपी ने साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था, तब बिहार की कुल 40 सीटों में से जेडीयू ने 25 और बीजेपी ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन 2014 में हालात बदल गए थे। जेडीयू, एनडीए से अलग होकर चुनाव मैदान में उतरी थी और सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई। जबकि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीएन ने 31 सीटों पर कब्जा किया।

राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद दत्त का मानना है कि जेडीयू दरअसल एनडीए पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। जेडीयू 2009 के मुकाबले कमजोर हुई है। ऐसे में यह दवाब स्वाभाविक है। वह कहते हैं, "जेडीयू पहले की तरह मजबूत नहीं है और बीजेपी पहले की तरह कमजोर नहीं है, जब बीजेपी, जेडीयू के पीछे-पीछे घूमती थी। मौजूदा हालात में जेडीयू को भी बीजेपी की जरूरत है और बीजेपी को जेडीयू की।

दरअसल हाल के जोकीहाट उपचुनाव में जेडीयू की हार के बाद से एनडीए में बगावती सुर तेज हुए हैं। जेडीयू ने तो सीधे ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ अपनाई है, ऐलान कर दिया है कि बिहार में तो जेडीयू ही ‘बिग ब्रदर’ है, चुनाव लोकसभा का हो या विधानसभा का।

आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा भी कह चुके हैं कि एनडीए में तालमेल की कमी है। पहले ही सीटों का बंटवारा हो, ताकि सभी घटक दल मुकम्मल तैयारी कर सकें।

(आईएएनएस इनपुट के साथ)

Published: 07 Jun 2018, 4:12 PM IST

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Published: 07 Jun 2018, 4:12 PM IST