आज क्या-क्या हुआ!
तिरुमाला तुरपति देवस्थानम के पूर्व अधिकारी वाई वी सुब्बा रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा है। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया है कि वह एक रिटायर्ड जज की अगुवाई में एक स्वतंत्र समिति का गठन करे जो पूरे मामले की निष्पक्षता से जांच कर पता लगाए कि प्रसाद में पशु चर्बी मिलाए जाने की बात कितनी सही है और इसके लिए कौन जिम्मेदार है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड की ही मंदिर का प्रबंधन करता है।
इनके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मामले की जांच कराए जाने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि इस विवाद से लोगों की आस्था को चोट पहुंची है इसलिए इस मामले की जांच होनी जरूरी है।
उधर तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने आज एक यज्ञ का भी अनुष्ठान किया। बताया गया कि तिरुमाला मंदिर में हुए कथित अपवित्र काम को सुधारने के लिए चार घंटे तक चलने वाले शांति होमं पंचगव्य प्रोक्षणा (अनुष्ठानात्मक शुद्धिकरण) का आयोजन किया गया। यह अनुष्ठान सुबह छह बजे शुरू हुआ और सुबह 10 बजे तक चला।
तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट की खबरों और उससे पैदा हालात के बीच विश्व हिंदू परिषद ने सोमवार को ही तिरुपति में बैठक बुलाई। इस बैठक में विश्व हिंदू परिषद से जुड़े साधु संत और परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के लोग शामिल हुए। बैठक में विश्व हिंदू परिषद पूरे विवाद पर गहरी नाराजगी जताई। परिषद ने मामले में सुप्रीम कोर्ट से तिरुपति के लड्डुओं में मिलावट के आरोपों का स्वत: संज्ञान लेने और दोषियों का पता लगाने के लिए जांच शुरू करने की अपील की है।
विहिप ने एक विज्ञप्ति में कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले का स्वतः संज्ञान लेना चाहिए तथा एक निश्चित समयावधि में इसकी जांच कर दोषियों की पहचान करनी चाहिए तथा उन्हें कड़ी सजा देनी चाहिए। विहिप ने कहा कि इस मामले में लापरवाही और देरी की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि ऐसा होने पर हिंदू समुदाय के सदस्य राष्ट्रव्यापी आंदोलन कर सकते हैं, जो इस मामले को लेकर पहले से ही अधीर हैं।
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क्या है पूरा मामला!
तिरुपति मंदिर दुनिया के सबसे लोकप्रिय और अमीर धर्मस्थलों में से है। यहां हर दिन करीब 70 हजार श्रद्धालु भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन करते हैं। इसका प्रबंधन तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम संभालता है। मंदिर परिसर में बनी 300 साल पुरानी रसोई में शुद्ध देसी घी के करीब 3.50 लाख लड्डू प्रतिदिन बनते हैं। यह मंदिर का मुख्य प्रसाद है, जिसे करीब 200 ब्राह्मण बनाते हैं। इन लड्डूओं में शुद्ध बेसन, बूंदी, चीनी, काजू और शुद्ध घी होता है। ट्रस्ट ने करीब एक लाख लड्डू राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के वक्त अयोध्या भी भेजे थे।
इतनी बड़ी संख्या में लड्डू बनाने के लिए मंदिर ट्रस्ट भारी मात्रा में देशी घी की खरीदारी करता है। एक अनुमान के मुताबिक हर 6 महीने में मंदिर 1400 टन यानी करीब 1.40 लाख किलो घी खरीदता है। बीते काफी वर्षों से कर्नाटक की मिल्क कोआपरेटिव फेडरेशन मंदिर को घी की आपूर्ति करती थी और कीमतों में कुछ रियायत भी देती थी। लेकिन बीते सालों में फेडरेशन ने दाम बढ़ाए जाने की मांग की। जिसके बाद ट्रस्ट ने मंदिर को घी की सप्लाई के लिए टेंडर आमंत्रित किए
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टेंडर के बाद पांच कंपनियों को घी सप्लाई करने का ठेका दिया गया। इस साल हुए विधानसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की सरकार बनी। कहा जाता है कि कुछ लोगों ने प्रसाद के रूप में मिलने वाले लड्डुओं के स्वाद को लेकर शिकायत की थी, जिसके बाद सरकार ने मंदिर को सप्लाई किए जा रहे घी के सैंपल जांच के लिए गुजरात स्थित एनडीडीबी (नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड) को भेजे।
जांच में पाया गया कि मंदिर को सप्लाई किए जा रहे घी में अन्य तत्वों के अलावा गाय की चर्बी, अन्य चर्बी और मछली का तेल भी शामिल है। इस बात को सबसे पहले आंध प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने सार्वजनिक किया और जल्द ही घी की जांच रिपोर्ट भी सार्वजनिक कर दी गई।
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यह जानकारी सामने आने के बाद बवाल मच गया। पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस जगन रेड्डी ने मामले की जांच की मांग की और प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा। जगन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने लड्डू में चर्बी विवाद पर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का रुख किया और पूरे मामले में मौजूदा जज की निगरानी में जांच का अनुरोध किया है। मामले में अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।
विवाद के तूल पकड़ने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा- ‘मैंने सीएम चंद्रबाबू नायडू से बात की है। मंदिर के प्रसाद (लड्डू) की जांच कराई जाएगी। उधर आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी टीडीपी, कांग्रेस और बीजेपी ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है। हालांकि केंद्र सरकार ने अभी यह केस सीबीआई को नहीं सौंपा है। अलबत्ता आंध्र प्रदेश सरकार ने एक एसआईटी का गठन किया है।
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