हालात

बीजेपी शासित राज्य में पत्रकारों के साथ पुलिसिया सुलूक की यह तस्वीर आपको हिला देगी...

मध्य प्रदेश के सीधी जिले की एक घटना ने पूरे पत्रकारिता जगत को हिलाकर रख दिया है। वहां के एक थाने से जो तस्वीर सामने आई है, उससे स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी शासित राज्य में पत्रकारिता की क्या हालत है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

बीजेपी शासित मध्यप्रदेश से पत्रकारिता जगत को भौंचक कर देने वाली एक तस्वीर ने हिलाकर रख दिया है। सीधी जिले के एक थाने की तस्वीर में 8 पत्रकारों को कपड़े उतारकर लाइन से खड़ा किया गया है। यह तस्वीर सोशल मीडिया पर बीती रात से ही वायरल हो रही है, जिसमें सभी वीडियो पत्रकारों को अर्धनग्न अवस्था में पुलिस के सामने परेड वाली मुद्रा में खड़ा किया गया है।

मध्यप्रदेश से मिल रही खबरों के मुताबिक इन पत्रकारों को बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला की शिकायत पर हिरासत में लिया गया है। शुक्ला का आरोप कि इन पत्रकारों ने उनके खिलाफ एक झूठी रिपोर्ट प्रसारित की थी।

इन पत्रकारों में से एक (तस्वीर में सबसे बाएं) कनिष्क तिवारी स्थानीय बघेली भाषा का एक यूट्यूब चैनल चलाते हैं जिसके एक लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। स्थानीय मीडिया के मुताबिक पुलिस ने कनिष्क और उनके साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और फिर उन्हें थाने बुलाकर बेइज्जत किया गया।

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पुलिस का दावा है कि पत्रकारों ने बीजेपी सरकार और विधायक के खिलाफ एक फेक आईडी से खबर प्रसारित की थी। इस तस्वीर के सामने आने पर तमाम संगठनों द्वारा इस पर आक्रोश जताया गया है। युवा कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “यह है भारत में पत्रकारिता की हालत..”

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वहीं हिंदुस्तान टाइम्स के पत्रकार रितेश मिश्रा ने कहा, “क्या एक यूट्यूबर को पत्रकार नहीं माना जाता है...”

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इस बीच पंजाब केसरी अखबार से बातचीत में कनिष्क तिवारी ने कहा कि वह तो गरीबों और वंचितों का आवाज उठा रहे थे। उन्होंने कहा कि उनके साथ जो कुछ हुआ है वह न तो देश के लिए अच्छा है और न ही पूरी व्यवस्था के लिए। कनिष्क ने कहा, “मेरा कुसूर सिर्फ इतना है कि मैंने कुछ ऐसी ग्राउंड रिपोर्ट कीं जो बड़े चैनल करने से डरते हैं...मेरी खबरों से पुलिस और बीजेपी विधायक को दिक्कत है...” उन्होंने कहा, “मैंने रिपोर्ट का शीर्षक दिया था, ‘थाना बना मयखाना’”

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इस घटना पर सीपीजे कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट की एशिया डेस्क ने भी संज्ञान लेते हुए कनिष्ख से बात की है। सीपीजे ने कहा है कि हम इस मामले को उठाएंगे और इस बारे में बयान जारी करेंगे।

दरअसल यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी शासित राज्यों में पत्रकारों का उत्पीड़न हो रहा है। अभी कुछ दिन पहले यूपी के बल्लिया में अमर उजाला के पत्रकार को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया कि उन्होंने नकल माफिया का खुलासा किया था और बोर्ड परीक्षाओं का पर्चा लीक होने की खबर दी थी। इस बारे में बुधवार को दिल्ली में प्रेस क्लब में हुई प्रेस वार्ता में पत्रकारों ने इस मामले पर गहरा रोष जताया था।

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अभी कल ही वरिष्ठ पत्रकार और लेखक आकार पटेल को विदेश जाने से रोक दिया गया जबकि उनके पास विदेश जाने केलिए कोर्ट का आदेश था। इसी तरह लेखिका और पत्रकार राना अय्यूब को भी विदेश जाने से रोक दिया गया था।

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