पश्चिम बंगाल में गवर्नर हाउस और राज्य सरकार के बीच खींचतान के चरम पर पहुंचने के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विस्तारित मानसून सत्र के आखिरी दिन गुरुवार को बंगाल विधानसभा में राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के कामकाज के खिलाफ एक विशेष प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। यह संभावित निर्णय सोमवार सुबह राज्यपाल द्वारा उन 16 राज्य विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति की घोषणा के बाद आया है, जो पिछले कुछ समय से बिना कार्यात्मक प्रमुख के चल रहे थे।
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इससे पहले गवर्नर हाउस ने रविवार को एक और अधिसूचना जारी की थी, जिसमें कहा था कि राज्य सरकार या राज्य शिक्षा विभाग का कोई भी निर्देश किसी भी राज्य विश्वविद्यालय के किसी भी संकाय या गैर-संकाय कर्मचारियों के लिए बाध्यकारी नहीं है। राज्यपाल की इस कार्यप्रणाली की निंदा करते हुए शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने विशेष प्रस्ताव लाने का संकेत देते हुए कहा कि अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा लिया जाएगा। इससे पहले भी ब्रत्य बसु ने राज्यपाल के खिलाफ तीखा हमला किया था और उन्हें "मसखरा" तक बताया था। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र से संबंधित राज्यपाल के विभिन्न कदमों को रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई का भी संकेत दिया।
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बोस के पूर्ववर्ती और देश के वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के कार्यकाल के दौरान भी, सत्तारूढ़ दल ने उनके खिलाफ इसी तरह का प्रस्ताव पेश किया था। इस बीच, बीजेपी के एक विधायक ने कहा कि जब जुलाई में विधानसभा का मानसून सत्र फिर से शुरू हुआ था, तब सत्ता पक्ष ने इसी तरह का संकेत दिया था कि राज्यपाल के खिलाफ प्रस्ताव लाया जा सकता है। विधायक ने कहा, “लेकिन तब ऐसा नहीं हुआ। पहले उन्हें आधिकारिक तौर पर प्रस्ताव पेश करने दीजिए और हम भी अपने विधायक दल के फैसले के मुताबिक काम करेंगे।''
वहीं राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज आरोप लगाया कि उनके परिवार को राजनीतिक उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है। ममता ने कोलकाता में रियल एस्टेट कन्वेंशन 2023 को संबोधित करते हुए कहा, “हमने किसी से एक रुपया भी नहीं लिया या किसी से एक कप चाय भी स्वीकार नहीं की है। मुझे एक बात समझ नहीं आ रही है। अगर मैं कुछ खरीदती हूं, जैसे तश्तरी या एक जोड़ी चाय के मग, तो क्या प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय एजेंसियां उसकी जांच कर सकती हैं।”
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उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ व्यवसायियों को भी इसी तरह परेशान किया जा रहा है। बनर्जी ने कहा, “लेकिन डरो मत। कुछ लोग आपको परेशान करने की कोशिश करेंगे। कुछ व्यवसायियों को एजेंसियों के माध्यम से वैसे ही परेशान किया जा रहा है जैसे मेरे परिवार को परेशान किया जा रहा है। आप बस उत्पीड़न के खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाएं।'' उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व जानबूझकर मीडिया का इस्तेमाल कर पश्चिम बंगाल की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने सवाल किया, “राज्य की ऐसी छवि पेश करने की कोशिश की जा रही है जैसे कि पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक तनाव और झड़पों के अलावा कुछ नहीं होता। लेकिन हकीकत में बंगाल हर क्षेत्र में बाकी सभी राज्यों से आगे है। क्या सर्वांगीण विकास के बिना यह संभव हो सकता है?'' बीजेपी का नाम लिए बिना ममता ने केंद्र में सत्ताधारी पार्टी को राजनीतिक तौर पर उनका मुकाबला करने की चुनौती दी। उन्होंने कहा, “यदि आपमें दम है तो मुझसे राजनीतिक रूप से लड़ो। लेकिन ऐसी लड़ाई शुरू न करें जो बंगाल और उसके लोगों के हित के खिलाफ हो।”
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ममता ने रियल एस्टेट क्षेत्र के संचालकों से कुछ करने का भी आह्वान किया ताकि राज्य के प्रवासी श्रमिक बंगाल लौट आएं और यहां अपनी आजीविका कमा सकें। मुख्यमंत्री ने कहा, “पश्चिम बंगाल के रियल एस्टेट कर्मचारी राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित हैं। इसीलिए इन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में नौकरी पर रखा जाता है। लेकिन राज्य के बाहर अक्सर उनके सुरक्षा पहलुओं से समझौता किया जाता है। इसलिए कुछ करें ताकि वे राज्य में अपनी आजीविका कमा सकें।”
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