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किसानों के चक्का जाम में यूपी-उत्तराखंड में हिंसा फैलाने की थी साजिश, टिकैत ने बताया इसलिए आंदोलन से रखा अलग

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसान शनिवार को सड़क पर जाम नहीं लगाएंगे, बल्कि शांतिपूर्वक जिला मुख्यालय और तहसील मुख्यालय पर ज्ञापन देंगे। टिकैत ने कहा कि दोनों राज्यों के किसानों को स्टैंडबाई में रखने का फैसला लिया गया है।

फाइल फोटोः पीटीआई
फाइल फोटोः पीटीआई 

केंद्र के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने 6 फरवरी यानी शनिवार को देश भर में 12 बजे से 3 बजे तक चक्का जाम करने का फैसला किया है। लेकिन इस चक्का जाम से किसानों ने राजधानी दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को अलग रखा है। किसान नेताओं ने चक्का जाम के दौरान यूपी और उत्तराखंड में हिंसा की साजिश का आरोप लगाया है।

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किसानों के चक्का जाम से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को अलग रखने का कारण बताते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि “हमारे पास पुख्ता सबूत थे कि कल कुछ लोग चक्का जाम के दौरान उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में हिंसा फैलाने की कोशिश करते। हमारे पास इसकी पक्की रिपोर्ट थी। हमने जनहित को देखते हुए उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को कल होने वाले चक्का जाम से अलग रखा है।”

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हालांकि राकेश टिकैत ने कहा है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसान शनिवार को सड़क पर जाम नहीं लगाएंगे, लेकिन शांतिपूर्वक जिला मुख्यालय और तहसील मुख्यालय पर ज्ञापन देंगे।" साथ ही किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि यूपी और उत्तराखंड के किसानों को स्टैंड बाई में रखने का फैसला लिया गया है। टिकैत ने कहा कि आंदोलन को बैकअप देने के लिए यूपी और उत्तराखंड के एक लाख किसानों को बैकअप में रखा गया। वह अभी आराम करें और खेती बाड़ी करें।

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इस दौरान गाजीपुर बार्डर पर टिकैत के साथ संयुक्त मोर्चा के सदस्य और किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल भी मौजूद थे। राजेवाल ने इस दौरान कहा कि विशेष कारणों से यूपी और उत्तराखंड के लिए शनिवार के चक्का जाम कार्यक्रम में थोड़ा बदलाव किया गया है। चक्का जाम की कॉल वापस नहीं ली गई, बल्कि कार्यक्रम में मामूली सा फेरबदल किया गया है। यूपी और उत्तराखंड के किसान अपने तहसील और जिला मुख्यालय पर जाकर अधिकारियों को ज्ञापन देंगे। ज्ञापन में तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर कानून की मांग की जाएगी। किसानों से यह कार्यक्रम शांतिपूर्वक करने की अपील की गई है।

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