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नीतीश के इस मंत्री पर बहाली में धांधली का लग चुका है आरोप, पीएम मोदी भी साध चुके हैं निशाना

साल 2015 के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेवा लाल चौधरी को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि नियुक्ति में धांधली के आरोपों के बावजूद नीतीश ने चौधरी को जेडीयू का टिकट देकर विधायक बनाया।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की नई सरकार का सोमवार शाम को शपथ ग्रहण हो गया। राजभवन में एक सादे समारोह में नीतीश कुमार ने सातवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ 14 मंत्रियों ने भी शपथ ली, जिनमें बीजेपी कोटे से सात और जेडीयू कोटे से पांच नेताओं और मांझी की ‘हम’ और सहनी की वीआईपी से एक-एक नेता ने मंत्री पद की शपथ ली। लेकिन नीतीश कुमार की इस नई कैबिनेट के एक नाम ने सबको चौंका दिया है और वह नाम है मेवा लाल चौधरी का।

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जेडीयू कोटे से मंत्री बनने वाले मेवा लाल चौधरी नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते हैं और मुंगेर के तारापुर विधानसभा से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। मेवा लाल का नाम इसलिए चौंकाने वाला है क्योंकि उन पर नौकरी बहाली में धांधली का आरोप लग चुका है। उन पर यह आरोप सबौर कृषि विश्वविद्यालय का वीसी रहते हुए 2012 में सहायक प्राध्यापक-जूनियर वैज्ञानिकों की बहाली में धांधली को लेकर लगा था।

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जनसत्ता की खबर के अनुसार मेवा लाल पर विश्वविद्यालय के 161 सहायक प्राध्यापक-जूनियर साइंटिस्ट के पदों पर 2012 में हुई बहाली में बड़े पैमाने पर धांधली और पैसों के लेन-देन का आरोप लगा था। लेकिन चौधरी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब नीतीश कुमार ने मामले में जांच के आदेश नहीं दिए तब राज्यपाल के निर्देश पर गठित जस्टिस महफूज आलम कमेटी ने जांच की और कमेटी की जांच में आरोप साबित भी हो गए, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाने वाले मेवालाल चौधरी धांधली के आरोपों के बीच ही रिटायर्ड होकर राजनीति में आ गए। साल 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने तारापुर से चुनाव लड़ा और जीत भी गए। इसी चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेवा लाल चौधरी को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि नियुक्ति में धांधली के आरोपों के बावजूद मुख्यमंत्री ने चौधरी को जेडीयू का टिकट देकर विधायक बनाया। आरोप से संबंधित फाइल महीनों तक मुख्यमंत्री के पास पड़ी रही और कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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हालांकि, यह चुनाव जीतने के बाद ही मेवा लाल चौधरी अपने ऊपर लगे नियुक्ति घोटाले में आरोपी साबित हो गए। चौधरी पर सबौर कृषि विश्वविद्यालय का वीसी रहते हुए वहां सहायक प्राध्यापक-जूनियर वैज्ञानिकों की हुई बहाली में धांधली का आरोप साबित हुआ। लेकिन इसके बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। और अब तो नीतीश कुमार ने उन्हें अपनी कैबिनेट में ही शामिल कर लिया है।

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